अपडेटेड 27 July 2025 at 13:33 IST

ठाकरे बंधुओं का 'मातोश्री' में मिलन, 13 साल बाद राज ठाकरे ने रखा उद्धव के घर कदम, सियासत में नया ड्रामा या पुराने भाईचारे की वापसी?

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की मातोश्री में मुलाकात कई सालों बाद हुई है। यह मुलाकात उद्धव ठाकरे के 65वें जन्मदिन के मौके पर हुई, जिससे इसका निजी और राजनीतिक महत्व और बढ़ गया है। आखिरी बार राज 2012 में बालासाहेब ठाकरे के निधन के समय मातोश्री गए थे।

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Raj Thackeray reached Matoshree to meet Uddhav Thackeray new drama in politics or return of old brotherhood
ठाकरे बंधुओं का 'मातोश्री' में मिलन | Image: ANI

Raj Thackeray Matoshree Visit : महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर ठाकरे बंधुओं ने सुर्खियां बटोर ली है। सालों बाद राज ठाकरे ने मातोश्री का रुख किया, जहां उद्धव ठाकरे के 65वें जन्मदिन के मौके पर दोनों भाइयों की मुलाकात ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी। राज ठाकरे आखिरी बार 2012 में जब बालासाहेब ठाकरे का निधन हुआ था, तब मातोश्री पहुंचे थे। इसके बाद, उद्धव के लीलावती अस्पताल से लौटने पर राज ने उन्हें अपनी कार से मातोश्री छोड़ा था।

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की इस मुलाकात का माहौल कुछ अलग है। 27 जुलाई, 2025 को उद्धव ठाकरे के 65वें जन्मदिन पर राज ठाकरे का मातोश्री पहुंचना कोई साधारण घटना नहीं है। दोनों भाइयों के बीच सालों की तल्खी और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता किसी से छिपी नहीं है। एक समय बालासाहेब के उत्तराधिकारी माने जाने वाले राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना छोड़कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बनाई थी और तब से दोनों भाई एक-दूसरे के खिलाफ तलवारें तानते रहे हैं। 5 जुलाई 2025 को मराठी अस्मिता के लिए आयोजित 'विजय रैली' में दोनों का एक मंच पर नजर आना, सियासी गलियारों में नई अटकलों को जन्म दे चुका है।

जन्मदिन का जश्न या सियासी चाल?

राज ठाकरे के मातोश्री पहुंचने के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं। पिछले कुछ महीनों में दोनों नेताओं ने कई अनौपचारिक मुलाकातें की हैं। 5 जुलाई की रैली में दोनों ने मराठी भाषा और अस्मिता के नाम पर एकजुटता दिखाई थी, जिसे 'मराठी विजय' के रूप में प्रचारित किया गया। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह एकता मराठी गौरव के लिए है, या फिर दोनों भाइयों की सियासी मजबूरी?

उद्धव की शिवसेना (यूबीटी) 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद कमजोर पड़ी है और राज की MNS को 2024 के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। ऐसे में, क्या दोनों भाई अपनी खोई हुई सियासी जमीन वापस पाने के लिए हाथ मिला रहे हैं?

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BJP और शिंदे के लिए खतरे की घंटी?

ठाकरे बंधुओं की इस मुलाकात ने सत्तारूढ़ BJP और एकनाथ शिंदे गुट को सतर्क कर दिया है। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने हाल ही में दावा किया था कि बीजेपी की नीति "मुंबई को लूटने और महाराष्ट्र की पहचान खत्म करने" की है। राउत का यह भी कहना था कि ठाकरे बंधुओं की एकता से दिल्ली और मुंबई की सत्ता में बैठे लोग घबरा गए हैं। दूसरी ओर, BJP सांसद नारायण राणे और शिंदे गुट के नेता रामदास कदम ने इस एकता को आगामी बीएमसी चुनावों की चाल करार दिया है। लेकिन अगर ठाकरे बंधु वाकई में एक हो जाते हैं, तो यह बीजेपी-शिंदे गठबंधन के लिए नई चुनौती खड़ी कर सकता है।

क्या है असली मकसद?

राज ठाकरे ने अभी तक गठबंधन पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। 15 जुलाई को एक बयान में उन्होंने 5 जुलाई की रैली को "महज फोटो सेशन" बताकर सियासी अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की। लेकिन मातोश्री की ताजा मुलाकात ने फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या राज ठाकरे उद्धव के साथ मिलकर BMC चुनाव में उतरना चाहते हैं? या फिर यह सिर्फ पारिवारिक सौहार्द का प्रदर्शन है? लेकिन राज की स्वतंत्र सोच और उद्धव की महाविकास अघाड़ी (एमवीए) से नजदीकी इस एकता को कितना टिकाऊ बनाएगी, यह देखना बाकी है।

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20 साल बाद एक मंच पर नजर आने वाले राज और उद्धव क्या वाकई में अपनी पुरानी दुश्मनी भुलाकर मराठी अस्मिता के लिए एकजुट होंगे? या यह सिर्फ बीएमसी चुनावों के लिए वोट बैंक साधने की रणनीति है? मातोश्री की इस मुलाकात ने सवाल तो बहुत खड़े किए हैं, लेकिन जवाब का इंतजार महाराष्ट्र की जनता को है।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 27 July 2025 at 13:33 IST