अपडेटेड June 20th 2024, 23:15 IST
कांग्रेस ने पटना उच्च न्यायालय द्वारा पिछले वर्ष दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों के लिए 65 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को रद्द किए जाने के बाद बृहस्पतिवार को सवाल किया कि क्या बिहार सरकार के इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय अपील करेगी तथा क्या केंद्र सरकार इस अपील के पीछे गंभीरता से अपनी पूरी ताकत लगाएगी।
पटना उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों के लिए सरकारी नौकरियों तथा शिक्षण संस्थानों में दिये जाने वाले आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 फीसदी किए जाने के इसके फैसले को बृहस्पतिवार को रद्द कर दिया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘पटना उच्च न्यायालय ने पिछले साल बिहार विधानसभा द्वारा पारित उस अधिनियम को रद्द कर दिया है जिसमें सरकारी नौकरियों एवं शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग और अति पिछड़े वर्गों के लिए 65 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था। उच्च न्यायालय का कहना है कि इससे उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन हो रहा था।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या बिहार सरकार अब तत्काल उच्चतम न्यायालय में अपील करेगी? क्या केंद्र की राजग सरकार इस अपील के पीछे गंभीरता के साथ पूरी ताक़त लगाएगी? क्या संसद को इस मुद्दे पर जल्द से जल्द चर्चा का मौका मिलेगा?’’
दरअसल नीतीश कुमार सरकार ने पिछले साल 21 नवंबर को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में वंचित जातियों के लिए आरक्षण 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने की सरकारी अधिसूचना जारी की थी।
बिहार सरकार द्वारा कराए गए जाति आधारित गणना के अनुसार राज्य की कुल आबादी में ओबीसी और ईबीसी की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है, जबकि एससी और एसटी की कुल आबादी 21 प्रतिशत से अधिक है।
पब्लिश्ड June 20th 2024, 23:15 IST