अपडेटेड 7 October 2025 at 20:31 IST
44 पेज की रिपोर्ट में खुला 'मौत की कफ सिरप' बनाने वाली कंपनी का कच्चा चिट्ठा, अब तक 17 बच्चों की मौत
Cough Syrup Company: इन सभी गंभीर खुलासों के बाद ड्रग्स कंट्रोल अथॉरिटी, तमिलनाडु ने फैक्ट्री का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उत्पादन, बिक्री और वितरण पर तुरंत रोक लगाने का आदेश दिया गया है। साथ ही कंपनी से 10 दिन में जवाब मांगा गया है कि क्यों न उसका लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिया जाए।
- भारत
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Cough Syrup Company, Cough Syrup News: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल में कॉल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से अब तक 17 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस घटना की शुरुआत से एमपी ही नहीं पूरे देश में मामला तूल पकड़ लिया, जिसके बाद सरकार और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा तुरंत इस सिरप पर बैन लगा दिया गया था और इनके स्टॉक को जब्त करने की कार्रवाई शुरू हो गई थी।
अब कॉल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी के खिलाफ कई खुलासे हुए हैं। मिली जानकारी के अनुसार, तमिलनाडु सरकार की 44 पेज की रिपोर्ट आई है। इसमें 17 बच्चों को मौत देने वाली कॉल्ड्रिफ कफ सिरप कंपनी के करीब 350 से अधिक खामियां सामने आई हैं।
44 पेज की रिपोर्ट में सामने आईं 39 गंभीर और 325 बड़ी खामियां
मिली जानकारी के अनुसार, कोल्ड्रिफ् बनाने वाली कंपनी श्रीसेन फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर कांचीपुरम में 39 गंभीर और 325 बड़ी खामियां निकली हैं। तमिलनाडु सरकार की 44 पेज की जांच रिपोर्ट ने उस दवा कंपनी की एक तस्वीर उजागर की है जहां दवा नहीं, जहर तैयार हो रहा था।
कोल्ड्रिफ् सिरप बनाने वाली कंपनी के निरीक्षण ने कई खुलासे किए जिससे पता चलता है कंपनी मौत की दवा बना रही थी। कंपनी ने फार्मास्यूटिकल ग्रेड की बजाय इंडस्ट्रियल ग्रेड प्रोपलीन ग्लाइकोल का इस्तेमाल किया। यह रसायन बिना इनवॉइस अलग-अलग तिथियों पर 50-50 किलो के पैक में खरीदा गया।
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भुगतान नकद या गूगल-पे के माध्यम से किया गया था। खरीदे गए प्रोपलीन ग्लाइकोल में डायथिलीन ग्लाइकोल 48.6 परसेंट और एथिलीन ग्लाइकोल पाए गए जो बेहद विषैले तत्व हैं और इंसानी शरीर के लिए जानलेवा साबित होते हैं। कंपनी ने किसी भी स्तर पर GMP गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया।
कंपनी में दिखी अव्यवस्था और अस्वच्छता
निरीक्षण के दौरान फैक्ट्री में ऐसी अव्यवस्था और अस्वच्छता पाई गई जिसने अधिकारियों को झकझोर दिया। दवाइयों को गंदगी, कीचड़ और कीड़ों से भरे माहौल में बनाया और संग्रहित किया जा रहा था।। शुद्ध जल प्रणाली नहीं थी; कंपनी बाहर से पानी खरीद रही थी। पानी की टंकियां और स्टोरेज टैंक गंदगी से भरे मिले।
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पानी की जांच BIS या फार्माकोपिया मानकों के अनुसार नहीं की गई। तरल दवाओं के निर्माण और ट्रांसफर के लिए प्लास्टिक पाइपों का उपयोग हो रहा था। फैक्ट्री में ड्रेन सिस्टम नहीं था, जिससे चूहे, कीड़े-मकौड़े अंदर घुस रहे थे। कीट नियंत्रण और सफाई की कोई व्यवस्था नहीं थी।
खतरनाक माहौल में उत्पादन और भंडारण
रिपोर्ट में बताया गया है कि फैक्ट्री में सैम्पलिंग एरिया ही नहीं था। दवाओं के सैम्पल खुले वातावरण में लिए जाते थे, जिससे कॉन्टेमिनेशन और क्रॉस-संदूषण का खतरा बना रहता था।
कई दवाएं प्रोपलीन ग्लाइकोल को एक्सीसिपिएंट के रूप में उपयोग करके तैयार की गई थीं। उत्पादन और भंडारण बेहद अस्वच्छ और खतरनाक माहौल में किया जा रहा था।
एयर हैंडलिंग यूनिट HEPA फ़िल्टर, फ्लाई कैचर और एयर कर्टेन जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं थीं। फैक्ट्री का डिजाइन और ले आउट बेहद खराब था, जिससे चूहे और कीड़े-मकौड़े उत्पादन क्षेत्र में आसानी से पहुंच जाते थे। दवाइयां गलियारों और लैब में बिना एयर सिस्टम के रखी गई थीं। मिक्सिंग और ब्लेंडिंग प्रक्रियाओं का समय और तापमान रिकॉर्ड नहीं किया गया।
कंपनी का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित
रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी में कच्चे माल का कोई परीक्षण नहीं, विक्रेता की स्वीकृति के बिना ही उपयोग किया गया, प्रयोगशाला रिकॉर्ड्स में हेराफेरी के सबूत मिले। कंपनी के पास न तो माइक्रोबायोलॉजी लैब थी, न ही प्रशिक्षित स्टाफ। इसके अलावा भी और कई खामियां सामने आईं हैं।
इन सभी गंभीर खुलासों के बाद ड्रग्स कंट्रोल अथॉरिटी, तमिलनाडु ने फैक्ट्री का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उत्पादन, बिक्री और वितरण पर तुरंत रोक लगाने का आदेश दिया गया है। साथ ही कंपनी से 10 दिन में जवाब मांगा गया है कि क्यों न उसका लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिया जाए।
यहां पढ़ें पूरी रिपोर्ट -
Published By : Amit Dubey
पब्लिश्ड 7 October 2025 at 20:31 IST