अपडेटेड 30 November 2024 at 17:43 IST
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सम्मेलन से पहले जारी कार्यक्रमों में गुटबाजी की खबरों के बीच पार्टी नेता बिपिन सी बाबू शनिवार को वामपंथी दल छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। भाजपा महासचिव तरुण चुघ ने माकपा के अलप्पुझा क्षेत्र समिति के सदस्य बिपिन सी बाबू को यहां आयोजित एक बैठक के दौरान पार्टी की सदस्यता दिलाई।
उन्होंने अलप्पुझा जिला पंचायत के उपाध्यक्ष, मुथुकुलम ब्लॉक पंचायत के अध्यक्ष, डीवाईएफआई और एसएफआई अलप्पुझा जिला अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद मीडिया से बातचीत में बिपिन ने आरोप लगाया कि माकपा ने अपना धर्मनिरपेक्ष चरित्र खो दिया है। उन्होंने कहा, “कुछ सांप्रदायिक ताकतें अब पार्टी का नेतृत्व कर रही हैं और यह एक विशेष वर्ग का संगठन बन गया है।” बिपिन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में विकास संबंधी पहल ने उन्हें भाजपा की ओर आकर्षित किया।
माकपा सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ नेता जी सुधाकरन को दरकिनार किए जाने की पार्टी के भीतर आलोचना हुई है और कोल्लम जिले के करुनागप्पिल्ली जैसे कुछ स्थानों पर स्थानीय और क्षेत्रीय सम्मेलनों में खुला विरोध हुआ। बिपिन ने कहा, ‘‘वरिष्ठ नेता जी. सुधाकरन देश के अग्रणी सामाजिक कार्यकर्ताओं में से एक हैं और कई वर्षों तक राज्य की सेवा करने वाले सर्वश्रेष्ठ मंत्रियों में से एक हैं। उनकी स्थिति बहुत दयनीय है।’’ उन्होंने कहा कि माकपा छोड़ने के उनके फैसले के पीछे यह भी एक कारण है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेन्द्रन ने दावा किया कि अलप्पुझा में माकपा के भीतर आंतरिक संघर्ष अब चरम पर पहुंच गया है। सुरेन्द्रन ने आरोप लगाया कि माकपा के भीतर माफिया तत्वों और पीएफआई के एक गुट की मौजूदगी पार्टी के पतन का कारण बन रही है। पार्टी के पूर्व प्रवक्ता संदीप वारियर के कांग्रेस में शामिल होने पर टिप्पणी करते हुए सुरेंद्रन ने कहा, "जब कुछ कचरा बाहर जाता है, तो शुद्ध पानी भाजपा में आता है।"
पब्लिश्ड 30 November 2024 at 17:43 IST