अपडेटेड 23 January 2024 at 10:50 IST

'6 दिसंबर 1992, मसूरी का वो सर्द दिन...केसर पेड़ा फिर नोटिस'- IAS ने सोशल मीडिया पर जाहिर किए जज्बात

एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोशल मीडिया पर 6 दिसंबर 1992 (Ayodhya) को याद किया है। क्या किया था और कैसे? ये सोशल पोस्ट पर साझा किया।

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वरिष्ठ आईएएस ने याद किया 1992 का वो दौर | Image: Facebook/x

Ram Mandir: IAS Post Jai Shri Ram रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। देश दुनिया राम नाम के जयकारे लगा रही है। कुछ अपने मनोभाव सोशल पोस्ट के जरिए जाहिर कर रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं सीनियर आईएएस मनीषा। 

फेसबुक पर ‘जय श्री राम’ के नारे के साथ रविवार को एक पोस्ट में महाराष्ट्र की अतिरिक्त मुख्य सचिव (लोक निर्माण विभाग) मनीषा पाटणकर म्हैसकर ने अयोध्या में ढहाई गई मस्जिद की जगह राम मंदिर के उद्घाटन का संदर्भ देते हुए बैच के प्रशिक्षण के समय को याद किया।

मसूरी का वो सर्द दिन

उन्होंने पोस्ट में कहा, ‘‘छह दिसंबर 1992 को मसूरी में एक बहुत ठंडा दिन था। 1992 बैच के आईएएस अपने फाउंडेशन कोर्स में थे। धीरे-धीरे अयोध्या में राम जन्मभूमि से संबंधित घटनाक्रम की खबरें आ रही थीं। तुरंत एक बैठक आयोजित की गई थी। बेहद सावधानी से इसका आयोजन करने के साथ केवल निमंत्रण के द्वारा इसमें शामिल होने के लिए बुलाया गया।’’

और लगे जय श्री राम के नारे

उन्होंने पोस्ट में कहा, ‘‘नागपुर से जुड़ाव के कारण मुझे भी आमंत्रित किया गया। बैठक स्थल पर कुछ प्रशिक्षु अधिकारी जय श्री राम का नारा लगा रहे थे। मुझे याद है कि मैंने एक पूरा केसर पेड़ा खाया था। छह दिसंबर 1992 की बेहद ठंडी रात में, मुझे यह पता था अयोध्या में जो कुछ हुआ, वह बहुत सकारात्मक, बहुत जोरदार और बहुत शुभ चीज की शुरुआत थी।’’

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लुटियंस दिल्ली को लेकर दागे सवाल

नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख्यालय है। विदर्भ के सबसे बड़े इस शहर का हिंदुत्व से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख स्थान है। आईएएस अधिकारी ने कहा कि उनके जश्न की खबर हालांकि लीक हो गई और बैठक में शामिल होने वालों को नोटिस जारी किया गया। पाटणकर म्हैसकर ने पोस्ट में कहा, ‘‘1992 के बैच को निराशाजनक करार दिया गया था, जिसमें मुख्य रूप से सहज ही उग्र होने वाले छोटे शहरों के युवा थे। लुटियंस के पॉश, स्मार्ट, विशेषाधिकार प्राप्त बच्चों और उनके जैसे लोगों के साथ क्या हुआ था? धर्मनिरपेक्षता के साथ क्या हो रहा है? ’’

विश्वास कायम रहा

उन्होंने कहा कि जीवन ‘‘अपने सभी उतार-चढ़ावों के साथ’’ जारी रहा, लेकिन ‘‘विश्वास कायम रहा’’ कि छह दिसंबर, 1992 की घटनाएं ‘‘कुछ जोरदार, कुछ सकारात्मक, कुछ शुभ’’ की शुरुआत थीं। आईएएस अधिकारी ने पोस्ट को यह कहते हुए समाप्त किया कि उन्होंने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पूर्व संध्या पर केसर पेड़ा खाया और ‘‘छह दिसंबर के महत्वपूर्ण क्षण’’ को सकारात्मक तरीके से याद किया।

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(PTI इनपुट के साथ)

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Published By : Kiran Rai

पब्लिश्ड 23 January 2024 at 09:59 IST