अपडेटेड 8 July 2024 at 16:06 IST

राष्ट्रपति मुर्मू ने पुरी में समुद्री तट पर लहरों और हवाओं का लिया आनंद, पर्यावरण पर विचार किए शेयर

राष्ट्रपति मुर्मू ने पूरी में समुंद्री तट पर लहरों और हवाओं का लिया आनंद, पर्यावरण को संरक्षित रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए लिखा पोस्ट।

Follow : Google News Icon  
President Murmu
राष्ट्रपति मुर्मू | Image: @rashtrapatibhvn

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश में हाल में भीषण गर्मी पड़ने और दुनिया भर में मौसम के चरम पर रहने की लगातार हो रही घटनाओं पर प्रकाश डालते हुए लोगों से पर्यावरण की रक्षा के लिए ‘‘छोटे’’ और ‘‘स्थानीय’’ स्तर पर कदम उठाने का सोमवार को आग्रह किया ताकि भविष्य को बेहतर बनाया जा सके।

राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि वार्षिक रथ यात्रा में शामिल होने के एक दिन बाद मुर्मू ने पवित्र शहर पुरी के समुद्र तट पर कुछ समय बिताया। उन्होंने बाद में प्रकृति के साथ निकटता के अनुभव के बारे में अपने विचार लिखे।

मुर्मू ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि प्रदूषण के कारण महासागरों और वनस्पतियों एवं जीवों की समृद्ध विविधता को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन प्रकृति की गोद में रहने वाले लोगों ने ‘‘उन परंपराओं को कायम रखा है जो हमारा मार्गदर्शन कर सकती हैं।’’

उन्होंने पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के उपाय सुझाते हुए कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, तटीय इलाकों में रहने वाले लोग समुद्र की लहरों और हवाओं की भाषा समझते हैं। वे अपने पूर्वजों का अनुसरण करते हुए समुद्र को भगवान के रूप में पूजते हैं।’’

Advertisement

राष्ट्रपति छह जुलाई को चार दिवसीय दौरे पर ओडिशा आईं। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे स्थान हैं जो हमें जीवन के तत्व के करीब लाते हैं और हमें याद दिलाते हैं कि हम प्रकृति का हिस्सा हैं। पहाड़, जंगल, नदियां और समुद्र तट हमारे भीतर की किसी गहरी चीज को आकर्षित करते हैं। मैं आज जब समुद्र के किनारे टहल रही थी तो मुझे आसपास के वातावरण- हल्के हल्के बहती हवा, लहरों के शोर और पानी के विशाल विस्तार के साथ एक जुड़ाव महसूस हुआ। यह ध्यान करने जैसा अनुभव था।’’

मुर्मू ने कहा कि इससे मुझे ‘‘गहन आंतरिक शांति मिली, जो मुझे कल महाप्रभु श्री जगन्नाथजी के दर्शन करने पर भी महसूस हुई थी। ....और मैं अकेली नहीं हूं जिसे ऐसा एहसास हुआ है। जब हम किसी ऐसी चीज से रू-ब-रू होते हैं जो हमसे बहुत विशाल हो, जो हमारे जीवन को बरकरार रखने में मदद करे और जो हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाएं तो हम सब इसी तरह महसूस कर सकते हैं।’’

Advertisement

राष्ट्रपति ने समुद्र तट पर टहलते हुए अपनी तस्वीरें साझा कीं तथा कहा कि रोजमर्रा की भागदौड़ में लोग प्रकृति के साथ अपना संबंध खो देते हैं। मूर्मु ने कहा, ‘‘मानव जाति का मानना ​​है कि उसने प्रकृति पर कब्जा कर लिया है और वह अपने अल्पकालिक लाभों के लिए इसका दोहन कर रही है। इसका नतीजा सबके सामने है। इस गर्मी में भारत के कई हिस्सों को भीषण लू का सामना करना पड़ा। हाल के वर्षों में दुनिया भर में मौसम के चरम पर रहने की घटनाएं अधिक हो गई हैं। आने वाले दशकों में स्थिति और भी बदतर होने की आशंका है।’’

उन्होंने कहा कि पृथ्वी की सतह का 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा महासागरों से बना है और ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के कारण समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जिससे तटीय क्षेत्रों के डूबने का खतरा है। राष्ट्रपति ने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण की चुनौती से निपटने के दो तरीके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सरकारें और अंतरराष्ट्रीय संगठन व्यापक कदम उठा सकते हैं और नागरिकों के रूप में हम छोटे एवं स्थानीय कदम उठा सकते हैं।’’

मुर्मू ने कहा, ‘‘निस्संदेह, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। बेहतर कल के लिए व्यक्तिगत रूप से, स्थानीय स्तर पर - हम जो कुछ भी कर सकते हैं, आइए, उसे करने का संकल्प लें। अपने बच्चों के लिए ऐसा करना हमारी जिम्मेदारी है।’’

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 8 July 2024 at 16:06 IST