Published 22:15 IST, September 23rd 2024
वक्फ बोर्ड पर मोदी सरकार के साथ आए कुंडा MLA राजा भैया, कांग्रेस की उधेड़ी बखिया, कहा- इस पर हमें...
राजा भैया ने कहा, 'पूरी धरती पर कहीं भी इस्लामिक वक्फ बोर्ड नहीं है सिर्फ भारत को छोड़कर। साल 2013 में कांग्रेस ने जो शक्तियां दी जरा उसका भी उल्लेख सुन लीजिए।'
उत्तर प्रदेश की कुंडा विधानसभा सीट से विधायक और जनसत्ता दल के मुखिया रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने गुजरात के राजकोट में अपने प्रवास के दौरान महाराज मांधाता सिंह द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया। इस संबोधन में राजा भैया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की और वक्फ बोर्ड की ताकत को राष्ट्रीय चिंता का विषय बताया। राजा भैया ने इस दौरान ये भी बताया कि भारत को छोड़कर दुनिया के किसी भी देश में वक्फ बोर्ड जैसी कोई संस्था नहीं है, तो फिर भारत में इसको लेकर इतनी बहस क्यों? राजा भैया के इस संबोधन का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
राजा भैया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, 'पूरी धरती पर कहीं भी इस्लामिक वक्फ बोर्ड नहीं है सिर्फ भारत को छोड़कर। वक्फ बोर्ड को साल 2013 में कांग्रेस ने जो शक्तियां दी जरा उसका भी उल्लेख सुन लीजिए। वक्फ बोर्ड का कोई भी निर्णय वक्फ की ही अदालत करेगी। वहां पर जिला अदालत, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का अधिकार क्षेत्र समाप्त हो जाता है। वक्फ किसी भी संपत्ति को अपने अधिकार क्षेत्र में ले सकता है वो आपको एक नोटिस भेजेगा जिसमें इस बात की जानकारी होगी कि फला संपत्ति वक्फ बोर्ड की है।'
एक साल में नहीं की आपत्ति तो आपकी संपत्ति वक्फ बोर्ड की हो जाएगी
राजा भैया ने वक्फ बोर्ड की ताकत के बारे में बताया, ‘अगर आप एक साल के भीतर ही जो आपत्ति करना चाहते हों वो कर सकते हैं इसकी सुनवाई भी वक्फ बोर्ड के प्रदेश कार्यालय में ही होगी। अगर एक साल के भीतर आपने नोटिस का जवाब नहीं दिया तो ये मान लिया जाएगा कि आपको कोई आपत्ति नहीं है और वो संपत्ति वक्फ बोर्ड की हो जाएगी। आपका घर आपकी जमीन आपका गांव वो वक्फ संपत्ति में शामिल हो जाएगा ये इनकी लिखा-पढ़ी है। आप लोग टीवी पर भी देख रहे होंगे कि तमाम मौलाना लोग भी इसको लेकर मोबाइल से वोटिंग की अपील करते हुए दिखाई दे रहे हैं और इसमें हम सब को मुखर होना चाहिए।’
जब 16 हजार रानियां एक साथ जौहर में कूदीं...
