अपडेटेड 1 February 2023 at 15:35 IST
Shaligram Puja Niyam: क्या शालिग्राम भगवान विष्णु का ही रूप है? घर के मंदिर में स्थापित करते वक्त रखें इन बातों का ध्यान
Shaligram : क्या आपको पता है, गंडक नदी के किनारे रखी शिला पर भगवान विष्णु की दशावतारों के छाप कैसे पड़े और कैसे शालिग्राम की रचना हुई?
- भारत
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Know about Shaligram Shila: शालिग्राम शिला कोई आम शिला नहीं है। धार्मिक आधार पर इसका प्रयोग परमेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में भगवान का आह्वान करने के लिए किया जाता है। शालिग्राम आमतौर पर पवित्र नदी की तली या किनारों से एकत्र किया जाता है। वैष्णव (हिंदू) पवित्र नदी गंडकी में पाया जानेवाला एक गोलाकार, आमतौर पर काले रंग के एमोनोइड (Ammonoid) जीवाश्म को विष्णु के रूप में पूजते हैं। शालिग्राम भगवान विष्णु का प्रसिद्ध नाम है।
लगभग 33 प्रकार के शालिग्राम होते हैं, जिनमें से 24 प्रकार के शालिग्राम को भगवान विष्णु के 24 अवतारों से संबंधित माना जाता है। मान्यता है कि ये सभी 24 शालिग्राम साल की 24 एकादशी व्रत से संबंधित हैं।
भगवान विष्णु के अवतारों का प्रतीक है शालिग्राम
भगवान विष्णु के अवतारों के अनुसार, शालिग्राम यदि गोल है तो वह भगवान विष्णु का गोपाल रूप है। मछली के आकार का शालिग्राम श्रीहरि के मत्स्य अवतार का प्रतीक माना जाता है। यदि शालिग्राम कछुए के आकार का है तो इसे विष्णुजी के कच्छप और कूर्म अवतार का प्रतीक माना जाता है। शालिग्राम पर उभरनेवाले चक्र और रेखाएं विष्णुजी के अन्य अवतारों और श्रीकृष्ण रूप में उनके कुल को दर्शाती है।
पूजन का शुभ फल
स्कन्द पुराण के अनुसार शालिग्राम और तुलसी की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। प्रतिवर्ष कार्तिक मास की द्वादशी को तुलसी और शालिग्राम की पूजा की जाती है। इस पूजा का फल व्यक्ति के समस्त जीवन में पुण्यों और दान के फल के बराबर होता है, लेकिन एक बात का खास ध्यान रखने की जरुरत है, अगर आप घर के मंदिर में शालिग्राम स्थापित करके पूजा करना चाहते हैं तो आपको कुछ अहम बातों का ध्यान रखना होगा।
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इन बातों का रखें ध्यान
मान्यता है कि घर में शालिग्राम शिला रखने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार घर के मंदिर में शालिग्राम रखते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए नहीं तो कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
घर के मंदिर में अगर शालिग्राम स्थापित है, तो आपको शाकाहारी खाना ही खाना चाहिए। शालिग्राम कभी भी दूसरों के पैसों से नहीं खरीदना चाहिए।पूजा में सफेद चावल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, हमेशा पिले चावल चढ़ाएं। घर के मंदिर में शालिग्राम तभी स्थापित करें जब आप हर रोज शिला की पूजा कर सकें। अगर किसी कारणवश पूजा नहीं कर पा रहे हैं, तो माफी मांगते हुए जल में प्रवाहित कर दें।
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शालिग्राम कथा
भगवान विष्णु जी का शालिग्राम पत्थर में परिवर्तित होने के पीछे खई कथाएं हैं, जिनसें से एक कथा के बारे में हम आपको बता रहे हैं। एक बार मां लक्ष्मी और सरस्वती के बीच लड़ाई हो गई और गुस्से में माता सरस्वती ने लक्ष्मी को श्राप दिया कि तुम धरती का एक पौधा बन जाओ। मां लक्ष्मी स्वर्ग से पृथ्वी पर तुलसी के पौधे के रूप में विराजमान हो गई। मां लक्ष्मी को स्वर्ग में ले जाने के लिए भगवान विष्णु गंडक नदी में उनका इंतजार कर रहे थे, उस नदी के कुछ शिला पर भगवान विष्णु की दशावतारों के छाप पड़ गए और वे पत्थर शालिग्राम के नाम से प्रसिद्ध हुए।
Published By : Rashmi Agarwal
पब्लिश्ड 1 February 2023 at 15:30 IST