अपडेटेड 28 January 2024 at 17:22 IST

कौन हैं सम्राट चौधरी? जिन्होंने अपनी पगड़ी तो नहीं उतारी... लेकिन बिहार में बना दी 'लव-कुश' की जोड़ी

बिहार में नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी को 'लव-कुश' जोड़ी बताया जा रहा है, जिससे मतलब उनकी जातियों से है।

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BJP Samrat Choudhary
सम्राट चौधरी | Image: Facebook

Bihar Luv-Kush Politics: सम्राट चौधरी अब नीतीश कुमार के साथ खड़े हैं और सरकार का हिस्सा बन गए हैं। सम्राट चौधरी रविवार को भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल के नेता चुने गए। इसके बाद उन्होंने नीतीश कुमार की अगुवाई वाली नई एनडीए सरकार में उपमुख्यमंत्री की शपथ ली।

हालांकि बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने 2022 में नीतीश कुमार को सीएम की कुर्सी से हटाने की जो कसम खाकर भगवा पगड़ी पहनी थी, वो पगड़ी अभी तक नहीं उतारी है। इससे उलट सम्राट चौधरी ने बिहार की सियासत में नीतीश कुमार के साथ आकर 'लव-कुश' की जोड़ी बना ली है।

बिहार में नई 'लव-कुश' जोड़ी

सत्ता परिवर्तन के साथ बिहार में नई 'लव-कुश' जोड़ी की बड़ी चर्चा है। पहले की 'लव-कुश' जोड़ी में एक तरफ नीतीश कुमार और दूसरी तरफ उपेंद्र कुशवाहा का नाम लिया जाता था। लव शब्द से मतलब नीतीश कुमार है और कुश शब्द का मतलब पहले उपेंद्र कुशवाहा हुआ करता था, जो अभी बदल गया है। अब उपेंद्र कुशवाहा की जगह कुश शब्द का इस्तेमाल सम्राट चौधरी के लिए हो रहा है।

बिहार की सियासत में 'लव-कुश' जोड़ी का मतलब कुर्मी-कोइरी के लिए इस्तेमाल होने वाली राजनैतिक शब्दावली से है। फिलहाल नीतीश और सम्राट चौधरी को 'लव-कुश' जोड़ी बताया जा रहा है, जिससे मतलब उनकी जातियों से है। नीतीश कुमार कुर्मी जाति से हैं, जबकि बीजेपी नेता सम्राट चौधरी कुशवाहा जाति, जिसे बिहार में कोइरी भी बोला जाता है, उससे ताल्लुक रखते हैं।

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बिहार का लव-कुश समीकरण

नीतीश और सम्राट चौधरी की जोड़ी को बिहार में जातीय नजरिए से देखा जाए तो ओबीसी वर्ग में यादवों के बाद कुर्मी-कोइरी की आबादी दूसरे नंबर पर आती है।

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बिहार सरकार के ताजा जातीय सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में 27 फीसदी ओबीसी की आबादी है। राज्य में यादवों की आबादी 14.26 फीसदी है। कुर्मी समुदाय की जनसंख्या 2.87 फीसदी है, जबकि कुशवाहा समुदाय की आबादी 4.27 फीसदी है। दोनों को मिलाकर ये संख्या 7 फीसदी से अधिक हो जाती है।

सम्राट चौधरी को विरासत में मिली राजनीति

सम्राट चौधरी को राजनीति विरासत में मिली। उनके माता-पिता दोनों ही बिहार विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं।

सम्राट चौधरी के पिता शकुनी चौधरी ने पटना से निकलकर दिल्ली तक की सियासत देखी। शकुनी चौधरी को समता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में गिना जाता है। वो 7 बार विधायक चुनकर बिहार विधानसभा पहुंचे और 1998 में शकुनी चौधरी सांसद चुने गए थे। सम्राट चौधरी की माता पार्वती देवी तारापुर से विधायक रह चुकी हैं।

अपने परिवार की विरासत को संभालने के लिए सम्राट चौधरी 1990 में सक्रिय राजनीति का हिस्सा बने। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत राष्ट्रीय जनता दल के साथ की थी। सियासत में कदम रखने के करीब 9 साल बाद उनकी मेहनत सफल हुई। 1999 में सम्राट चौधरी को बिहार का कृषि मंत्री बनाया गया।

फिर वो 2000 और 2010 में परबत्ता विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। 2014 में सम्राट चौधरी को विकास विभाग मंत्री बनाया गया था।

सम्राट चौधरी 2005 में सत्ता से बेदखल होने के बाद काफी समय तक राजद के साथ रहे, लेकिन 2014 में एक विद्रोही गुट का हिस्सा बन गए और जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली जदयू सरकार में शामिल हो गए। मांझी ने नीतीश कुमार के पद छोड़ने के बाद कुछ समय के लिए सत्ता संभाली थी। 3 साल बाद उनका जदयू से मोहभंग हो गया और वो 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए।

बीजेपी ने उन्हें बिहार राज्य की जिम्मेदारी सौंपी और राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाया। इसके अलावा बिहार विधान परिषद में सम्राट चौधरी प्रतिपक्ष के नेता हैं।

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 28 January 2024 at 17:14 IST