अपडेटेड 30 August 2025 at 12:49 IST
वाजपेयी जी के समय सैंक्शन से कैसे उबरा था भारत? टैरिफ वॉर के बीच सुधांशु त्रिवेदी ने विस्तार से बताया भारत चुनौती से डरता नहीं निपटता है
Republic Bharat Samvad: सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा, "मैं याद दिलाना चाहता हूं 1998 पोखरण एक्सप्लोजन। 11 और 13 मई 1998. उसके बाद हम पर आर्थिक प्रतिबंध लगे। उस समय जितने भी तथाकथित बुद्धिजीवी थे उन्होंने कहा कि इस सरकार ने देश को बर्बाद कर दिया। क्यों? उन्होंने कहा कि न हमारे पास उस जमाने में Physical Infrastructure था, ना हमारे पास Financial Infrastructure था, और ना एक डॉलर कोई भारत में लगाने को तैयार था और ऊपर से आर्थिक प्रतिबंध। अब तो यह देश खत्म। "
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Republic Bharat Samvad: रिपब्लिक भारत के कार्यक्रम नए भारत का शंखनाद 'संवाद' का आगाज हो गया है। कवि और गीतकार आलोक श्रीवास्तव और भजन गायिका स्वाति मिश्रा ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस कार्यक्रम के एक सेक्शन 'सियासत, इतिहास और संवाद' में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने अपनी बात रखी।
उन्होंने इस दौरान टैरिफ वॉर पर अपनी बात रखते हुए कहा कि दुनिया का दौर कुछ अलग दिखाई पड़ रहा है। यहां 'टैरिफ पर झगड़ा' है। इस दौरान उन्होंने आगे कहा कि इसको लेकर कंफ्यूजन है कि आगे क्या होने वाला है। क्या-क्या चुनौतियां हैं। मगर, इसी के साथ-साथ अगर आप देखें तो दुनिया में भी एक बड़े बदलाव का दौर है। सुधांशु त्रिवेदी ने बताया, "ऐसा नहीं है कि भारत में यह पहली बार हुआ है।"
आपदा को अवसर में बदलने की कला हमारे प्रधानमंत्री जी को आती है - सुधांशु त्रिवेदी
सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा, "मैं याद दिलाना चाहता हूं 1998 पोखरण एक्सप्लोजन। 11 और 13 मई 1998. उसके बाद हम पर आर्थिक प्रतिबंध लगे। उस समय जितने भी तथाकथित बुद्धिजीवी थे उन्होंने कहा कि इस सरकार ने देश को बर्बाद कर दिया। क्यों? उन्होंने कहा कि न हमारे पास उस जमाने में Physical Infrastructure था, ना हमारे पास Financial Infrastructure था, और ना एक डॉलर कोई भारत में लगाने को तैयार था और ऊपर से आर्थिक प्रतिबंध। अब तो यह देश खत्म। "
सुधांशु त्रिवेदी ने आगे बताया, "मई 1998, दो साल से कम का समय, मार्च 2000, अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन 5 दिनों के लिए भारत में। क्या हो गया ऐसा दो साल के अंदर?" उन्होंने आगे जोर देकर कहा, "जब उस दौर में हमने निकलकर यह स्थिति स्थापित की थी तो आज तो हमारी स्थिति में बहुत भारी अंतर है। क्योंकि हर चुनौती एक नई संभावना को लाती है।" सुधांशु त्रिवेदी ने पीएम मोदी का जिक्र करते हुए कहा, "आपदा को अवसर में बदलने की कला हमारे प्रधानमंत्री जी को आती है और पूर्व में भी हम इसको दिखा चुके हैं।"
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1998 और 2000 के बीच की वाजपेयी सरकार का जिक्र करते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने बताया कि उस समय जब हमारे ऊपर कोई एक डॉलर नहीं लगाता (निवेश) था तो जरूरी पैसे कहां से आए थे? पुराने लोगों को अगर याद हो तो वाजपेयी सरकार ने रिसर्जेंट इंडिया बॉन्ड निकाला था। 5 बिलियन डॉलर का टारगेट रखा गया था और 5.2 बिलियन डॉलर आया था। उन्होंने बताया कि ये पैसे उन भारतीयों ने लगाया था, जो एनआरई हैं, ये पैसे भारतीयों ने लगाया था। बाहर के बिजनेसमैन ने लगाया था।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा आज जिनके खिलाफ पूरा वातावरण नफरती बनाने का प्रयास किया जा रहा है, अगर उस दौर में देखें तो भारत की अर्थव्यवस्था डूब गई होती मगर सभी ने मिलकर काम किया। उसके बाद सरकार ने देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर काम किया क्योंकि अब पैसे आ रहे थे।
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इस आयोजन को सफल बनाने में हमारे सहयोगी संस्थानों का विशेष योगदान रहा, हम उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
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Published By : Amit Dubey
पब्लिश्ड 22 August 2025 at 16:15 IST