अपडेटेड 24 October 2023 at 06:49 IST

Ravan Dahan: भारत में इन 5 जगहों पर नहीं होता रावण दहन, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी

Ravan Dahan अधर्म पर धर्म की जीत माना गया है, यही वजह है कि हर साल देशभर में रावण का पुतला जलाया है, लेकिन भारत में कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां रावन दहन नहीं होता।

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Kaha Nahi Hota Ravan Dahan

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Kaha Nahi Hota Ravan Dahan image- pti | Image: self

Kaha Nahi Hota Ravan Dahan: देशभर में इन दिनों दशहरे की खूब धूम देखने को मिल रही है। रावण दहन में अब बस 1 दिन ही शेष बचा हुआ है। इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था और लंका पर विजय पाई थी। इस दिन को अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है और यही वजह है कि हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते हुए रावण का पुतला फूंका जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसी भी जगहें हैं जहां आज भी रावण के पुतले को नहीं जलाया जाता है। हालांकि इसके पीछे कुछ कहानियां छिपी हुई हैं। आइए इसके बारे में जानते हैं। 

स्टोरी में आगे ये पढ़ें...

  • कब है रावण दहन?
  • रावण दहन का शुभ मुहूर्त क्या है?
  • आज भी इन राज्यों में नहीं जलाया जाता रावण का पुतला

कब है रावण दहन?

इस बार लोगों में दशहरा की डेट को लेकर थोड़ी कंफ्यूजन देखने को मिल रही है, क्योंकि इस साल दशमी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 44 मिनट पर हो रही है, जो 24 अक्टूबर की दोपहर 3 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। वैसे तो रावण दहन रात में किया जाता है, लेकिन हिंदू धर्म में उदया तिथि के मुताबिक त्योहार मनाया जाता है ऐसे में 24 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। 

रावण दहन का शुभ मुहूर्त क्या है?

  • विजय मुहूर्त- दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से 2 बजकर 43 मिनट तक है। इसकी कुल अवधि 45 मिनट है।
  • अपराह्न पूजा का समय- दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। इसकी कुल अवधि 2 घंटे 15 मिनट है।
  • रावण दहन का समय- शाम 6 बजकर 35 से रात में 8 बजककर 30 मिनट तक है। 

इन राज्यों में नहीं जलाया जाता रावण का पुतला

महाराष्ट्र (गडचिरोली)
महाराष्ट्र के गडचिरोली में आज भी रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है। इसके पीछे की कहानी यह है कि यहां गोंड जनजाति के लोग रहते हैं, जो खुद को रावण का वंशज मानते हैं। यही वजह है कि आज भी वहां रावण दहन नहीं होता है बल्कि वे उसकी पूजा करते हैं।

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उत्तराखंड (कांगड़ा)
उत्तराखंड के कांगरा में भी रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां रावण ने भगवान शिव की कठिन तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया था। इसलिए यहां के लोग रावण को महादेव का सबसे बड़ा भक्त मानते हैं और उनका सम्मान करते हैं। यही वजह है कि यहां रावण दहन नहीं किया जाता।

उत्तर प्रदेश (बिसरख)
ऐसी मान्यता है कि यहां रावण का जन्म हुआ था। इस वजह से यहां के लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और दशहरे के दिन उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं न कि उनका पुतला फूंकते हैं। 

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मध्य प्रदेश (मंदसौर)
मध्य प्रदेश के मंदसौर में भी दशहरा नहीं मनाया जाता है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म मंदसौर में ही हुआ था, इस लिहाज से रावण मंदसौर के दामाद हुए और दामाद की मृत्यु की खुशी नहीं मनाई जाती है। इसलिए यहां रावण दहन नहीं किया जाता बल्कि यहां दशहरा के दिन रावण की मृत्यु का शोक मनाया जाता है।

राजस्थान (मंडोर) 
राजस्थान में स्थित मंडोर के लोगों का मानना है कि यह स्थान मंदोदरी के पिता की राजधानी थी और रावण ने इसी जगह पर मंदोदरी से विवाह किया था। इसलिए यहां के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं और उनका सम्मान करते हैं। इसलिए यहां विजयदशमी पर रावण के पुतले को नहीं जलाया जाता।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

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Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 24 October 2023 at 06:49 IST