अपडेटेड 2 April 2025 at 19:15 IST

Waqf Bill: वोट बैंक के लिए भ्रम फैलाया जा रहा, वक्फ में कोई गैर मुस्लिम व्यक्ति आएगा ही नहीं- अमित शाह ने विस्तार से समझाया

अमित शाह ने कहा कि दान उस चीज का ही किया जा सकता है जो हमारा है, सरकारी संपत्ति का दान मैं नहीं कर सकता, किसी और की संपत्ति का दान मैं नहीं कर सकता।

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Amit Shah In LokSabha In Waqf Bill
Amit Shah In LokSabha In Waqf Bill | Image: Sansad TV

Waqf Bill: वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के संमर्थन में बोलते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वक्फ एक अरबी शब्द है। वक्फ का इतिहास कुछ हदीसों से जुड़ा हुआ मिलता है और आज कल जिस अर्थ में वक्फ का प्रयोग किया जाता है, इसका अर्थ है अल्लाह के नाम पर संपत्ति का दान, पवित्र धार्मिक उद्देश्यों के लिए संपत्ति का दान।

वक्फ का समकालीन अर्थ, इस्लाम के दूसरे खलीफा उमर के समय अस्तित्व में आया। एक प्रकार से आज की भाषा में व्याख्या करें तो वक्फ एक प्रकार का चैरिटेबल अलॉटमेंट है। जहां एक व्यक्ति संपत्ति, भूमि धार्मिक और सामाजिक भलाई के लिए दान करता है, बिना उसको वापिस लेने के उद्देश्य से। इसमें जो दान देता है उसका बहुत महत्व है। दान उस चीज का ही किया जा सकता है जो हमारा है, सरकारी संपत्ति का दान मैं नहीं कर सकता, किसी और की संपत्ति का दान मैं नहीं कर सकता। दान उस चीज का किया जाता है जो हमारी है, इसी विषय पर यह सारी बहस चल रही है।

वक्फ में कोई गैर मुस्लिम व्यक्ति आएगा ही नहीं- अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि भारत का जहां तक सवाल है दिल्ली में सल्तनत काल के प्रारंभ में पहली बार वक्फ अस्तित्व में आया। अंग्रेजों के जमाने में 1863 के धार्मिक दान अधिनियम से चलता था, बाद में चैरिटेबल प्रॉपर्टी एक्ट 1890 से चला उसके बाद 1913 में मुसलमान वक्फ वैलिडिटी एक्ट अस्तित्व में आया। तब तक यह सारी प्रक्रियाएं चैरिटेबल एक्ट के तहत चलती थी। आजादी के बाद इस एक्ट को 1954 में वक्फ के केंद्रीकरण के लिए बदल गया। 1995 में वक्फ न्याय अधिकरण और वक्फ बोर्ड की स्थापना हुई। वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड 1995 से आए। यह पूरा झगड़ा जो चल रहा है कि आपने नॉन मुस्लिम को रख दिया, गैर मुस्लिम को रखा। यह झगड़ा वक्फ में दखल करने का है। पहले तो वक्फ में कोई भी गैर इस्लामिक सदस्य आएगा ही नहीं, यह स्पष्ट समझ लीजिए, न मुतवल्ली गैर इस्लामिक होगा ना वाकिफ गैर इस्लामिक होगा, वहां कोई ऐसा प्रावधान नहीं है। जो धार्मिक संस्थाओं का संचालन करते हैं उसमें कोई गैर मुस्लिम व्यक्ति रखने का प्रावधान किया भी नहीं है और हम करना भी नहीं चाहते हैं।

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अल्पसंख्यकों को डराकर वोट बैंक खड़ी विपक्ष का मकसद- अमित शाह

गृहमंत्री ने कहा कि जो बड़े-बड़े भाषण करते हैं समानता का अधिकार चला गया, दो धर्म के बीच में समानता नहीं रही, मुसलमान के धार्मिक अधिकारों के बीच में दखल खड़ी हो जाएगी, ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। इस दृष्टि से देखे तो 1995 तक वक्फ की काउंसिल और वर्क बोर्ड था ही नहीं, वह तो 1995 से आया है। यह जो बखोड़ा खड़ा किया जाता है यह एक्ट मुस्लिम भाइयों के धार्मिक क्रियाकलापों के अंदर, उनके दान किए हुए संपत्ति के अंदर दखल करने का है, यह बहुत बड़ी भ्रांति फैलाकर अल्पसंख्यकों को डराकर अपनी वह वोट बैंक खड़ी करने के लिए किया जा रहा है।

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Published By : Deepak Gupta

पब्लिश्ड 2 April 2025 at 19:15 IST