अपडेटेड 15 April 2025 at 22:07 IST
Ramji Lal: इमरजेंसी में खाई जेल की हवा, 26 की उम्र में बने सांसद...कौन हैं रामजी लाल? जिन्होंने राणा सांगा विवाद को दिया जन्म
रामजी लाल सुमन का जन्म 25 जुलाई 1950 को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बहदोई गांव में हुआ, राजनीति की दुनिया में एक प्रमुख और प्रभावशाली नाम बन चुके हैं।
- भारत
- 4 min read

Ramji Lal Suman Profile Story: मेवाड़ के राजपूत राजा राणा सांगा पर की गई विवादित टिप्पणी के चलते समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन सुर्खियों में हैं। लेकिन इस विवाद से परे, सुमन की राजनीतिक यात्रा एक व्यापक सामाजिक संघर्ष और दलित राजनीति की मजबूती की कहानी है, जिसने उन्हें उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। रामजी लाल सुमन लंबे समय से समाजवादी विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं। वे न केवल दलित समुदाय की आवाज़ के रूप में उभरे, बल्कि एक ज़मीनी नेता के रूप में भी अपनी पहचान कायम की। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनकी इसी प्रतिबद्धता और नेतृत्व क्षमता को पहचानते हुए उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया एक ऐसा पद, जो नीतिगत दिशा में भागीदारी और संगठनात्मक शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
अखिलेश यादव ने वर्ष 2024 में पार्टी नेतृत्व ने उन्हें राज्यसभा भेजा। यह न केवल सुमन के प्रति सम्मान का संकेत था, बल्कि उच्च सदन में दलित वर्ग के सशक्त प्रतिनिधित्व की दिशा में एक अहम कदम भी था। राज्यसभा में उनकी उपस्थिति ने सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों पर पार्टी की रणनीति को और धार दी है। हालांकि हालिया टिप्पणी ने उन्हें विवादों के घेरे में ला खड़ा किया, लेकिन सुमन के समर्थकों का मानना है कि उनकी टिप्पणियां एक ऐतिहासिक पुनर्पाठ और बहस की ज़रूरत की ओर इशारा करती हैं। आलोचक जहां इसे सामुदायिक तनाव बढ़ाने वाला बयान मानते हैं, वहीं उनके पक्षधर इसे दलित चेतना के दृष्टिकोण से देखने की अपील करते हैं।
ऐसे शुरू हुआ रामजी लाल सुमन का सियासी सफर
रामजी लाल सुमन का जन्म 25 जुलाई 1950 को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बहदोई गांव में हुआ, राजनीति की दुनिया में एक प्रमुख और प्रभावशाली नाम बन चुके हैं। सुमन की जीवन यात्रा न केवल उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष को दर्शाती है, बल्कि यह उस समय के राजनीतिक परिवेश को भी उजागर करती है जब उन्होंने अपनी पहचान बनाई। रामजी लाल सुमन की प्रारंभिक शिक्षा उनके अपने गांव में हुई, और इसके बाद उन्होंने हाथरस से माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की। उच्च शिक्षा के लिए वे आगरा कॉलेज पहुंचे, जहां से उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। कॉलेज के दिनों में ही उनकी राजनीति में रुचि विकसित हुई, और वे छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए।
आपातकाल में जेल गए और पहला चुनाव जीत पहुंचे संसद
सुमन का राजनीतिक करियर 1980-81 में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया, जब उन्होंने आगरा से कानून (LLB) की डिग्री हासिल की। लेकिन, उनकी राजनीतिक यात्रा को एक नई दिशा तभी मिल गई थी जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान उन्हें जेल जाना पड़ा। यह घटना उनके संघर्ष और उनके संघर्ष के प्रति प्रतिबद्धता को स्पष्ट करती है। आपातकाल के बाद सुमन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1977 के लोकसभा चुनाव में, मात्र 26 वर्ष की आयु में, उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर फिरोजाबाद से चुनाव लड़ा। यह उनका पहला लोकसभा चुनाव था, और उन्होंने अपनी राजनीतिक प्रतिभा का परिचय देते हुए पहली बार में ही सांसद के रूप में अपनी जगह बनाई।
Advertisement
1991 में चंद्रशेखर ने दी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह
सुमन की राजनीतिक यात्रा यहीं नहीं थमी। उन्होंने 1989 में एक बार फिर संसद में अपनी जगह बनाई, और इस बार उनकी उपस्थिति ने यह साबित कर दिया कि उनका राजनीतिक प्रभाव समय के साथ बढ़ा है और वे एक गंभीर और प्रभावशाली नेता के रूप में उभर कर सामने आए हैं। साल 1991 में वो चंद्रशेखर सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बने। चंद्रशेखर जी ने उन्हें श्रम कल्याण, महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्य मंत्री बनाया था। साल 1992 में वो मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। इसके बाद साल 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में वो फिर से सपा के टिकट पर फिरोजाबाद से सांसद बने।
मुलायम सिंह यादव के खास लोगों में से एक हैं रामजी लाल सुमन
समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी लोगों में थी रामजी लाल सुमन की गिनती, वहीं आज वे सपा प्रमुख अखिलेश यादव के भी खास माने जाते हैं। पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर उनकी जिम्मेदारी और बढ़ चुकी है, जो उनके नेतृत्व की ताकत और सपा के भीतर उनके महत्वपूर्ण स्थान को दर्शाती है। रामजी लाल सुमन की पहचान एक ऐसे समाजवादी नेता के रूप में बनी है, जो हमेशा दलित समुदाय के अधिकारों और उनके हक की लड़ाई के लिए अपनी आवाज उठाते रहे हैं। उनकी राजनीति का मुख्य केंद्र सामाजिक न्याय, समानता और समरसता रहा है, जो समाजवादी पार्टी की विचारधारा से मेल खाता है। वे पार्टी के अंदर एक विश्वसनीय और काबिल नेता के तौर पर माने जाते हैं, जिनके नेतृत्व पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को पूरा भरोसा है।
Advertisement
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 15 April 2025 at 22:07 IST