अपडेटेड 10 October 2024 at 18:04 IST
जब Ford Motors के चेयरमैन ने किया था रतन टाटा का अपमान, 9 साल बाद दिखाई औकात; यूं लिया था बदला
रतन टाटा एक ऐसी शख्सियत थे जो बाहर से देखने में जितने शांत और सरल थे अंदर से उतने ही मजबूत थे। वो अगर किसी काम को ठान लेते थे तो उसे पूरा कर के ही दम लेते थे।
- भारत
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Ratan Tata Revenge his Insult from Ford Motor Chairman:देश के पद्म विभूषण और उद्योग जगत के नायाब 'रतन' यानि रतन टाटा (Ratan Tata death) अब हमारे बीच नहीं रहे। बुधवार (9 अक्टूबर 2024) की रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 86 वर्ष की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। रतन टाटा अपने शानदार व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं। उनके सादगी भरे व्यवहार से आम से खास लोगों में उनके प्रति आदर था। वो हमेशा दूसरों की मदद के खड़े रहते थे। वो अपने कामों की वजह से ताउम्र लोगों के दिलों में बसे रहे। आज पूरे देश में उनके निधन से शोक की लहर दौड़ गई है। एक बार रतन टाटा को अमेरिका में रतन टाटा को फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन ने अपमानित कर दिया था। रतन टाटा ने इस अपमान का बदला बहुत ही दिलचस्प अंदाज में लिया था। आइए आपको बताते हैं क्या थी वो कहानी।
रतन टाटा एक ऐसी शख्सियत थे जो बाहर से देखने में जितने शांत और सरल थे अंदर से वो उतने ही मजबूत थे। वो अगर किसी काम को ठान लेते थे तो उसे पूरा कर के ही दम लेते थे। ये वाक्या साल 1999 का है जब 1998 में टाटा ने इंडिका कार लांच की थी तो वो भारत की कार मार्केट में फ्लॉप हो गई थी। इससे रतन टाटा को काफी धक्का लगा और उन्होंने यहां तक मन बना लिया था कि अब वो अपने कार बिजनेस तक को बेचने का विचार उनके मन में आ गया था और वो इसके लिए फोर्ड कार के चेयरमैन बिल फोर्ड से मुलाकात के लिए 1999 में अमेरिका गए थे। इस बैठक में बिल फोर्ड ने टाटा के साथ काफी अपमानजनक व्यवहार किया था और ऐसा प्रदर्शित किया था कि जैसे वो टाटा का कार प्लांट खरीदकर उनके ऊपर बड़ा एहसान कर रहे हों।
बिल फोर्ड ने रतन टाटा का किया था अपमान
जब रतन टाटा ने अमेरिका में बिल फोर्ड से बैठकी थी तो मीडिया में आई खबरों के मुताबिक बिल फोर्ड ने रतन टाटा को अपमानित करते हुए कहा था, 'जब आपको ऐसी पैसेंजर कार बनाने के बारे में कोई अनुभव नहीं था, तब आपने पैसेंजर कार डिवीजन शुरू ही क्यों की? फोर्ड ने टाटा का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि यह डील करके वह रतन टाटा पर बहुत बड़ा एहसान करेंगे। इस मीटिंग में रतन टाटा ने खुद को काफी अपमानित महसूस किया और इस डील को कैंसिल करते हुए उन्होंने अपनी कार प्रोडक्शन यूनिट को नहीं बेचने का फैसला किया और आगे तय किया कि वो इस पर और मेहनत करेंगे जब तक कि वो सफल न हो जाए। इसी विचार के साथ वो भारत वापस लौट आए थे।
अपनी मेहनत के दम पर टाटा ने लिख दी नई इबारत
रतन टाटा ने अपनी पैसेंजर कार यूनिट पर और समय दिया और मेहनत की इसी मेहनत का परिणाम रहा कि अगले 5-6 सालों में ही टाटा ने कार मार्केट पर एक बार फिर से अपनी बेहतरीन कारों के प्रोडक्शन के दम पर पकड़ बना ली। 9 सालों की कड़ी मेहनत के बाद वो समय भी आया जब टाटा मोटर्स ने कार बिजनेस पर बेहतरीन पकड़ बना ली। अब वो समय भी आ गया जब टाटा कार बिजनेस में देश का सबसे सफल और लोकप्रिय ब्रांड बन चुका था। यही वो समय था जब एक ओर टाटा अपनी कामयाबी से सफलता के नए आयाम गढ़ रहा था तो दूसरी ओर फोर्ड मोटर्स लगातार गिरावट की ओर था। उसके प्रोडक्ट्स एक के बाद एक करके लगातार फ्लॉप होते जा रहे थे।
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रतन टाटा की शरण में पहुंचे बिल फोर्ड
लगातार हो रहे नुकसान के बाद फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन काफी परेशान हो गए। इधर टाटा की सफलता की कहानियां फोर्ड के चेयरमैन के कानों तक भी पहुंच रही थीं। ऐसे में फोर्ड के चेयरमैन ने एक बार रतन टाटा से मुलाकात करने का विचार आया। साल 2008 में आखिरकार वो शुभ दिन भी आ गया जब फोर्ड के मालिकान और उनकी टीम के लोग भारत रतन टाटा से मुलाकात करने के लिए पहुंचे। इन 9 सालों के दौरान रतन टाटा ने अमेरिका का दौरान नहीं किया था। इस बैठक में फोर्ड ने अपना प्लांट बेचने का ऑफर रतन टाटा को दिया। आखिरकार फोर्ड कंपनी को डूबने से बचाने के लिए रतन टाटा ने उनके प्लांट को खरीदने का ऑफर स्वीकार कर लिया। 2008 में टाटा ने फोर्ड की सबसे लोकप्रिय ब्रांड जैगुआर और लैंड रोवर को खरीदने का ऑफर दे डाला। ये डील तय करने के लिए पूरी फोर्ड की टीम भारत आई थी।
...और फिर बदल गए बिल फोर्ड के सुर
रतन टाटा ने बिल फोर्ड की इस डील को एक्सेप्ट कर फोर्ड की सबसे लोकप्रिय ब्रांड जैगुआर और लैंड रोवर को खरीदने का ऑफर दे डाला और ये डील फाइनल भी हो गई। जब ये डील पूरी तरह से फाइनल हो गई तब बिल फोर्ड ने रतन टाटा को धन्यवाद देते हुए कहा था, 'आपने फोर्ड कार की जैगुआर और लैंड रोवर सीरीज को खरीदकर हमारे ऊपर बड़ा एहसान किया है।' वहीं जैसे ही ये दोनों ब्रांड्स टाटा की जद में आए दोनों ने ही भारतीय बाजारों में अपनी सफलता के झंडे गाड़ दिए थे।
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Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 10 October 2024 at 12:36 IST