अपडेटेड 7 November 2024 at 09:56 IST
'ब्रेन में सूजन,आंखों से कम दिखना', बिगड़ी प्रज्ञा ठाकुर की हालत; कांग्रेस को चेतावनी-जिंदा रही तो..
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की हालत बिगड़ रही है। साध्वी प्रज्ञा के ब्रेन में सूजन और आंखों से कम दिखने लगा है। पूर्व सांसद ने खुद ये दावा किया है।
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Sadhvi Pragya Singh Thakur: भोपाल की पूर्व सांसद और भारतीय जनता पार्टी की नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की हालत बिगड़ रही है। साध्वी प्रज्ञा के ब्रेन में सूजन और आंखों से कम दिखने लगा है। कानों से कम सुनना और बोलने में असंतुलन होने लगा है। पूर्व सांसद ने ये दावा खुद किया है। अपनी खराब हालत के लिए उन्होंने कांग्रेस को दोषी ठहराया है और अभी चेतावनी दी है कि वो जिंदा रही हैं तो कोर्ट जाएंगी।
पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने अपनी एक तस्वीर शेयर की है, जिसमें उनका चेहरा तनावपूर्ण दिख रहा है। साध्वी प्रज्ञा ने 'X' पर किए एक पोस्ट में लिखा- 'कांग्रेस का टॉर्चर सिर्फ ATS कस्टडी तक ही नहीं, मेरे जीवन भर के लिए मृत्यु दाई कष्ट का कारण हो गए। ब्रेन में सूजन, आंखों से कम दिखना, कानों से कम सुनना, बोलने में असंतुलन, स्टेरॉयड और न्यूरो की दवाओं से पूरे शरीर में सूजन एक हॉस्पिटल में उपचार चल रहा है। जिंदा रही तो कोर्ट अवश्य जाउंगी।'
मालेगांव विस्फोट में साध्वी को बनाया गया था आरोपी
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव शहर के नासिक शहर में एक मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटक उपकरण के फटने से 6 लोग मारे गए और 100 से अधिक अन्य घायल हो गए थे। मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाम आरोपियों में शामिल था। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर बार-बार दावा करती रही हैं कि कस्टडी के दौरान उन पर काफी अत्याचार हुआ। तभी से वो फिजिकली ठीक नहीं रही हैं। इसके लिए वो कांग्रेस की सरकार और एटीएस की प्रताड़ना को जिम्मेदार मानती रही हैं।
NIA कोर्ट ने प्रज्ञा के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया
साध्वी प्रज्ञा ने कुछ समय पहले अपनी खराब हेल्थ के चलते 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट मामले में अदालत में उनकी उपस्थिति से छूट के लिए आवेदन दायर किया था। अदालत ने सिर्फ मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उन्हें छूट भी दी थी। हालांकि हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत ने साध्वी प्रज्ञा को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के सिलसिले में जमानती वारंट जारी किया है।
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मामले में आरोपी ठाकुर अदालत की कार्यवाही के लिए उपस्थित नहीं हुईं, जिसके बाद अदालत ने उनकी उपस्थिति की मांग की। वारंट 13 नवंबर तक 'वापस करने योग्य' है, जिसका अर्थ है कि वारंट रद्द करने के लिए ठाकुर को उस तिथि तक अदालत में उपस्थित होना चाहिए।
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Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 7 November 2024 at 09:56 IST