अपडेटेड 21 March 2024 at 17:34 IST

तो आनंद शर्मा ने जातीय जनगणना के बहाने खोल दिया राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा? किया इंदिरा का जिक्र

जातीय जनगणना पर आनंद शर्मा ने राहुल गांधी और कांग्रेस से उलट अपने विचार रखे हैं। उन्होंने जातीय गणना को इंदिरा गांधी की विरासत का अनादर बताया है।

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Mallikarjun Kharge and Anand Sharma
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ आनंद शर्मा। | Image: PTI/File

Caste Census: कांग्रेस के चुनावी मुद्दों पर जातीय जनगणना को रखा जाता है। कांग्रेस पार्टी लगातार जातीय गणना का मुद्दा उठाती रही है और इसके लिए केंद्र और अलग-अलग राज्यों में मांग कर रही है। हालांकि लोकसभा चुनावों के बीच कांग्रेस के भीतर ही जातीय जनगणना के मुद्दे पर मतभेद उभर आए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कभी गांधी परिवार के कोर ग्रुप का हिस्सा रहे आनंद शर्मा ने राहुल गांधी और कांग्रेस आलाकमान से उलट अपने विचार रखे हैं। आनंद शर्मा ने जातीय गणना को इंदिरा गांधी की विरासत का अनादर बताया है।

राष्ट्रीय राजनीति में गांधी परिवार की ढाल बनते आए कांग्रेस के प्रमुख केंद्रीय नेताओं में शुमार आनंद शर्मा ने गुरुवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को एक पत्र लिखा। इसमें आनंद शर्मा ने राष्ट्रीय जाति जनगणना की वकालत करने के लिए आलोचना की। उन्होंने कहा, 'जाति जनगणना बेरोजगारी या मौजूदा असमानताओं का समाधान नहीं हो सकती। जाति-आधारित जनगणना का विचार पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा और राजीव गांधी की विरासत को खारिज करता है।'

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आनंद शर्मा ने पत्र में क्या लिखा?

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने पत्र में लिखा, 'मेरे विचार में जाति जनगणना रामबाण नहीं हो सकती और न ही बेरोजगारी और प्रचलित असमानताओं का समाधान हो सकती है। मेरी विनम्र राय में इसे इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की विरासत का अनादर करने के रूप में गलत समझा जाएगा।' उन्होंने लिखा- 'राष्ट्रीय जाति जनगणना चुनावी बहस में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनकर उभरा है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया एलायंस ने इसका समर्थन किया है। गठबंधन में वो दल भी शामिल हैं, जिन्होंने लंबे समय से जाति आधारित राजनीति की है। हालांकि सामाजिक न्याय पर कांग्रेस की नीति भारतीय समाज की जटिलताओं की परिपक्व और सूचित समझ पर आधारित है।'

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आनंद शर्मा ने अपने विचार रखते हुए लिखा- 'राष्ट्रीय आंदोलन के नेता, उन लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध थे, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से इनकार और भेदभाव का सामना किया था। क्षेत्र, धर्म, जाति और जातीयता की समृद्ध विविधता वाले समाज में ये लोकतंत्र के लिए हानिकारक है।'

इस दौरान आनंद शर्मा ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को याद करते हुए विचारों को पत्र में 'कोट' किया। आनंद शर्मा ने लिखा- "इंदिरा गांधी के 1980 के आह्वान को याद करना प्रासंगिक है- 'ना जात पर, न पात पर, मोहर लगेगी हाथ पर।' 1990 के मंडल दंगों के बाद, विपक्ष के नेता के रूप में राजीव गांधी ने 6 सितंबर 1990 को लोकसभा में अपने ऐतिहासिक भाषण में कहा- 'अगर हमारे देश में जातिवाद को स्थापित करने के लिए जाति को परिभाषित किया जाता है तो हमें समस्या है।'

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जातीय जनगणना पर आनंद शर्मा ने आगे लिखा- 'मेरी विनम्र राय में इसे इंदिरा और राजीव की विरासत का अपमान माना जाएगा।' उन्होंने कहा कि कांग्रेस गरीबों और वंचितों के हितों के प्रति संवेदनशील रही है और उनके सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है।

कांग्रेस ने दी थी जातीय गणना की गारंटी

आनंद शर्मा का पत्र ऐसे समय आया है जब कांग्रेस ने देशव्यापी जाति जनगणना की मांग तेज कर दी है और लोकसभा चुनाव में सत्ता में आने पर इसे लागू करने का वादा किया है। जाति आधारित सर्वेक्षण को समाज का एक्स-रे बताते हुए कांग्रेस ने कहा कि राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना कराना उसकी पार्टी की गारंटी है। राहुल गांधी ने कहा कि जाति जनगणना कराना और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देना हमारी पार्टी की गारंटी होगी

क्या आनंद शर्मा ने खोला मोर्चा?

हालांकि आनंद शर्मा का ये बयान एक बार फिर से कांग्रेस के नाराज नेताओं के गुट जी-23 की याद दिला रहा है। आनंद शर्मा खुद इस गुट में शामिल थे। हालांकि गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे नेता पहले ही अलग राह पकड़ चुके हैं। आजाद ने अपनी नई पार्टी बनाई तो कपिल सिब्बल समाजवादी पार्टी समर्थित सदस्य के रूप में राज्यसभा गए। हालांकि अब सवाल उठता है कि क्या जातीय जनगणना के बहाने आनंद शर्मा ने राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 21 March 2024 at 15:02 IST