अपडेटेड 12 January 2025 at 21:01 IST
स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन बनीं सनातनी! कैलाशानंद गिरि से मिला अच्युत गोत्र, महाकुंभ में करीब से जानेंगी सनातन परंपरा
स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन महाकुंभ में सनातन धर्म की परंपरा को करीब से जानेंगी। महाकुंभ में शामिल होने भारत पहुंची लॉरेन को नया नाम और गोत्र मिला है।
- भारत
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Mahakumbh 2025: भारत के प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ की तैयारी पूरी हो चुकी है। 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक आयोजित होने वाले इस महाकुंभ का साक्षी बनने के लिए दुनियाभर से करीब 45 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज आने वाले हैं। महाकुंभ में स्नान से लेकर कल्पवास करने के लिए दुनियाभर से लोग प्रयागराज आ रहे हैं। वहीं APPLE के मालिक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन जॉब्स भी महाकुंभ में शामिल होने जा रही हैं।
महाकुंभ स्नान का कार्यक्रम 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक होने जा रहा है। महाकुंभ में स्नान करने के लिए लॉरेन जॉब्स भारत पहुंच चुकी हैं। वहीं उन्हें नया नाम और एक नई पहचान भी मिली है। वाराणसी में उन्हें काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा और दर्शन करने का मौका भी मिला।
लॉरेंस को मिला कमला नाम और अच्युत गोत्र
लॉरेन महाकुंभ में सनातन को काफी करीब से जानेंगी। लेकिन उससे पहले आपको बता दें, कि उन्होंने अपने गुरु निरंजनी पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशनंद गिरि से एक नया नाम और उनकी गोत्र भी मिला है। लॉरेन को अपना गोत्र देकर पीठाधीश्वर ने उन्हें अपना बेटी बना लिया है। लॉरेन का सनातनी नाम कमला है। वहीं उन्हें अच्युत गोत्र मिला है।
खबरें आ रही थी कि कमला (लॉरेन) महाकुंभ में आकर कल्पवास भी करेंगी। हालांकि, ऐसा नहीं है। वो महाकुंभ में स्नान करेंगी और कुछ दिनों के लिए वहां रहेंगी जरूर, लेकिन कल्पवास नहीं करेंगी।
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जॉब्स परिवार सनातन में है आस्था
बता दें, जॉब्स परिवार की सनातन में खूब आस्था है। तभी तो ऐप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स नीम करौली बाबा को अपना गुरु मानते थे। स्टीव 1970 के दशक में सात महीने के लिए आध्यात्मिक एकांतवास पर भारत भी आए थे। इस दौरान वो नैनीताल के कैंची धाम भी गए।
महाकुंभ को लेकर क्या बोले सीएम योगी?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "कल से प्रयागराज में महाकुंभ 2025 प्रारंभ हो रहा है। 13 जनवरी से 26 फरवरी तक यानि 45 दिन का यह भव्य आयोजन कल से शुरू होगा...इस पूरे आयोजन में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु आएंगे...मां गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के त्रिवेणी में, संगम में स्नान करने का एक सौभाग्य प्राप्त होगा। वहां लोगों को उत्तर प्रदेश को जानने, भारत की आध्यात्मिक विरासत को संतों के माध्यम से, उनके शिविरों के माध्यम से जानने और देखने का अवसर प्राप्त होगा..."
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Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 12 January 2025 at 21:01 IST