अपडेटेड 7 January 2024 at 12:58 IST

'भगवान राम की परीक्षा परशुराम ने ली थी...', जानिए किस मुद्दे पर एस. जयशंकर ने दिया ये उदाहरण?

S Jaishankar on Good Neighboring: विदेश मंत्री ने कहा कि जिस तरह भगवान राम को लक्ष्मण की जरूरत थी उसी तरह हर देश को मजबूत और भाई समान दोस्त की आवश्यकता है।

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विदेश मंत्री एस जयशंकर | Image: PTI/File

Thiruvananthapuram News: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को राजनयिक स्थितियों को समझाने के लिए महाकाव्य रामायण से उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रों की परीक्षा उनके पड़ोसी देशों द्वारा ली जा सकती है। ठीक उसी तरह, जैसे कि भगवान राम की परीक्षा परशुराम ने ली थी। विदेश मंत्री ने कहा कि जिस तरह भगवान राम को लक्ष्मण की जरूरत थी उसी तरह हर देश को मजबूत और भाई समान दोस्त की आवश्यकता है।

स्टोरी में आगे पढ़ें...

  • पड़ोसी देश को परखने के लिए विदेश मंत्री ने कौन से गुर बताए ?
  • भगवान परशुराम और श्रीराम को लेकर क्या बोले एस जयशंकर?
  • मजबूत देशों के पड़ोसियों को लेकर क्या बोले विदेश मंत्री?

जयशंकर ने यह बयान यहां संघ परिवार के प्रमुख संगठन भारतीय विचार केंद्रम (BVK) द्वारा आयोजित तीसरे पी. परमेश्वरनजी स्मारक व्याख्यान के दौरान दिया। उन्होंने महाकाव्य के प्रसंगों का हवाला देते हुए कहा कि भगवान राम ने धनुष तोड़ने जैसी बड़ी परीक्षा उत्तीर्ण की और आज की दुनिया में देश भी इसी तरह की परीक्षाओं से गुजरते हैं।

राष्ट्रों के उत्थान पर बोले विदेश मंत्री

जयशंकर ने कहा,'जब राष्ट्रों का उत्थान होता है तो उनके साथ बिल्कुल यही होता है। आइए हम अपने देश पर नजर डालें। मजबूत अर्थव्यवस्था से हम एक परीक्षा में पास हुए। परमाणु परीक्षण और परमाणु शस्त्रागार विकसित कर हमने एक और परीक्षा पास की। यह एक धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने जैसा है जो एक परमाणु धनुष है। यह एक प्रौद्योगिकी परीक्षण हो सकता है।'

राष्ट्रों की परीक्षा पर दिया भगवान परशुराम और श्री राम का उदाहरण

विदेश मंत्री ने कहा, 'जिस तरह राम की परीक्षा परशुराम ने ली थी, उसी तरह हमारी भी परीक्षा ली जा सकती है। इसलिए हमें अन्य स्थितियों में परखा जा सकता है। राष्ट्रों की परीक्षा पड़ोसियों द्वारा की ली सकती है।'

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'वैश्विक व्यवस्थाओं में बड़ी भूमिका की तैयारी करे भारत'

विदेश मंत्री ने कहा, ' भारत को आज की विश्व की व्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी करनी चाहिए। भारत को चाहिए कि वो ये काम ऐतिहासिक एवं सभ्यतागत उत्तरदायित्व के बोध के साथ करे।' उन्होंने इस दौरान जोर देते हुए ये भी कहा कि मौजूदा समय पूरे विश्व में परंपरा के नाम पर लोगों को सिखाने के लिए भारत के पास बहुत कुछ है।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 7 January 2024 at 10:55 IST