अपडेटेड 16 July 2025 at 06:56 IST
जमीन पर लैंड हुए थे राकेश शर्मा जबकि समुद्र में उतरा शुभांशु शुक्ला का ड्रैगन कैप्सूल; जानिए क्या थी वजह और अब क्यों होता है ऐसा
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, आज अंतरिक्ष की 18 दिनों की यात्रा पूरी कर वापस लौटे हैं। उन्होंने स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर कैलिफोर्निया के तट के पास समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग की।
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भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, आज अंतरिक्ष की 18 दिनों की यात्रा पूरी कर वापस लौटे हैं। उन्होंने स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर कैलिफोर्निया के तट के पास समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग की। यह एक "स्प्लैशडाउन" लैंडिंग थी, यानी कैप्सूल सीधे महासागर में उतरा। इससे पहले 2024 में, अमेरिका की ही एक और उड़ान बोइंग का स्टारलाइनर, न्यू मैक्सिको के व्हाइट सैंड्स स्पेस हार्बर में जमीन पर उतरा था। हालांकि समुद्र में उतरना हर बार आसान और सुरक्षित नहीं होता, फिर भी अमेरिका के स्पेस मिशन अकसर समुद्र में उतरते हैं, जबकि रूस और चीन जमीन पर लैंडिंग को प्राथमिकता देते हैं। दरअसल, यह अंतर मुख्य रूप से स्पेसक्राफ्ट की डिजाइन, क्षमता और रिकवरी ऑपरेशन की योजनाओं पर निर्भर करता है।
पानी में उतरने का एक बड़ा फायदा यह है कि स्पेसक्राफ्ट के मलबे को पहले ही समुद्र में गिरा दिया जाता है, जिससे जमीन पर मौजूद लोगों और संपत्ति को नुकसान पहुंचने का खतरा काफी हद तक टल जाता है। लेकिन 2024 में एक घटना ने इस धारणा को चुनौती दी। जब स्पेसएक्स ड्रैगन के एक मिशन का ट्रंक मलबा ऑस्ट्रेलिया और कनाडा तक जाकर गिरा, जो यह दिखाता है कि जोखिम अभी भी बने रहते हैं।
जमीन पर जोरदार टकराव पैदा कर सकता है शारीरिक असुविधा
हालांकि जमीन पर उतरना अधिक सटीक होता है, लेकिन इसकी भी अपनी चुनौतियां हैं। खासकर जब चालक दल शून्य गुरुत्वाकर्षण से हो कर वापस आते हैं तो जमीन पर जोरदार टकराव उनके लिए शारीरिक असुविधा पैदा कर सकता है। फिर भी, रूसी सोयूज और चीनी शेनझोउ मिशन दशकों से जमीन पर लैंडिंग करते आ रहे हैं। इसके पीछे का कारण ये है कि कजाकिस्तान और मंगोलिया के आंतरिक हिस्से समतल और आबादी से दूर हैं, जहां रिकवरी ऑपरेशन अपेक्षाकृत आसान होता है।
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राकेश शर्मा की थी ऐतिहासिक वापसी
करीब 41 साल पहले, अप्रैल 1984 में, भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा सोवियत संघ के सैल्यूट 7 अंतरिक्ष स्टेशन से लौटे थे। उनका स्पेसक्राफ्ट सोयूज टी-10 कजाकिस्तान के अर्कालिक क्षेत्र में दलदले मैदानों में उतरा था।
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शुभांशु शुक्ला की सुरक्षित वापसी
आज शुभांशु शुक्ला की वापसी ने एक नया अध्याय जोड़ा है। समुद्र में उतरने का निर्णय सुरक्षा, आराम और संचालन की दृष्टि से लिया गया, ताकि चालक दल की रिकवरी सहज हो सके। यह दिखाता है कि भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के मिशन अब न केवल वैश्विक भागीदारी का हिस्सा बन रहे हैं, बल्कि तकनीकी निर्णयों में भी प्रगति कर रहे हैं।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 15 July 2025 at 23:27 IST