अपडेटेड 23 January 2023 at 16:27 IST

Ramcharitmanas Controversy: रामचरितमानस के किस श्लोक पर है विवाद? क्या जानते हैं उसका सही अर्थ?

Ramcharitmanas Controversy: बिहार के शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस के श्लोक को अधूरा पढ़ा, जानिए पुरे श्लोक के साथ सही अर्थ।

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रामचरितमानस पर बिहार से शुरू हुआ विवाद उत्तर प्रदेश में भी एंट्री ले चुका है। बिहार के शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों पर सवाल उठाते हुए विवादित बयान दिया था। इसके बाद से रामचरितमानस को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते दिन समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस के दोहे और चौपाई पर नाराजगी जताई और कहा, 'इन दोहों में धर्म की आड़ में दलितों और पिछड़ी जाति की महिलाओं का अपमान किया गया।'

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने रामचरितमानस के उत्तर कांड की जिन चौपाइयों का जिक्र करते हुए सैकड़ों छात्रों के सामने विवादित बयान दिया है। उन सभी चौपाइयों का मतलब क्या है, वो हम आपको विस्तार से बता रहे हैं ताकि आप लोगों को भी पता चल सके कि बिहार के शिक्षा मंत्री के साथ वो तमाम लोग कितने शिक्षित हैं और उन्हें हिंदू धर्म के ग्रंथों के बारे में कितना ज्ञान है, जिन्होंने रामचरितमानस के दोहों को लेकर भ्रम फैलाया।

बिहार के शिक्षा मंत्री के विवादित बोल की पहली चौपाई

पुजहि विप्र सकल गुण हिना,शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा- इस चौपाई का मतलब मंत्री ने बताया कि, 'समाज के निचले-तबके के लोग पढ़ भी जाएं तब भी 'पूज्यनीय' नहीं होते'।

जितने भी लोगों ने रामचरितमानस का ज्ञान लिया है वो अच्छे से जानते हैं कि ये चौपाई अधूरी है। एक शिक्षा मंत्री ने चौपाई भी ठीक से नहीं पढ़ी। दरअसल पुरी चौपाई ये है-

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सापत, ताढ़त परुष कहंता। दिप्र पूज्य अस गावहिं संता।।
पुजिअ विप्र सील गुन हीना। सूद्र न गुन गन ज्ञान प्रवीणा।।

इस चौपाई का अर्थ है- "श्राप देता हुआ मारता हुआ कठोर वचन बोलता हुआ ब्राह्मण भी 'पूज्यनीय' है। ऐसा संत कहते हैं, वो ब्राह्मण 'पूज्यनीय' है जो शीलवान हो और गुणों से सदाचार हो, अगर जन्म से ब्राह्मण होने के बाद भी व्यक्ति सदाचार नहीं करता तो वो शुद्र है और पूज्यनीय नहीं।"

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गीता के 14वें अध्याय में भी श्रीकृष्ण ने मनुष्यों के तीन गुणों के बारे में बताया, ये तीन गुण हैं सत्त्व गुण, राजस गुण और तमस गुण। सत्त्व गुण का मतलब है सच को पहचानना, राजस गुण का मतलब है लोभ उत्पन्न होना और तमस गुण का मतलब है राक्षस की प्रवति पैदा होना। तीनों गुणों के आधार पर राम कथावाचक इस चौपाई का अर्थ बताते हैं- "वो ब्राह्मण पूज्यनीय हैं जो शीलवान हों और जो इन तीनों गुणों से ऊपर उठ चुका हो और शुद्र का अर्थ जाति से नहीं बल्कि कर्म से है।"

इसका पूरा मतलब है कि "मनुष्य अगर जन्म से ब्राह्मण है, लेकिन उसका आचरण उसका कर्म सत्य और धर्म पर आधारित नहीं है तो वो शूद्र है। जो भगवान को नहीं मानता है तो वो शूद्र है। महात्माओं, संतों का आदर नहीं करता है तो वो शूद्र है। ऐसे लोग भले ही ब्राह्मण हों या आपार ज्ञान हो इनके पास, वो पूज्यनीय नहीं होते ये बताया गया है।"

वहीं बिहार के मंत्री ने बताया कि था ब्राह्मण होने के कारण उसका सम्मान किया जाएगा, फिर चाहे आचरण कैसा भी हो।आपको जानकर हैरानी होगी कि रामचरितमानस की जिस चौपाई के बारे में बिहार के शिक्षा मंत्री ने विवादित बयान दिया, उन्होंने इस चौपाई को उत्तर कांड की चौपाई बताई, जबकि सच्चाई ये है कि ये चौपाई उत्तर कांड की नहीं, बल्कि रामचरितमानस में अरण्यकांड में भगवान राम कबंध राक्षस के बीच संवाद के रुप में हुई थी।

शिक्षा मंत्री ने सुनाई अधूरी चौपाई

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने सैकड़ों छात्रों के सामने एक और चौपाई सुनाई वो भी उन्होंने अधूरी सुनाई। "अधम जाति में विधा पाए भयहु यथा अहि दूध पिलाए।" इस चौपाई का मतलब शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बताया कि, 'निची जाति का व्यक्ति शिक्षा पाकर सांप की तरह जहरीला हो जाता है फिर चाहे उसे कितनी भी दूध पिला लो। ये चौपाई रामचरितमानस के उत्तर कांड की है, जिसकी पहली लाइन ही शिक्षा मंत्री ने नहीं बताई।

शिक्षा मंत्री ने सुनाई अधूरी चौपाई, सही चौपाई ये है

हर कहुँ हरि सेवक गुर कहेऊ। सुनि खगनाथ हृदय मम दहेऊ॥
अधम जाति मैं बिद्या पाएँ। भयउँ जथा अहि दूध पिआएँ

इस चौपाई का अर्थ है, "जब गरुण देव और काकभुशंडी के बीच संवाद होता है तब ये चौपाई आती है। गुरुजी ने शिवजी को हरि का सेवक कहा। यह सुनकर हे पक्षीराज! मेरा हृदय जल उठा। नीच जाति का मैं विद्या पाकर ऐसा हो गया जैसे दूध पिलाने से सांप।"

मतलब ये हुआ कि 'यहां काकभुशंडी गरुण जी को गुरु जी कह रहे हैं और कागभूषंणी खुद के लिए अधम जाति का इस्तेमाल कर रहे हैं यानि कि वो खुद को पापी कह रहे हैं। अधम का मतलब पापी जो वो अपने आप को बता रहे हैं, क्योंकि काकभुशंडी को श्राप मिला था, इसलिए वो कौआ बन गए थे।'

लेकिन बिहार के शिक्षा मंत्री चंदशेखर ने सैकड़ों छात्रों के सामने रामतरितमानस के इस चौपाई के बारे में बताया कि, "नीच जाति का व्यक्ति शिक्षा पाकर सांप जैसा जहरीला हो जाता है फिर चाहे उसको कितना ही दूध पिलाओ और वो व्यक्ति काकभुशंडी अपने बार में कह रहे हैं कि जो काम उन्होंने किया उसकी वजह से वो अपने आप को अधम यानि की पापी बता रहे हैं।"

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Published By : Rashmi Agarwal

पब्लिश्ड 23 January 2023 at 16:08 IST