अपडेटेड 13 October 2025 at 19:06 IST
सद्गुरु, सुनीता विलियम्स और अंतरिक्ष वैज्ञानिक काव्या मान्यापु ने विज्ञान और अध्यात्म के अंतर्संबंध पर की चर्चा
Sadhguru: सुनीता विलियम्स ने आगे कहा, “मेरे पास पूरी तरह से उपस्थित रहने के लिए नौ महीने थे। पृथ्वी पर वापस आना सबसे कठिन एडजस्टमेंट में से एक था। यहां, हम लगातार व्यवधानों से घिरे रहते हैं, जिससे खुद के और अपने कार्यों के प्रति पूरी तरह से जागरूक रहना मुश्किल हो जाता है। अंतरिक्ष में होने का वह वाकई खूबसूरत पहलू था।”
- भारत
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Sadhguru: चेतना, विज्ञान, आध्यात्मिकता और वैश्विक प्रभाव 2025 कार्यक्रम के दूसरे दिन, सद्गुरु ने दो खास लोगों से चर्चा की है। जी हां, उन्होंने नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और नासा की अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. काव्या मन्यापु के साथ एक गहन बातचीत की है। इस कार्यक्रम का आयोजन हार्वर्ड टीचिंग स्कूल के बेथ इजरायल डीकॉन्स में सद्गुरु सेंटर फॉर कॉन्शियस प्लैनेट (SCCP) ने किया था।
"सचेतन अंतरिक्ष अन्वेषण" विषय पर आधारित इस सत्र में, ब्रह्मांड को समझने की इंसान की बाहरी तलाश और स्वयं को जानने की उसकी आंतरिक लालसा पर विचार किया गया। यह दो दिवसीय सम्मेलन 11 और 12 अक्टूबर, 2025 को आयोजित किया गया था, जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों के जाने-माने वक्ताओं ने मानवता के भविष्य को आकार देने में चेतना की अहम भूमिका पर चर्चा की।
'अन्वेषण' का मतलब अज्ञात क्षेत्र में यात्रा - सद्गुरु
चर्चा के बाद सोशल मीडिया X पर सद्गुरु ने कहा, "'अन्वेषण' का मतलब अज्ञात क्षेत्र में यात्रा है - चाहे वह अंदर की ओर हो या बाहर की ओर। इन दोनों के बीच अंतर यह है: आप विशुद्ध ज्ञान के लिए अंदर देखते हैं। आप असर, उपयोगिता या इस्तेमाल के लिए बाहर देखते हैं। दोनों ही जानने की मानवीय लालसा के बारे में हैं। अंतर केवल उन सीमाओं की तीव्रता में है जिन्हें तोड़ना हम चुनते हैं। अंतरिक्ष अन्वेषण में लगी ये दो अद्भुत महिलाएं - सुनीता विलियम्स और काव्या मन्यापु - मानवीय क्षमता और दृढ़ संकल्प की जबरदस्त संभावना को दर्शाती हैं। बधाई और शुभकामनाएं।"
बातचीत के दौरान सद्गुरु ने उन चुनौतियों पर प्रकाश डाला जिनका सामना तकनीकी क्षमताओं के बढ़ने से मानवता को करना पड़ता है। उन्होंने कहा, "आपको यह समझना चाहिए कि जैसे-जैसे आप अधिक सशक्त होते जाते हैं, आपको अधिक समावेशी बनना चाहिए। वरना, आप अपने और सबके लिए आपदा हैं।" उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हमारी मानसिकता विभाजित रहती है - 'हम' बनाम 'वे' देखती है - तो मानवता अपने विभाजनों को अंतरिक्ष में भी ले जाने का जोखिम उठाती है, जहां प्रतिस्पर्धा से कहीं अधिक सहयोग हासिल किया जा सकता है।
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उन्होंने सांसारिक संघर्षों को अंतरिक्ष में ले जाने के खिलाफ चेतावनी दी: “हमने अपने मतभेदों में बहुत अधिक निवेश किया हुआ है, और वे मतभेद भेदभाव में बदल गए हैं - गंभीर भेदभाव जहां मैं तुम्हें मारने को तैयार हूं। इस स्तर के भेदभाव के साथ, अधिक सशक्त होना ज्यादा खतरनाक होता जा रहा है।”
