अपडेटेड 16 June 2024 at 11:22 IST

मायावती बहुजन आंदोलन से विमुख हो गईं: बसपा के संस्थापक सदस्य आर के चौधरी

आरके चौधरी ने हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में बसपा की करारी पराजय के लिए पार्टी प्रमुख मायावती की बहुजन आंदोलन से विमुखता को जिम्मेदार ठहराया।

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sp leader rk chaudhary and bsp chief mayawati
मायावती पर आरके चौधरी ने बड़ा बयान दिया। | Image: ANI

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापकों में शुमार समाजवादी पार्टी (सपा) के मौजूदा सांसद आर. के. चौधरी ने हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में बसपा की करारी पराजय के लिए पार्टी प्रमुख मायावती की बहुजन आंदोलन से विमुखता को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 'पीडीए' (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) के नारे के साथ बहुजन की मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं।

उत्‍तर प्रदेश की मोहनलालगंज सीट से सपा के नवनिर्वाचित सांसद चौधरी ने रविवार को 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में बसपा के गिरते ग्राफ तथा पार्टी के संस्थापक कांशीराम के मिशन के भविष्य समेत विभिन्न विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस वक्त उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति नेतृत्वविहीन हो चुकी है लेकिन आने वाले समय में सपा कांशी राम द्वारा जगायी गयी बहुजनवाद की अलख को परवान चढ़ायेगी।

लोकसभा चुनाव में बसपा को एक भी सीट नहीं मिलने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने मायावती पर निशाना साधते हुए कहा, ''मायावती जी हमारी नेता रही हैं। हम उनका सम्मान करते हैं। मगर कांशीराम जी का आंदोलन अगर किसी ने खत्म किया है तो वह बहन जी (मायावती) ने ही खत्म किया है और उस आंदोलन को आगे बढ़ाने के रास्ते पर अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चलना शुरू किया है।''

हालिया लोकसभा चुनाव में सपा को दलितों का भी काफी वोट मिलने का दावा करते हुए उन्होंने कहा, ''बहुजन समाज पार्टी के समर्थकों के वोट इस बार बिना मांगे सपा को मिले हैं। कहीं 50 प्रतिशत तो कहीं 60प्रतिशत मिले। यह बहुत बड़ी बात है और मान्यवर कांशीराम ने जो अलख जगायी है उसे आने वाले समय में निश्चित रूप से अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी पूरा करेगी।''

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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में चार बार सरकार बना चुकी बसपा हाल ही में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में 10 सीटें जीतने वाली बसपा का वोट शेयर भी पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले 10 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट के साथ 9.39 फीसद रहा।

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बसपा के संस्थापकों में शामिल रहे आर.के. चौधरी की गिनती उत्तर प्रदेश के प्रमुख दलित नेताओं में की जाती है। बसपा की नींव रखने वाले कांशीराम के बेहद करीबी सहयोगी रहे चौधरी प्रदेश की पूर्ववर्ती बसपा सरकारों में चार बार मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने हाल ही में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में मोहनलालगंज सीट पर सपा प्रत्याशी के रूप में केन्द्रीय मंत्री भाजपा के कौशल किशोर को 70 हजार से अधिक मतों से हराया था। चुनाव में बसपा उम्‍मीदवार राजेश कुमार को 88 हजार 461 वोट मिले और वह तीसरे स्‍थान पर रहे।

बसपा के ग्राफ में गिरावट के बीच उत्तर प्रदेश में खांटी दलित राजनीति का क्या भविष्य है, इस सवाल पर चौधरी ने कहा, ''जब कांशीराम थे तब बाबा साहब आंबेडकर का मिशन चलाने में वह सक्षम थे, मगर तब बहुजन समाज तैयार नहीं था। आज यह समाज संविधान और आरक्षण के बारे में जानता है लेकिन अब कोई उनका नेता नहीं है। जहां तक खांटी दलित नेतृत्व की बात है तो मुझे लगता है की जगह खाली है और जो भी इसमें प्रयास करेगा वह नेतृत्व करेगा।''

उन्होंने वर्तमान में सपा को दलितों की रहनुमा बताते हुए कहा, ''दलित बाबा साहब आंबेडकर को मानता है, उतना ही कांशीराम जी को भी मानता था। अब कांशीराम रहे नहीं तो दलित ठगा सा रह गया और आज सोच रहा है कि क्या किया जाए।’’ उन्होंने कहा,‘‘ मुझे लगता है कि कभी नारा लगता था कि जो बहुजन की बात करेगा, वही दिल्ली से राज करेगा। अब नारा लगना शुरू हो गया है कि जो पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की बात करेगा वही दिल्ली से राज करेगा।''

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में पीडीए का नारा देते हुए कहा था कि सपा इन वर्गों की लड़ाई को आगे बढ़ाएगी। चौधरी ने कहा, ''पहले नारा लगता था कि बाबा (आंबेडकर) तेरा मिशन अधूरा, कांशीराम करेंगे पूरा। मिशन तो चल रहा है लेकिन कांशीराम जी अब हैं नहीं। तो अब नारा हो गया है कि बाबा तेरा मिशन अधूरा, हम सब मिलकर करेंगे पूरा।'' चौधरी ने कहा, ''जो रास्ता बसपा संस्थापक कांशीराम ने निकाला था कि बहुजन समाज को इकट्ठा करके एक ताकत बनाई जाए। हम सबके नेता अखिलेश यादव ने वही रास्ता पकड़ कर पीडीए की बात की है। यह वह समाज है जो सदियों से लुटा-पिटा, कमजोर और लाचार है। पीडीए बनने के बाद बदलाव का सिलसिला शुरू हुआ है। यह आगे बढ़ेगा।''

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उन्होंने कहा, ''लक्ष्य तो यही था कि हम भाजपा सरकार को केंद्र की सत्ता से हटा देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मगर हम भाजपा को जो झटका देना चाहते थे, उसमें हम कामयाब रहे हैं। पहले केंद्र में भाजपा की मजबूत सरकार हुआ करती थी लेकिन अब मजबूर सरकार है। देर-सवेर छह महीने के अंदर यह सरकार गिरेगी और इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) गठबंधन की सरकार बनेगी।''

लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के बारे में पूछे जाने पर पूर्व मंत्री ने कहा, ''भाजपा देश में हिंदू मुसलमान की राजनीति ही करती है। भाजपा को इस चुनाव में अपनी इस राजनीति का खामियाजा भुगतना पड़ा है। आने वाले दिनों में अगर उसने ये बंद नहीं किया तो उसे और खामियाजा उठाना पड़ेगा।''

Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 16 June 2024 at 11:22 IST