अपडेटेड 14 February 2025 at 13:04 IST
Pooja Khedkar Case: पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर को फिर मिली SC से बड़ी राहत, 17 मार्च तक गिरफ्तारी पर लगाई रोक
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस. वी. राजू ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय देने का अनुरोध किया था।
- भारत
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Pooja Khedkar Case: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की पूर्व प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर को प्रदान की गई गिरफ्तारी से संरक्षण की अवधि 17 मार्च तक बढ़ा दी गई है।
उन पर सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी करने और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तथा दिव्यांगजनों को मिलने वाले आरक्षण का अनुचित तरीके से लाभ उठाने का आरोप है। न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने खेडकर को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया।
जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का दिया समय
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस. वी. राजू ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय देने का अनुरोध किया था। खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि पुलिस उन्हें जांच के लिए नहीं बुला रही है और वह आने को तैयार हैं। शीर्ष अदालत ने एएसजी को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने 15 जनवरी को खेडकर की अग्रिम जमानत की याचिका पर दिल्ली सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नोटिस जारी किया था। खेडकर पर आरक्षण का लाभ प्राप्त करने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के अपने आवेदन में गलत जानकारी देने का आरोप है। उन्होंने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों का खंडन किया।
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अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने खेडकर के खिलाफ प्रथम दृष्टया मजबूत मामला पाया और कहा कि व्यवस्था में हेरफेर करने की ‘‘बड़ी साजिश’’ का पता लगाने के लिए जांच की जरूरत है और राहत देने से व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जाती है। गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण रद्द किया जाता है।’’
सुप्रीम कोर्ट से मिली थी राहत
खेडकर को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण तब दिया गया था, जब उच्च न्यायालय ने 12 अगस्त, 2024 को उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया था और इसे समय-समय पर बढ़ाया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा कि यूपीएससी परीक्षा सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा है और यह मामला एक संवैधानिक निकाय एवं समाज के साथ धोखाधड़ी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उच्च न्यायालय में दिल्ली पुलिस के वकील और शिकायतकर्ता यूपीएससी ने अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया।
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खेडकर के वकील ने दलील दी कि उनकी मुवक्किल जांच में शामिल होने और सहयोग करने के लिए तैयार थीं और चूंकि सभी सामग्री दस्तावेजी प्रकृति की थी इसलिए उनकी हिरासत की आवश्यकता नहीं थी, जबकि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अन्य लोगों की संलिप्तता का पता लगाने के लिए खेडकर को हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर जोर दिया।
यूपीएससी ने याचिका का किया विरोध
यूपीएससी ने याचिका का विरोध किया और कहा कि खेडकर ने उसके और आम लोगों से धोखाधड़ी की है तथा धोखाधड़ी के प्रभाव का पता लगाने के लिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करना आवश्यक है, क्योंकि इसे दूसरों की मदद के बिना नहीं किया जा सकता था।
आयोग ने खेडकर के खिलाफ कई कार्रवाई शुरू की, जिसमें गलत पहचान बताकर सिविल सेवा परीक्षा में बैठने के आरोप में आपराधिक मामला दर्ज करना शामिल था और दिल्ली पुलिस ने विभिन्न अपराधों के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Ruchi Mehra
पब्लिश्ड 14 February 2025 at 13:04 IST