अपडेटेड 14 January 2025 at 19:44 IST

शाह की टिप्पणी पर शरद पवार ने कहा- गृह मंत्री के पद की मर्यादा बनाए रखें

पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उस टिप्पणी की आलोचना की जिसमें उन्होंने कहा था कि 20 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत ने 1978 में उनके (पवार) द्वारा शुरू की गई विश्वासघात और छल की राजनीति को समाप्त कर दिया है।

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शरद पवार | Image: @PawarSpeaks/X

पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उस टिप्पणी की आलोचना की जिसमें उन्होंने कहा था कि 20 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत ने 1978 में उनके (पवार) द्वारा शुरू की गई विश्वासघात और छल की राजनीति को समाप्त कर दिया है।

पवार ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं 1978 में मुख्यमंत्री था। मुझे नहीं पता कि तब वह कहां थे।’’ पवार ने कहा, ‘‘जब मैं मुख्यमंत्री था, तब मेरे मंत्रिमंडल में जनसंघ से उत्तमराव पाटिल जैसे लोग थे।’’ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) (राकांपा-एसपी) प्रमुख ने वर्तमान में नेताओं के बीच संवाद की कमी पर अफसोस जताते हुए कहा कि गृह मंत्री के पद की मर्यादा बरकरार रखी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘पहले नेताओं के बीच सुसंवाद हुआ करता था, लेकिन अब वह गायब है।’’

रविवार को शिर्डी में भाजपा के राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए  शाह ने कहा था, ‘‘महाराष्ट्र में भाजपा की जीत ने 1978 में शरद पवार द्वारा शुरू की गई अस्थिरता और पीठ में छुरा घोंपने की राजनीति को समाप्त कर दिया। आपने ऐसी राजनीति को जमीन में 20 फुट नीचे दफना दिया है।’’ शाह का स्पष्ट इशारा 1978 में पवार द्वारा 40 विधायकों के साथ वसंतदादा पाटिल के नेतृत्व वाली सरकार से बाहर निकलकर मुख्यमंत्री बनने की ओर था।

पवार ने याद दिलाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विपक्ष में होने के बावजूद भुज भूकंप के बाद उन्हें आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया था। पवार ने कहा, ‘‘इस देश ने कई बेहतरीन गृह मंत्री देखे हैं लेकिन उनमें से किसी को भी उनके राज्य से बाहर नहीं निकाला गया।’’ उनका इशारा सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में 2010 में शाह को दो साल के लिए गुजरात से बाहर निकाले जाने की ओर था। हालांकि, 2014 में शाह को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था।

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पवार ने कहा, ‘‘जब वह (शाह) गुजरात में नहीं रह सके (बाहर निकाले जाने के बाद), तो वह मदद के लिए बालासाहेब ठाकरे के पास गए।’’ शिवसेना सांसद संजय राउत द्वारा महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा के बाद विपक्षी दलों के महा विकास आघाडी (एमवीए) गठबंधन के भविष्य को लेकर संदेह के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा, ‘‘महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अगले 10 दिनों में कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) नेताओं के साथ बातचीत होगी।’’

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को समर्थन देने की अटकलों पर पवार ने कहा, ‘‘मेरी पार्टी का एक भी सांसद भाजपा के साथ नहीं जाना चाहता।’’ पवार ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) को समर्थन की भी पेशकश की।

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पवार ने दिल्ली चुनाव पर कांग्रेस के रुख का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मेरी निजी राय है कि दिल्ली केजरीवाल का आधार है। दिल्ली के लोगों ने उन्हें दो बार (दो विधानसभा चुनावों में) समर्थन दिया है। इसलिए बेहतर होता कि हम उन्हें विश्वास में लेते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’’

वहीं, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में अमित शाह की टिप्पणी को ‘‘अहंकार की भाषा’’ बताया गया। शाह ने कहा था कि महाराष्ट्र के लोगों ने उद्धव ठाकरे को उनकी ‘‘विश्वासघात की राजनीति’’ के लिए सबक सिखाया। संपादकीय में सवाल किया गया, ‘‘शरद पवार और बालासाहेब ठाकरे ने संकट के समय नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की मदद की, लेकिन बदले में उन्होंने इन नेताओं की पार्टियों को तोड़ा। क्या यह विश्वासघात नहीं है?’’

Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 14 January 2025 at 19:44 IST