अपडेटेड 21 September 2024 at 13:11 IST
प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव की करीबी रही आतिशी कैसे बन गईं केजरीवाल की वफादार? CM कुर्सी की कहानी
आतिशी आज आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल की सबसे भरोसेमंद नेताओं में शुमार हैं। इसी वफादारी की बदौलत मुख्यमंत्री की कुर्सी उन्हें मिली है।
- भारत
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Atishi: आतिशी के लिए दिल्ली के सिंहासन तक पहुंचने का सफर छोटा नहीं है। आतिशी की कहानी बगावत के दौर से निकलकर आम आदमी पार्टी में लगातार ऊपर उठने की है। मंगलवार यानी 17 सितंबर 2024 को ये कहानी पूरी हुई, जब आम आदमी पार्टी ने आतिशी को अरविंद केजरीवाल की जगह दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री नियुक्त करने का फैसला किया। आतिशी ने शुरुआत में एक कार्यकर्ता के रूप में मध्य प्रदेश में कई साल बिताए थे। आगे का सफर दिल्ली से तय हुआ, जहां पार्टी की मुखर प्रवक्ता के साथ मंत्री से मुख्यमंत्री तक की कुर्सी मिल गई।
आतिशी आज आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल की सबसे भरोसेमंद नेताओं में शुमार हैं। इसी वफादारी की बदौलत मुख्यमंत्री की कुर्सी उन्हें मिली है। 2015 में AAP के संस्थापक सदस्यों प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव की बगावत के बीच आतिशी की किस्मत जरूर डगमगा गई थी। जब आतिशी की गिनती प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के करीबियों में हुआ करती थी, उस समय में आम आदमी पार्टी के भीतर काफी उधेड़बुन थी। प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव जैसे संस्थापक सदस्यों के बागी तेवर थे, जो बाद में पार्टी से अलग भी हो गए। हालांकि यहां सबसे बड़ी परेशानी आतिशी के लिए खड़ी हुई, जो अपने राजनीतिक करियर के शुरुआती दौर में थीं।
प्रशांत कैंप की बजाय अरविंद कैंप की हुईं आतिशी
भोपाल में शिक्षा के क्षेत्र के लिए काम करते वक्त आतिशी की प्रशांत भूषण से मुलाकात हुई थी। यहीं से आतिशी के लिए राजनीति में जाने के रास्ते खुले। अन्ना आंदोलन के दौरान आतिशी सक्रिय रहीं और फिर आम आदमी पार्टी साल 2013 का हिस्सा बनीं। आतिशी राजनीति में तो आईं, लेकिन प्रशांत भूषण के आम आदमी पार्टी से विद्रोह के बीच खतरा उन पर भी आया। आम आदमी पार्टी ने उन्हें पार्टी के प्रवक्ताओं की सूची से हटाने का फैसला किया। हालांकि कुछ ही दिनों में आतिशी ने ईमेल और पत्रों के जरिए खुद को केजरीवाल के पक्ष दिखाने की कोशिश की। एक तरीके से आतिशी ने आम आदमी पार्टी के भीतर बगावत में यू-टर्न लिया था। इसी तरह समय के साथ आतिशी पार्टी नेताओं का भरोसा जीतते रहीं और फिर प्रशांत-योगेंद्र कैंप की बजाय अरविंद कैंप की हो गईं।
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जब तेजी से AAP में उभारीं आतिशी
आतिशी ने भरोसा जीतने के बाद शिक्षा विभाग में मनीष सिसोदिया के सलाहकार के रूप में काम शुरू किया। लगभग 3 साल 2015 से 2018 तक वो इसी काम में लगी रहीं। 2019 में पूर्वी दिल्ली सीट से लोकसभा चुनाव का मौका मिला, जहां वो बीजेपी के गौतम गंभीर से हार गईं। इसी चुनाव के दौरान आतिशी ने अपना सरनेम (मार्लेना) हटाया। 2020 में आतिशी कालकाजी विधानसभा सीट से विधायक चुनी गईं। बताया जाता है कि 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आतिशी AAP के पहला घोषणापत्र बनाने वाली टीम में शामिल थीं।
आतिशी के राजनीतिक करियर में पिछले एक साल में सबसे ज्यादा उभार आया। मनीष सिसोदिया के बाद केजरीवाल की गिरफ्तारी भी हुई तो आतिशी ने कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं। 2023 में आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद आतिशी को दिल्ली कैबिनेट में जगह मिली। उन्हें लगभग एक दर्जन विभाग सौंपे गए, जो किसी एक मंत्री के लिए सबसे ज्यादा हैं। फिलहाल कह सकते हैं कि आम आदमी पार्टी में संजय सिंह, राघव चड्ढा जैसे नेताओं के सामने आतिशी का कद बढ़ा है। आतिशी आज अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के बाद एक तरीके से पार्टी के भीतर तीसरे नंबर की पोजिशन पर खड़ी हैं।
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CM पद के लिए आतिशी पर भरोसे की वजह?
सीएम की रेस में केजरीवाल की पत्नी सुनीता नाम सबसे ज्यादा चर्चा में था, लेकिन वो विधानसभा की सदस्य नहीं हैं। कोई सीट खाली कराई जाती तो उपचुनाव होता, जो शायद ही संभव था, क्योंकि दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल महज 6 महीने में खत्म होना है। मुख्यमंत्री के तौर पर आतिशी फिलहाल केजरीवाल की रणनीति में फिट बैठती हैं। भरोसेमंद हैं और कभी पार्टी के खिलाफ भी नहीं गईं तो इसमें केजरीवाल ने आगे की प्लानिंग को जरूर देखा होगा। क्योंकि अरविंद केजरीवाल कह चुके हैं कि अगले चुनाव में वो खुद चेहरा होंगे तो स्पष्ट है कि आतिशी का कार्यकाल इसी विधानसभा तक सीमित रह सकता है। इसमें भी दोराय नहीं है कि केजरीवाल के सीएम पद पर ना रहते हुए उनके हर फैसले से आतिशी राजी रहेंगी।
आतिशी आम आदमी पार्टी में एक महिला चेहरा भी हैं। आतिशी को गवर्नेंस की भी अच्छी समझ है, क्योंकि एक साथ एक दर्जन से अधिक विभागों को संभाला है। सिसोदिया और केजरीवाल की गैरमौजूदगी में आतिशी ने आम आदमी पार्टी से जुड़े मसलों को संभालने के मामले में अपना लोहा मनवाया। हर जगह पार्टी के लिए लड़ना हो, पार्टी का मजबूती से स्टैंड रखना हो, आतिशी अहम भूमिका में रहीं। स्वाति मालीवाल ने केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार पर हमला करने का आरोप लगाया, तो उन्होंने पार्टी और सरकार का बचाव किया। राष्ट्रीय राजधानी में पानी का संकट आया तो आतिशी ने हरियाणा से दिल्ली के पानी के हिस्से की मांग को लेकर भूख हड़ताल की।
दिल्ली की तीसरी महिला CM होंगी आतिशी
फिलहाल आतिशी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। उनके पहले बीजेपी से सुषमा स्वराज (1998) और कांग्रेस से शीला दीक्षित (2003-2013) दिल्ली में इस कुर्सी पर काबिज हुईं। आतिशी आज शपथ लेने वाली हैं। आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी का शपथ ग्रहण समारोह शनिवार, 21 सितंबर को शाम करीब 4:30 बजे है। राज निवास में उपराज्यपाल वीके सक्सेना नए मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें शपथ दिलवाएंगे। आतिशी के साथ-साथ गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत शपथ लेने वाले हैं।
Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 21 September 2024 at 13:11 IST