अपडेटेड 25 December 2024 at 14:41 IST

Tsunami: 4 साल की बच्ची थी सौम्या जब सुनामी की लहरों ने लील ली 6065 जिंदगियां, खौफ के साए के बीच संघर्ष की पूरी कहानी

तमिलनाडु में, 26 दिसंबर 2004 की भयावह सुबह आई सुनामी के 20 साल बाद भी अपने करीबी रक्त संबंधियों को खोने वालों के मन में त्रासदी का खौफ कायम है।

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 Soumya was a 4-year-old girl when the waves of tsunami took away 6065 lives
Soumya was a 4-year-old girl when the waves of tsunami took away 6065 lives | Image: AP

तमिलनाडु में, 26 दिसंबर 2004 की भयावह सुबह आई सुनामी के 20 साल बाद भी अपने करीबी रक्त संबंधियों को खोने वालों के मन में त्रासदी का खौफ कायम है। जीवित बचे लोगों में से एक सौम्या को नागपट्टिनम जिले से बचाया गया था, जो अब एक बच्चे की मां हैं। सुनामी के दौरान जिले में 6,065 लोगों की मौत हुई थी।

सुनामी से अनाथ हुए कई अन्य बच्चों की तरह, सौम्या ने कठोर वास्तविकता को स्वीकार किया और संकट से उबरने व जीने के लिए संघर्ष किया। सुनामी आने के समय सौम्या चार साल की थीं। उन्हें बाद में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी डॉ. जे. राधाकृष्णन गोद ले लिया, जिसके बाद उन्होंने अर्थशास्त्र में बीए की पढ़ाई की। राधाकृष्णन ने 2022 में तकनीशियन के. सुभाष के साथ सौम्या की शादी करा दी। इस साल अक्टूबर में वह एक बच्ची की मां बनीं।

फिलहाल सहकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राधाकृष्णन ने कहा, “हमारी बेटी को बड़ा होते और मां बनते देखना बहुत ही सुखद है। हमारा परिवार धन्य महसूस कर रहा है।” सुनामी के समय बच्ची रहीं मीणा और सौम्या उन 40 बच्चों में से हैं, जो अन्नाई सत्या सरकारी बाल गृह में पले-बढ़े हैं।

वे सुनामी की 20वीं वर्षगांठ से पहले 22 दिसंबर को एक साथ आए और अपने पुनर्मिलन का जश्न मनाया। उनमें से एक तमिलारसी विजयाबालन अब 35 वर्ष की हैं, जिन्होंने आईटी में बीएससी किया और एमसीए की डिग्री भी प्राप्त की है। वह सुनामी के बाद स्थापित अन्नाई सत्या सरकारी बाल गृह में 100 बच्चों की देखभाल के लिए एक शिक्षक के रूप में काम कर रही हैं।

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नागपट्टिनम के निकट सामन्थनपेट्टई में स्थित यह गृह अब दुर्व्यवहार और बाल विवाह के पीड़ितों की देखभाल करता है। लहरों के प्रकोप के कारण हुई अभूतपूर्व तबाही से राज्य के छह तटीय जिलों कांचीपुरम, विल्लुपुरम, कुड्डालोर, नागपट्टिनम, कन्याकुमारी और थूथुकुड की लगभग 50 नगर पंचायतें प्रभावित हुई थीं।

नागपट्टिनम स्थित भारतीय राष्ट्रीय मछुआरा संघ के अध्यक्ष आर एम पी राजेंद्र नट्टार कहते हैं, "राज्य सरकार की एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों ने घरों के पुनर्निर्माण और हमारी आजीविका बहाल करने में मदद की।"

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Published By : Ritesh Kumar

पब्लिश्ड 25 December 2024 at 14:41 IST