अपडेटेड 10 July 2024 at 14:21 IST
उच्चतम न्यायालय ने एक गैर सरकारी संगठन की ओर से दायर उस जनहित याचिका पर अपना फैसला बुधवार को सुरक्षित रख लिया जिसमें देश में बाल विवाह के मामले बढ़ने और संबंधित कानून का ठीक क्रियान्वयन नहीं हो पाने का आरोप लगाया गया था।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता ‘सोसाइटी फॉर एनलाइटनमेंट एंड वॉलंटरी एक्शन’ के वकील और केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी की दलीलें सुनीं और इसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
केन्द्र ने दावा किया कि देश में बाल विवाह के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है। इससे पहले शीर्ष अदालत ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को बाल विवाह निषेध अधिनियम को क्रियान्वित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
पब्लिश्ड 10 July 2024 at 14:21 IST