अपडेटेड 22 October 2025 at 22:20 IST
महाराष्ट्र में MVA को झटका, समाजवादी पार्टी ने छोड़ा साथ, अबू आजमी बोले- जो उत्तर भारतीयों का अपमान करते हैं...
महाराष्ट्र में सपा का इतिहास आमतौर पर कांग्रेस या एनसीपी के साथ गठबंधन करने के बजाय अकेले या कुछ क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ चुनाव लड़ने का रहा है।
- भारत
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समाजवादी पार्टी (SP) की महाराष्ट्र इकाई ने महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन से अपना संबंध तोड़ने का एलान कर दिया है। महाराष्ट्र सपा के अध्यक्ष अबू आजमी ने स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी अब MVA का हिस्सा नहीं रहेगी और आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) चुनाव अकेले ही लड़ेगी, किसी अन्य दल के साथ कोई चुनावी गठबंधन नहीं करेगी।
अबू आजमी ने क्या कहा?
आजमी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (X) पर एक तीखा बयान जारी करते हुए कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और MVA के अन्य घटक दलों पर निशाना साधा। उन्होंने गठबंधन से अलग होने का कारण इन दलों की कथित सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति को बताया। आजमी ने उन नेताओं की कड़ी आलोचना की जिन्होंने 19 साल जेल में रहने के बाद बेकसूर मुसलमानों के बरी होने पर आपत्ति जताई, लेकिन मालेगांव धमाकों के सांप्रदायिक आरोपियों की रिहाई पर चुप्पी साधे रहे।
उन्होंने उन ताकतों को भी आड़े हाथों लिया, जो "बाबरी मस्जिद को गिराए जाने पर गर्व व्यक्त करते हैं," और जो भाषाई व क्षेत्रीय हिंसा को बढ़ावा देते हुए उत्तर भारतीयों और बिहारियों का अपमान करते हैं। आजमी ने साफ किया कि समाजवादी पार्टी "न्याय, धर्मनिरपेक्षता, संवैधानिक मूल्यों और गंगा-जमुनी तहजीब की राजनीति करती है," और इसलिए वह ऐसे किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बन सकती जिसमें "नफरत फैलाने वाली और देश को तोड़ने वाली ताकतें शामिल हों।"
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महाराष्ट्र में सपा का इतिहास आमतौर पर कांग्रेस या एनसीपी के साथ गठबंधन करने के बजाय अकेले या कुछ क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ चुनाव लड़ने का रहा है। हालांकि, मुंबई, पुणे और औरंगाबाद जैसे बड़े शहरों में पार्टी की पकड़ कमजोर है, लेकिन उत्तर महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के कुछ नगर निगम क्षेत्रों में उसकी उपस्थिति दर्ज है। स्थानीय निकाय चुनावों में सपा ने कुछ सीटें जीती हैं, जिसका मुख्य वोट बैंक उत्तर भारतीय और मुस्लिम समुदाय में माना जाता है।
MVA से नाता तोड़ने के बाद, सपा की रणनीति इस बार कुछ चुनिंदा नगर निगमों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपना राजनीतिक दमखम दिखाने की है। पार्टी का लक्ष्य केवल सीटें जीतना नहीं है, बल्कि अपने कोर वोट बैंक को सक्रिय रखना और भविष्य की राजनीति के लिए अपना प्रभाव बनाए रखना भी है।
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Published By : Subodh Gargya
पब्लिश्ड 22 October 2025 at 22:20 IST