अपडेटेड 25 January 2024 at 20:03 IST
Budget 2024: मोदी सरकार ने तोड़े गुलामी के कई रिवाज, 2014 के बाद बजट को लेकर टूटीं ये परंपराएं
चमड़े के ब्रीफकेस से लेकर डिजिटल बजट और बजट पेश करने की तारीख से लेकर रेल बजट को आम बजट में शामिल करने तक मोदी सरकार में बजट की कई परंपराओं में बदलाव हुआ है।
- भारत
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PM Modi Change Budget Traditions: एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) अंतरिम बजट पेश करेंगी। यह मोदी सरकार (Modi Government) के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट होगा। मोदी सरकार में पिछले तीन सालों से पेपरलेस बजट (Paperless Budget) पेश किया जा रहा है। बजट दस्तावेज को अंतिम रूप देने का आखिरी चरण माना जाने वाली हलवा सेरेमनी बुधवार को पूरी हुई। यह समारोह हर साल होने वाली रस्म है जिसमें हलवा तैयार किया जाता है और बजट की तैयारी में शामिल रहे वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को परोसा जाता है। जिसका आयोजन दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक की बेसमेंट में होता है। नार्थ ब्लॉक में प्रिटिंग प्रेस और वित्त मंत्रालय है।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री (Pm Modi) बनने के बाद देश का बजट पेश होने में कई ऐसी परंपराएं टूटीं हैं, जो आजादी के पहले से चली आ रही थीं। पीएम मोदी की यह प्राथमिकता रही है कि हर भारतवासी गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह आजाद हो। पीएम मोदी के इसी संकल्प की झलक उनकी सरकार में बजट पेश करने में भी साफतौर पर झलकती है।
चमड़े के ब्रीफकेस (Leather briefcase) से लेकर डिजिटल बजट (Digital budget) और बजट पेश करने की तारीख से लेकर रेल बजट को आम बजट में शामिल करने तक मोदी सरकार में बजट की कई परंपराओं में बदलाव हुआ है।
2017 से बजट में आए कई बदलाव
नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2017 के बजट में कई बड़े बदलाव किए थे। 2017 से पहले देश में दो तरह के बजट पेश किए जाते थे।
- पहला रेल बजट (Rail Budget)
- दूसरा आम बजट (General Budget)
आम बजट में सरकार देश की शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा और आर्थिक विकास से जुड़े कई अहम ऐलान किए जाते हैं। इसके अलावा रेल बजट में अलग से रेलवे से संबंधित घोषणाओं को पेश करने का प्रावधान था। पहला रेल बजट भारत के आजादी से पहले ब्रिटिश सरकार ने 1924 में पेश किया था। तब से हर साल आम बजट से एक दिन पहले रेल बजट (Railway Budget) पेश करने की परंपरा चली आ रही थी।
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मोदी सरकार ने तोड़ी 92 साल की परंपरा
गुलामी के समय से चली आ रही इस परंपरा को मोदी सरकार ने साल 2017 में बदला। 2017 में सरकार ने आम बजट और रेल बजट को मिला दिया और उसके बाद साल 2017 के बाद से सिर्फ एक बजट पेश होता आ रहा है। 2027 से पहले भारत दुनिया का एकलौता ऐसा देश था, जहां दो बजट (रेल बजट और आम बजट) पेश होते थे। ये परंपरा 92 साल से चली आ रही थी।
नीति आयोग ने दी थी सलाह
तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017 में पहली बार आम बजट में रेल बजट पेश किया था। नीति आयोग ने ब्रिटिश शासन में चली आ रही इस परंपरा को खत्म करने की सलाह दी थी। अलग-अलग प्राधिकरणों के साथ विचार-विमर्श के बाद, सरकार ने रेल बजट को आम बजट में विलय करने का निर्णय लिया।
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बजट पेश करने की तारीख
अंग्रेजों के समय से बजट 28 फरवरी को पेश होता आया है। साल 2017 में बजट पेश करने की तारीख को बदलकर तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने 1 फरवरी कर दिया। पहली 1 फरवरी को 2017 में बजट पेश किया गया।
लाल कपड़े में बजट
भारत में आजादी के पहले से बजट को चमड़े के ब्रीफकेस में पेश करने की परंपरा थी। दशकों से आ चली आ रही इस परंपरा को मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तोड़ा। जब निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार में वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला तो चमड़े के ब्रीफकेस की जगह लाल कपड़ें में बही-खाता रूपी बजट लेकर संसद पहुंची।
लाल कपड़े में लिपटा बजट पेश करने वाली निर्मला सीतारमण भारत की पहली वित्त मंत्री हैं। हिंदू धर्म में लाल रंग को शुभ के साथ साहस, इच्छाशक्ति और अंदरूनी हिम्मत का प्रतीक माना जाता है।
डिजिटल बजट
देश की सत्ता संभालने के बाद से ही नरेंद्र मोदी ने डिजिटल भारत (Digital India) पर जोर दिया है। देश का बजट पेश होने से पहले हर साल बजट की छपाई होती थी। 2021 और 2022 में कोरोना की वजह से डिजिटल बजट पेश किया गया। ये पहली बार था जब यूनियन बजट मोबाइल ऐप पर उपलब्ध कराया गया था। लोकसभा के सभी सदस्यों समेत अन्य सभी लोगों को भी बजट की डिजिटल कॉपियां दी गई।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 25 January 2024 at 20:03 IST