आज हम जितने क्षत्रिय महानुभावों को अपने पूर्वजों को जिनको हम स्मरण करते हैं उन्होंने कभी अपने लिए लड़ाइयां नहीं लड़ीं, उन्होंने अपना खजाना भरने के लिए लड़ाइयां नहीं लड़ीं उन्होंने अपनी धन संपदा और खजाना भरने के लिए लड़ाइयां नहीं लड़ीं। उन्होंने हमेशा देश और उसकी संस्कृति की रक्षा के लिए तलवार उठाई। उन्होंने कभी ये भी ध्यान नहीं दिया कि हमारी सेना कितनी है और सामने की सेना कितनी है। विश्व की किसी भी सभ्यता या इतिहास में माताओं का जौहर जैसा पराक्रमी उदाहरण दूसरा कहीं नहीं मिलेगा आप कल्पना कीजिए कि क्या माहौल रहा होगा जब एक साथ 16 हजार रानियां माताएं एक साथ जौहर के लिए अग्निकुंड में कूदीं रहीं होंगी। और किसकी वजह से सिर्फ अकबर द ग्रेट की वजह से।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रख सकते हैं विचार
आज शिक्षा हमें सुलभ हो गई है ये सारी जानकारियां इंटरनेट पर मौजूद है। हमको मुखर होने की आवश्यकता है। पहले हम ये कह सकते थे कि हम राजनेता नहीं है अगर हम बयान देंगे तो पत्रकार छापेगा नहीं कौन सुनेगा हमारी बात। लेकिन आज सोशल मीडिया जैसा ऐसा प्लेटफॉर्म है हमारे पास जिसमें आप लिखकरके बोल करके अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्ज करवा सकते हैं। आज आप उन लोगों को प्रोत्साहन दे सकते हैं जो लोग राष्ट्र हित में धर्महित में बड़े निर्णय ले रहे हैं। देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ था। हिन्दुओं ने कभी नहीं कहा कि हम मुसलमानों के साथ नहीं रह सकते हैं मुसलमानों ने कहा हम हिन्दुओं के साथ नहीं रह सकते हैं हमें अलग राष्ट्र चाहिए इसके बाद पूर्वी पश्चिमी पाकिस्तान बना ये सभी लोगों को पता है।
सरदार पटेल को थी हिन्दू के अल्पसंख्यकों की चिंता
उस समय एक चिंता व्यक्त की गई जो कि बड़ी जायज चिंता थी और उसे जाहिर करने वाले नेता आदरणीय सरदार वल्लभ भाई पटेल थे जिन्होंने कहा कि इन देशों में जो अल्पसंख्यक.... भारत के अल्पसंख्यकों के बारे तो वो आश्वस्त थे लेकिन उनकी चिंता पाकिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे हिन्दू अल्पसंख्यकों को लेकर थी। तो जब ये बात आई तो नेहरू-लियाकत एक समझौता हुआ जिसमें दोनों ओर से ये कहा गया था कि हम अल्पसंख्यकों का पूरा ध्यान रखेंगे दोनों ही देशों में अल्पसंख्यक फलेंगे और फूलेंगे और उन्हें अपने धर्म के हिसाब से पूजा-पाठ करने का अधिकार होगा। इसका परिणाम ये हुआ कि पाकिस्तान में 23 फीसदी अल्पसंख्यक जो हिन्दू थे उनकी संख्या घटकर आज एक प्रतिशत तक आ पहुंची है।
सोमनाथ, अक्षरधाम और गणेश पांडाल पर हमले का दिया उदाहरण
सोमनाथ जी का उदाहरण तो बहुत पुराना हो गया अभी कुछ दिन पहले अक्षरधाम मंदिर पर जो हमला हुआ था.... ये भी छोड़ दीजिए अभी चार दिन पुरानी बात है जब सूरत में गणेश पांडाल पर पथराव हुआ था। हमने किसकी भावनाएं आहत की थी हमने किसका अपमान किया था हम तो अपने देव की आराधना कर रहे थे इस बात पर पत्थरबाजी। वैष्णों देवी के दर्शन करने के लिए भक्त जा रहे थे जिस दिन आदरणीय मोदी जी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे थे आतंकियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं थी तीर्थयात्रियों की बस पर इसमें कई श्रद्धालु मारे गए उनकी जाति पूछकर नहीं मारा गया। उनके लिए भारत का विध्वंस ये एजेंडा है और हमारा एक निवेदन और हमारी एक बात बिलकुल समझ लीजिए कि हमसे ज्यादा सेक्युलर कोई हो ही नहीं सकता है सभी धर्मों का सभी मान्यताओं को हिन्दू ने सदैव सम्मान किया है लेकिन जब हमारा अस्तित्व ही खतरे में आ जाए तो हमें मुखर होना पड़ेगा।
Updated 22:18 IST, September 23rd 2024