अपडेटेड 10 October 2024 at 17:10 IST

PM मोदी का मंत्र, बूथ लेवल पर प्लानिंग; हरियाणा फतह के लिए BJP की रणनीति कांग्रेस पर कैसे पड़ी भारी?

Harayana: हरियाणा विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार जीत हासिल कर भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में बैठे सारे पॉलिटिकल पंडितों को चौंका दिया।

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PM modi
PM modi | Image: x/ @BJP4India / Representative

Harayana: हरियाणा विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार जीत हासिल कर भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) ने दिल्ली में बैठे सारे पॉलिटिकल पंडितों को चौंका दिया। एसी कमरों में बैठकर हरियाणा में कांग्रेस की जीत के दावे करने वाले सभी भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियों को बीजेपी ने अपनी रणनीति से पलट कर रख दिया और वो कर दिखाया जो हरियाणा के इतिहास में कभी नहीं हुआ था।

भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति से ना केवल कांग्रेस ( Congress ) को पटखनी दी बल्कि पिछले तीन चुनावों से ज्यादा सीटें भी हासिल की हैं। कांग्रेस हरियाणा में लगातार तीसरी बार मिली हार को पचा नहीं पा रही और हार का ठीकरा ईवीएम (EVM) पर फोड़ रही है। दूसरी तरफ बीजेपी राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है।

आइए जानते हैं कि हरियाणा के इस सियायी दंगल में वो कौन से फैक्टर थे जो बीजेपी के पक्ष में काम आए और कांग्रेस पर भारी पड़ गए।

पीएम मोदी का 'बूथ जीतो' मंत्र    

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हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बूथ मजबूती पर विशेष ध्यान दिया। पीएम मोदी (PM Modi) ने बूथ कार्यकार्ताओं से सीधे संवाद कर ना केवल उनमें जीत का जोश भरा बल्कि हर बूथ जीतने की प्रेरणा भी दी। पीएम ने कार्यकर्ताओं को 'मेरा बूथ-सबसे मजबूत' कैंपेन के दौरान 'बूथ जीतो-चुनाव जीतो' का मंत्र दिया। साथ ही पीएम ने बीजेपी सरकार की ओर से जनता के लिए किए गए विकास कार्यों को जनता तक पहुंचाने का संदेश दिया, जिसका असर इन चुनावों में देखने को मिला।

बूथ लेवल पर प्लानिंग

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पीएम मोदी के बूथ जीतो मंत्र के साथ ही पार्टी ने हरियाणा में जमीन पर काम करना शुरू कर दिया। हरियाणा के बीजेपी प्रभारी सतीश पुनिया ने बताया कि हमने ग्राउंड लेवल पर बूथ लेवल पर प्लानिंग के साथ रणनीति के साथ काम किया जिसका परिणाम आपके सामने है। कांग्रेस ने जमीनी स्तर पर ना काम किया था, ना जमीनी स्तर पर कांग्रेस थी, महज माहौल बनाया हुआ था। समय के साथ माहौल किसका बना ये जनता ने दिखा दिया।

कांग्रेस की गुटबाजी

बीजेपी की जीत में जो सबसे बड़े फैक्टरों में से एक बताया जा रहा है वो है कांग्रेस की गुटबाजी। भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच चल रही सियासी खींचतान ने भी कांग्रेस की हार में बड़ी भूमिका निभाई। कांग्रेस कार्यकर्ता आपसी खींचतान में बंट गए और इस गुटबाजी का सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को मिला।

बीजेपी को मिला दलित वोटर का साथ

कांग्रेस की अंदरूनी कलह और कुमारी शैलजा के अपमान के मुद्दे को बीजेपी ने चुनावों में जोर-शोर से उठाया जिसका सीधा फायदा वोटिंग के दिन बीजेपी को मिला। दलित वोटरों ने खुलकर बीजेपी को वोट दिया। दूसरी तरफ दुष्यंत चौटाला की पार्टी JJP इस बार चंद्रशेखर आजाद की पार्टी ASP यानी आजाद समाज पार्टी से गठबंधन के साथ चुनाव लड़ रही थी। इसलिए दलित वोटबैंक बंट गया और JJP की कई सीटें बीजेपी और कांग्रेस के पास चली गई। जिसका सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को मिला।

हवा हुआ कांग्रेस का किसान, पहलवान और जवान का नैरेटिव

हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की ओर से सबसे ज्यादा जिन मुद्दों की बात की गई वो थे किसान, जवान और पहलवान। कांग्रेस इन तीन मुद्दों के भरोसे और सोशल मीडिया पर कैंपेन जरिए चुनाव जीतने की कोशिश कर रही थी। कांग्रेस ने पूरे चुनाव में जो फेक नैरेटिव फैलाया था वो नहीं चला। वहीं बीजेपी के मैनेजमेंट ने चुनाव जीतने में बड़ी भूमिका निभाई। प्रत्याशियों का चयन बीजेपी ने बहुत सोच समझकर किया। जिन प्रत्याशियों के खिलाफ लोगों में नाराजगी थी उन्हें टिकट नहीं दिया गया। वहीं बीजेपी ने बूथ स्तर पर जाकर कड़ी मेहनत की और चुनाव को अपनी तरफ मोड़ दिया। अग्निवीरों के लिए नौकरियों को ऐलान भी सही साबित हुआ।

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Published By : Deepak Gupta

पब्लिश्ड 10 October 2024 at 17:10 IST