अपडेटेड 22 January 2024 at 13:39 IST

कृष्ण वर्ण, माथे पर स्वर्ण मुकुट और हाथ में धनुष... गर्भगृह में रामलला की मोहनी सूरत यहां देखिए LIVE

Breaking News: रामलला की अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। रामधुन चहुंओर है। मंत्रोच्चार के साथ कृष्ण वर्ण प्रभु का विधिवत स्वागत किया गया।

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 Accompanied by RSS chief Mohan Bhagwat, Prime Minister Narendra Modi on Monday performed the much-awaited Pran Pratishtha ceremony inside Garbh Griha of Ram Mandir in Ayodhya. A team of priests led by Lakshmikant Dixit led the main rituals, which lasted for 84 seconds. The Pran Pratishtha of Shri Ram Lalla at Ayodhya Temple began at 12:30 pm and it culminated before 1 PM. Crafted by sculptor Arun Yogiraj from Mysuru, the 51-inch-tall, 1.5-tonne idol was adorned with gold and flowers after the ceremony.   Top honchos like Amitabh Bachchan, Sachin Tendulkar, Anil Kumble, Virat Kohli, Akash Ambani, Nita Ambani, and dignitaries from film fraternity, saint society, politics, art, literature and culture and other fields graced the ceremony. A look at how the historic moment unfolded in Ayodhya.
रामलला की झलक | Image: Republic

Ram Mandir Breaking: राम चरित की मोहिनी सूरत सबके सामने है। परिसर राम ध्वनि से गुंजायमान था तो गर्भ गृह में देश के प्रधानमंत्री ने विधिवत पूजा के साथ रामलला का स्वागत किया। साथ में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, गर्वनर आनंदी बेन पटेल भी थीं। जैसे ही आंखों से पट्टी हटी अत्यंत मनमोहक कृति उभर आई।

ठीक वैसी ही जैसी रामचरितमानस में वर्णित है। कृष्णवर्ण, वज्र समान पैर, मंद मुस्कान, मन भावन होंठ। आभूषण से लदे,  हाथों में स्वर्ण धनुष, माथे पर भी सोने का मुकुट और श्रीअंग में पीतांबर। पीएम ने कमल के फूल भी अर्पित किए। फिर दंडवत प्रणाम कर आशीष भी लिया।

महाकाव्य की चौपाइयों में रामलला

श्री रामलला की पहली झलक

रामचरित मानस के बालकांड में भगवान राम के बाल रूप की जैसे व्याख्या है पहली झलक में लला वैसे ही लगते हैं। अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित कृष्णशिला से बनी श्रीरामलला की मूर्ति आभास महाग्रंथ में वर्णित शब्दों का कराती प्रतीत होती है।

                 काम कोटि छबि स्याम सरीरा नील कंज बारिद गंभीरा।

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               अरुन चरन पंकज नख जोती, कमल दलन्हि बैठे जनु मोती॥

तुलसीदास प्रभु राम की मोहित करने वाली छवि का वर्णन करते हैं। लिखते हैं- श्रीराम नीलकमल और गंभीर (जल से भरे हुए) मेघ के समान नील शरीर में करोड़ों कामदेवों की शोभा है। लाल-लाल चरण कमलों के नखों की (शुभ्र) ज्योति ऐसी मालूम होती है जैसे (लाल) कमल के पत्तों पर मोती स्थिर हो गए हों। ये वर्णन उस प्रतिमा में अक्षरशः ढलता दिखता है। मन मोहने वाली कृति श्याम वर्ण की है। जो 5 साल के रामलला के प्रत्यक्ष अंगों को परिभाषित करती है।

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कमर में किंकिनी

                       रेख कुलिस ध्वज अंकुस सोहे। नूपुर धुनि सुनि मुनि मन मोहे, कटि किंकिनी उदर त्रय रेखा। नाभि गभीर जान जेहिं देखा॥

अर्थात- (चरणतलों में) वज्र, ध्वजा और अंकुश के चिह्न शोभित हैं। नूपुर (पैंजनी) की ध्वनि सुनकर मुनियों का भी मन मोहित हो जाता है। कमर में करधनी और पेट पर तीन रेखाएँ (त्रिवली) हैं। नाभि की गंभीरता को तो वही जानते हैं, जिन्होंने उसे देखा है। मूर्तिकार अरुण योगीराज ने जो प्रतिमा गढ़ी है उसे देखें तो चरण वज्र समान, ध्वज और अंकुश चिह्नों से सुशोभित हैं। कटि भाग यानि कमर में भी बारिकियां झलकती हैं।  
 

रेख कुलिस अंकुस सोहे…

             कंबु कंठ अति चिबुक सुहाई। आनन अमित मदन छबि छाई॥

              दुइ दुइ दसन अधर अरुनारे। नासा तिलक को बरनै पारे॥


कंठ शंख के समान (उतार-चढ़ाव वाला, तीन रेखाओं से सुशोभित) है और ठोड़ी बहुत ही सुंदर है। मुख पर असंख्य कामदेवों की छटा छा रही है। दो-दो सुंदर दतुलियाँ हैं, लाल-लाल ओठ हैं। नासिका और तिलक (के सौंदर्य) का तो वर्णन ही कौन कर सकता है।

वैसे तो श्रीराम लला का मुख ही इतना आकर्षक है कि आंखें कहीं और टिकती नहीं हैं फिर भी तुलसीदास का वर्णन मुख से नीचे कंठ पर नजर डालें तो वहां भी दिखती हैं। कंठ शंख के समान है और ठोड़ी भी बेहद आकर्षक। दो दो सुंदर दंतुलियां प्रभु की मुस्कान को और मोहक बनाती हैं।

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Published By : Sujeet Kumar

पब्लिश्ड 22 January 2024 at 13:29 IST