अपडेटेड 19 December 2024 at 09:38 IST
One Nation-One Election: वन नेशन-वन इलेक्शन बिल पर JPC का गठन...क्यों होता है इसका गठन, जानिए अधिकार
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल गुरुवार को संसद में एक प्रस्ताव पेश करेंगे कि एक देश-एक चुनाव विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त समिति को भेजा जाए।
- भारत
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JPC on One Nation-One Election: 'वन नेशन-वन इलेक्शन' विधेयक के लिए ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी का गठन हो गया है। विधेयक की जांच के लिए 31 सदस्यीय पैनल बनाया गया है, जिसमें 21 सदस्य लोकसभा और 10 सदस्य राज्यसभा से होंगे। कमेटी में तीन महिला सदस्य भी शामिल हैं, जिनमें बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज, कांग्रेस की प्रियंका गांधी और एनसीपी-शरद गुट से सुप्रिया सुले शामिल हैं। गुरुवार के लिए लोकसभा के सूचीबद्ध एजेंडे के अनुसार, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल एक प्रस्ताव पेश करेंगे कि 'एक देश-एक चुनाव' विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त समिति को भेजा जाए।
'वन नेशन-वन इलेक्शन' विधेयक में देश के भीतर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान है। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले 'संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024' और उससे जुड़े 'संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक 2024' को सदन में रखा था। विधेयक पेश किए जाने के पक्ष में 263 वोट, जबकि विरोध में 198 वोट पड़े। फिलहाल सरकार इसे जेपीसी के पास भेजेगी, जिसका गठन कर दिया गया है।
JPC में शामिल लोकसभा के सदस्य
JPC में शामिल होने वाले लोकसभा के सदस्यों में BJP के पीपी चौधरी, सीएम रमेश, बांसुरी स्वराज, परषोत्तम भाई रूपाला, अनुराग सिंह ठाकुर, विष्णु दयाल राम, भर्तृहरि महताब, संबित पात्रा, अनिल बलूनी, विष्णु दत्त शर्मा, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी और सुखदेव भगत, समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी, एनसीपी-शरद गुट सांसद सुप्रिया सुले, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के टीएम सेल्वगणपति, तेलुगु देशम पार्टी के जीएम हरीश बालयोगी हैं। शिवसेना के श्रीकांत एकनाथ शिंदे, राष्ट्रीय लोकदल के चंदन चौहान और जनसेना पार्टी के बालाशोवरी वल्लभनेनी को भी कमेटी में शामिल किया गया है।
JPC की ABCD.. जानिए गठन की प्रक्रिया और इसके अधिकार
फिलहाल सवाल ये है कि JPC आखिर क्या होती है? इसको अगर समझा जाए तो जेपीसी एक वो कमेटी होती है, जिसे संसद की तरफ से किसी विषय या विधेयक की गहन जांच करने के लिए स्थापित किया जाता है। इसमें दोनों सदनों के साथ-साथ सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के सदस्य शामिल होते हैं और इसकी अध्यक्षता लोकसभा का एक सदस्य करता है और इस सदस्य की नियक्ति लोकसभा स्पीकर की तरफ से की जाती है।
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जेपीसी का गठन करने के लिए सदन में प्रस्ताव लाया जाता है। दूसरे सदन की तरफ से भी प्रस्ताव पर सहमति ली जाती है। जेपीसी में सदस्यों की संख्या पर कोई सीमा निर्धारित नहीं है। कमेटी अपना कार्यकाल या कार्य पूरा करने के बाद भंग हो जाती है। जेपीसी की सिफारिशें सलाहकारी होती हैं। हालांकि सरकार के लिए उनका पालन करना अनिवार्य नहीं है। ये भी है कि जेपीसी, जिनमें सत्तारूढ़ दल के सांसदों और प्रमुखों का बहुमत होता है, अक्सर उनके सुझावों को स्वीकार भी कर लिया जाता है। अगर संसदीय समिति के अधिकारों की बात करें तो जेपीसी के पास विशेषज्ञों, सार्वजनिक निकायों, संघों, व्यक्तियों या इच्छुक पक्षों से अपनी पहल पर या उनके अनुरोधों के जवाब में साक्ष्य जुटाने का अधिकार होता है।
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Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 19 December 2024 at 09:38 IST