अपडेटेड 16 October 2025 at 00:09 IST

भारत का वर्चस्व देखा नहीं जा रहा, इसलिए सनातन को चारों ओर से रोकने का प्रयास हो रहा, जो सफल नहीं होगा- स्वामी अवधेशानंद गिरी

रिपब्लिक भारत के 'राष्ट्र सर्वोपरि सम्मेलन' में स्वामी अवधेशानंद गिरी ने सनातन की बात आती है। सनातन सत्य है, शाश्वत है, नित्य प्रासंगिक है।

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swami avdheshanand giri | Image: Republic
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रिपब्लिक भारत के 'राष्ट्र सर्वोपरि सम्मेलन' में स्वामी अवधेशानंद गिरी ने सनातन परंपरा की बात आती है। उन्होंने कहा कि इस सनातन परंपरा को हम आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन इसे शक्तियां रोक रही हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि स्वामी अवधेशानंद गिरी ने कहा आगे क्या कहा?

स्वामी अवधेशानंद गिरी ने सनातन परंपरा को लेकर कही ये बात

सनातन सत्य है, शाश्वत है, नित्य प्रासंगिक है, समीचीन है और वह एक अखंड प्रवाह है। जब आप सनातन की बात करते हैं तो सनातन वह सत्ता है जो धरती, अंबर, अग्नि, जल, वायु, निहारिका नक्षत्रों का संचालन करती है। हम्म जब आप सनातन की बात करते हैं तो सनातन का अर्थ है प्राण पवन प्रकाश आकाश धरा की उर्वरा अंबर से आने वाली ऊर्जा और जो कुछ भी अनंत है नित्य है और अत्यंत सामर्थ्यवान है वह सनातन है। 

पर जब आप मुझसे पूछ रहे हैं कि इसे रोकने की बात है तो लगभग 1000 वर्षों से प्रहार है हमारे जीवन पर हमारी पर्व परंपराओं पर हमारे मान बिंदुओं पर विशेषकर हमारी उपासना पद्धति पर और हमारी धरती पर यह प्रहार अभी का नहीं है। यह लगभग 1000 वर्षों का है और वो निरंतर अविछिन्न आबाद है। वह आज भी उतना ही प्रचंड है और पहले वो कुछ दिखता था प्रहार उस प्रकार के आक्रमण अतता येई आक्रांत आए यहां लेकिन अब वो छदम वेश में है अब वो हैं तो वो दिखाई नहीं दे रहे हैं वो अलग तरह के नरेटिव खड़ा करके एकेडमिया को भ्रमित करते हुए अथवा तो हमारे युवाओं को या सोशल मीडिया के माध्यम से विविध प्रकार के उनके प्रयोग हैं। वो एक ऐसा नरेटिव कि किस तरह से सनातन के सत्य को छुपाया जा सके लेकिन सनातन सत्य है और वह सूर्य है।

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भारत तीसरी आर्थिक व्यवस्था बनने को है तैयार -  स्वामी अवधेशानंद 

स्वामी अवधेशानंद गिरी ने कहा कि आज भारत तीसरी आर्थिक व्यवस्था बनने को तैयार है। 2027 में ऐसा होने वाला है और जिस प्रकार से हम आगे बढ़ रहे हैं तो हमारी आर्थिक प्रगति नहीं देखी जा रही है। हमारी सैन्य संपदा नहीं देखी जा रही है। हमारी सामरिक नीतियां अथवा तो हमारी विदेश की कूटनीति हमारे देश के शासक का प्रभुत्व नेतृत्व उसका वर्चस्व और उसके द्वारा एक कुशल नेतृत्व के साथ-साथ जो भारत में आज एक वातावरण बना है एकता का सामाजिक समरसता का कि पिछले 10 वर्षों में यहां कोई दंगे नहीं हुए हैं। यहां कोई उन्माद नहीं हुआ है। किसी प्रकार का यहां कोई खंडित करने वाली शक्तियां नहीं पनप सकती है।

राष्ट्र सर्वोपरि सम्मेलन को कामयाब बनाने में हमारे इन पार्टनर्स का अहम योगदान  

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Published By : Aarya Pandey

पब्लिश्ड 16 October 2025 at 00:07 IST