अपडेटेड 5 December 2024 at 23:47 IST
बाबरी विध्वंस के 32 साल: 6 दिसंबर 1992 को क्या हुआ था? जब अयोध्या में कारसेवकों ने गुंबदों पर चढ़...
90 के दशक की शुरुआत में ही राम जन्मभूमि की अलख देश में जाग चुकी थी। यही वो समय था जब देश भर से कारसेवक और साधु-संत राम मंदिर बनवाने के लिए अयोध्या कूच कर रहे थे
- भारत
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6 December 1992 Babri Demolition 32 Years: अयोध्या में रामजन्मभूमि पर बने भव्य राम मंदिर के बीच यह जान लेना महत्वपूर्ण होगा कि विवादित स्थल पर बनी बाबरी विध्वंस को छह दिसंबर 1992 के दिन गिराया गया था। आज इस वाकए को 32 साल हो गए हैं। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में घटी यह घटना इतिहास में प्रमुखता के साथ दर्ज है, जब राम मंदिर की सांकेतिक नींव रखने के लिए कारसेवकों की उमड़ी भीड़ ने बाबरी विध्वंस के विवादित ढांचे को पूरी तरह से ढहा दिया था। इस घटना के बाद देश के कई इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिनमें जान-माल का भारी नुकसान हुआ था। ये विवादित ढांचा अयोध्या शहर में रामकोट पहाड़ी जिसे राम का किला के नाम से जाना जाता था वहां स्थित था।
बाबरी विध्वंस के विवादित ढांचे पर जाने के लिए कारसेवकों की एक रैली निकाली गई। इस रैली के आयोजकों द्वारा मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचाने देने की भारत के सर्वोच्च न्यायालय से वचनबद्धता पर इजाजत दी गई थी। 6 दिसंबर 1992 को लगभग डेढ़ लाख लोगों की इस रैली में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद इस भीड़ ने विवादित ढांचे को ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद पूरे देश में दंगे शुरू हो गए थे इन दंगों में 2000 से भी ज्यादा लोगों के मारे जाने का आंकड़ा सामने आया था।
ऐसे बनी विवादित ढांचे को ढहाने की पृष्ठभूमि
80 के दशक का अंत और 90 के दशक की शुरुआत में ही राम जन्मभूमि की अलख देश में जाग चुकी थी। यही वो समय था जब देश भर से कारसेवक और साधु-संत राम मंदिर बनवाने के लिए अयोध्या कूच कर रहे थे। सूबे में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी और 30 अक्टूबर 1990 का दिन था। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की वजह से अयोध्या में कर्फ्यू लगाया गया था जिसकी वजह से कारसेवकों और श्रद्धालुओं को अयोध्या में प्रवेश से रोका जा रहा था। पुलिस ने विवादित ढांचे के एक किमी के दायरे से भी ऊपर परिधि में सुरक्षा का घेरा बना रखा था। इसी दौरान कुछ कारसेवक जो कि विवादित ढांचे की ओर बढ़ रहे थे उन पर पुलिस ने गोलियां चलाईं और 5 कारसेवकों की वहीं मौत हो गई।
2 नवंबर 1990 जब मुलायम सरकार ने कारसेवकों पर चलवाईं गोलियां
30 अक्टूबर को 5 अयोध्या में 5 कारसेवकों की मौत के बाद पूरे देश से हजारो कारसेवक अयोध्या पहुंचना शुरू हो गए। इस दौरान पूरे देश का माहौल बहुत ही गरम था। अयोध्या में हजारों कारसेवक हनुमान गढ़ी तक पहुंच गए थे। इस दौरान अशोक सिंघल, उमा भारती, स्वामी वामदेवी जैसे बड़े हिन्दुत्व के नेता अलग-अलग दिशाओं से हजारों कारसेवकों के साथ हनुमान गढ़ी की ओर बढ़ रहे थे। हनुमान गढ़ी विवादित ढांचे से कुछ ही दूरी पर स्थित था। 2 नवंबर की सुबह हनुमान गढ़ी से जैसे ही कारसेवकों ने आगे की ओर कूच किया पुलिस ने कारसेवकों पर गोलियां चला दीं। इसमें सरकारी आंकड़े के मुताबिक 18 कारसेवकों की मौत हो गई थी जिसमें कोलकाता के कोठारी बंधु भी शामिल थे।
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कारसेवकों की हत्या के बाद मीडिया में क्या बोले थे मुलायम सिंह यादव?
इसके बाद कारसेवकों ने मारे गए कारसेवकों के शवों को सड़क पर रखकर प्रदर्शन भी किया था। 4 नवंबर को इन कारसेवकों का अंतिम संस्कार किया गया और देश के अलग-अलग हिस्सों में कारसेवकों के शव की राख को भेजा गया। अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाने के कई सालों के बाद जब मीडिया ने मुलायम सिंह यादव से इसको लेकर सवाल किया था तब मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि मेरे पास इसके अलावा कोई और चारा नहीं बचा था। मेरे सामने देश की एकता का सवाल था। बीजेपी वालों ने अयोध्या में 11 लाख कारसेवकों की भीड़ अयोध्या में लाकर खड़ी कर दी थी। इस वजह से मुझे गोली चलवानी पड़ी और मुझे इस बात का पूरा अफसोस है लेकिन उस समय मेरे पास कोई दूसरा चारा भी नहीं था।
6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने ढहा दिया विवादित ढांचा
इसके बाद पूरे देश से कारसेवकों का जत्था अयोध्या के लिए रवाना हो गया। एक ऐसी क्रांति जिसकी कोई परिकल्पना भी नहीं कर सकता था। शासन प्रशासन ने इन कारसेवकों को रोकने की कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। कर्फ्यू लगवाया सड़कें बंद करवाईं अयोध्या जाने वाले वाहनों को रोका बैरिकेडिंग की लेकिन कारसेवक खेतों से पगडंडियों से गांवों से होते हुए अयोध्या पहुंचे। 6 दिसंबर 1992 को वो दिन भी आ गया जब कारसेवकों की रैली में डेढ़ लाख से ज्यादा की भीड़ शामिल हो गई। इसके बाद ये भीड़ विवादित ढांचे के पास पहुंचते ही एकदम से बेकाबू हो गई और देखते ही देखते इस भीड़ ने विवादित बाबरी ढांचे को ध्वस्त कर दिया।
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Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 5 December 2024 at 23:47 IST