उन्होंने आगे कहा, “जब हम इस ग्रह को छोड़ते हैं, तो हमें अपने मतभेदों को पीछे छोड़ना होगा। चाहे हम काले हों या गोरे, पुरुष हों या महिला, अमेरिकी हों या कोई और - उसे पीछे छोड़ना होगा। अंतरिक्ष अन्वेषण को जानने की विशुद्ध मानवीय लालसा से प्रेरित होना चाहिए। इसे जानने की अमेरिकी लालसा नहीं होनी चाहिए, न ही जानने की रूसी लालसा; इसे जानने की मानवीय लालसा होनी चाहिए। इसे एक सहयोग बनना चाहिए।”
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पृथ्वी पर वापस आना सबसे कठिन एडजस्टमेंट में से एक - सुनीता विलियम्स
अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने, जिन्होंने तीन मिशन में कुल 608 दिन अंतरिक्ष में बिताए हैं, पृथ्वी को कक्षा से देखने पर अपनी गहरी भावनाएं साझा कीं। उन्होंने कहा, “जब आप उस नजरिए से पृथ्वी को देखते हैं, तो आपको कोई सीमाएं नहीं दिखतीं। आपको इस विशाल ब्रह्मांड में तैरती हुई एक छोटी सी मिट्टी की गेंद दिखती है - और यही सब कुछ है जिसे हम जानते हैं। यह आपको एहसास कराता है कि हम सब इसमें एक साथ हैं, एक ही घर साझा कर रहे हैं।”
अंतरिक्ष ने उनके अंदर जो एकाग्रता विकसित की है, उस पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि अंतरिक्ष में जाने और अंतरिक्ष में रहने के सबसे बड़े उपहारों में से एक यह क्षमता है कि आप हाथ में इस पल मौजूद कार्य पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित कर सकें।” सुनीता विलियम्स ने आगे कहा, “मेरे पास पूरी तरह से उपस्थित रहने के लिए नौ महीने थे। पृथ्वी पर वापस आना सबसे कठिन एडजस्टमेंट में से एक था। यहां, हम लगातार व्यवधानों से घिरे रहते हैं, जिससे खुद के और अपने कार्यों के प्रति पूरी तरह से जागरूक रहना मुश्किल हो जाता है। अंतरिक्ष में होने का वह वाकई खूबसूरत पहलू था।”
कार्यक्रम के बारे में
चेतना, विज्ञान, आध्यात्मिकता और वैश्विक प्रभाव 2025 सम्मेलन की मेजबानी हार्वर्ड टीचिंग अस्पताल, बेथ इज़राइल डीकॉन्स मेडिकल सेंटर में सद्गुरु सेंटर फॉर कॉन्शियस प्लैनेट (SCCP) ने की थी। SCCP की स्थापना हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में एनेस्थीसिया के प्रोफेसर डॉ. बाल सुब्रमण्यम ने की थी और वही इसके निदेशक हैं।
सद्गुरु के अलावा, सम्मेलन में कमांडर सुनीता विलियम्स और नासा से डॉ. काव्या मन्यापु; न्यूयॉर्क की वेदांत सोसाइटी के आध्यात्मिक अग्रणी स्वामी सर्वप्रियनंदा; ब्रह्मांड विज्ञानी जूड करीवन; इंस्टीट्यूट ऑफ नोएटिक साइंसेज के डॉ. डीन राडेन; हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर विक्रम पटेल; और अन्य प्रमुख वैज्ञानिक, विद्वान, आध्यात्मिक नेता और चेंजमेकर शामिल थे। इस कार्यक्रम ने पृथ्वी की खुशहाली, मानवीय रूपांतरण और चेतना के विस्तृत क्षितिज को संबोधित करने में वैज्ञानिक खोजबीन और आध्यात्मिकता के संगम पर प्रकाश डाला।
Published By : Amit Dubey
पब्लिश्ड 13 October 2025 at 19:06 IST