अपडेटेड 25 April 2025 at 20:40 IST
Pahalgam: कान खोलकर सुन लो शहबाज... एक बूंद पानी पाकिस्तान नहीं जाएगा- अमित शाह के साथ जलशक्ति मंत्री की बैठक में बड़ा फैसला
अमित शाह के साथ एक अहम बैठक के जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने बताया कि भारतीय नदियों के पानी को पाकिस्तान जाने से रोकने के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया है।
- भारत
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Pahalgam Terror Atteck : पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ताबड़तोड़ एक्शन लेने शुरू कर दिया है। भारत ने सिंधु नदी जल समझौते को रद्द कर अब पाकिस्तान को बूंद-बूंद पानी को तरसाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसीक्रम में शुक्रवार को गृहमंत्री अमित शाह ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल के साथ अहम बैठक की। बैठक के अंदर प्लान ऑफ एक्शन तैयार किया गया कि भारत की नदियों का एक भी बूंद पानी पाकिस्तान को न जाए।
गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक अहम बैठक के जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने बताया कि भारतीय नदियों के पानी को पाकिस्तान जाने से रोकने के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया है। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि नदियों की सफाई समेत अन्य तत्काल कदमों को प्राथमिकता दी जा रही है।
पानी रोकने पर तत्काल प्रभाव से काम शुरू
पाटिल ने कहा, "केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक में एक रोडमैप तैयार किया गया। बैठक में तीन विकल्पों पर चर्चा की गई। सरकार अल्पकालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक उपायों पर काम कर रही है ताकि पानी की एक बूंद भी पाकिस्तान न जाए। जल्द ही नदियों की सफाई की जाएगी ताकि पानी को रोका जा सके और उसका रुख बदला जा सके।" पहलगाम में आतंकी हमले के बाद बढ़ते तनाव के बीच यह कदम उठाया गया है।
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सिंधु जल संधि के स्थगन से पाकिस्तान को कितना नुकसान हो सकता है?
कृषि पर प्रभाव: पाकिस्तान की लगभग 80% सिंचित भूमि सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। यदि जल आपूर्ति बाधित होती है, तो गेहूं, चावल और कपास जैसी मुख्य फसलों की पैदावार में भारी गिरावट आ सकती है। इसका सीधा असर खाद्य संकट पर पड़ेगा, जिससे किसानों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है और ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी तेजी से बढ़ सकती है।
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अर्थव्यवस्था और ऊर्जा संकट: सिंधु नदी पर आधारित जल विद्युत परियोजनाएं जैसे कि तरबेला और मंगला डैम पाकिस्तान की कुल बिजली का लगभग 30% उत्पादन करती हैं। अगर नदी का बहाव रोका गया या उसमें कटौती हुई, तो बिजली उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा और देश को गंभीर ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ सकता है।
शहरी इलाकों पर जनसंख्या दबाव: ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि संकट बढ़ने से लोग बड़े पैमाने पर शहरों की ओर पलायन कर सकते हैं। इससे पहले से ही भीड़भाड़ झेल रहे लाहौर, कराची जैसे महानगरों पर जनसंख्या का भारी दबाव पड़ेगा और शहरी सेवाओं पर असर दिखेगा।
भूमि की उर्वरता में गिरावट: जल की कमी से सिंचाई घटेगी, जिससे मिट्टी में लवणता (salinity) बढ़ेगी। यह भूमि को धीरे-धीरे बंजर बना सकती है। यह समस्या पहले ही पाकिस्तान की 43% कृषि भूमि को प्रभावित कर रही है और जल संकट से स्थिति और बिगड़ सकती है।
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने का निर्णय पाकिस्तान के लिए केवल एक जल या ऊर्जा संकट नहीं होगा, बल्कि यह उसकी खाद्य सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और सामाजिक स्थिरता को भी गहरे स्तर पर प्रभावित करेगा। साथ ही, यह भारत की ओर से आतंकवाद के खिलाफ एक सख्त संदेश भी होगा कि अब जवाब सिर्फ शब्दों से नहीं, ठोस कदमों से दिया जाएगा।
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 25 April 2025 at 20:24 IST