अपडेटेड May 2nd 2025, 10:24 IST
Caste Census: जनगणना में जातीय गणना को शामिल करने के ऐलान भर से राजनीति परिदृश्य पूरी तरह बदल चुका है। केंद्र की बीजेपी सरकार ने बिहार और उसके बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों से पहले मौका भांपने की कोशिश में जातीय गणना का दांव चला। ऐसा इसलिए भी कि कुछ समय से कांग्रेस, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बिहार में राजद की राजनीति जातीय गणना पर ही टिकी है। हालांकि बीजेपी सरकार की एक चाल ने विपक्ष का गेम ना सिर्फ खराब किया है, बल्कि इससे INDI अलायंस के भीतर बिखराव जैसी स्थिति पैदा हो चुकी है।
दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि बीजेपी सरकार शुरुआत में जातीय जनगणना के पक्ष में दिखाई नहीं दी। बिहार में सबसे पहले जातीय जनगणना का सर्वेक्षण कराया गया, जिसके बाद से देश के अलग-अलग राज्यों में इसकी मांग ने तेजी पकड़ी। कांग्रेस ने तेलंगाना में इसी तरह सर्वेक्षण करा दिया और कर्नाटक में भी उसी दिशा में पार्टी आगे बढ़ी। खैर, जातीय जनगणना के समर्थन में बीजेपी देरी से जरूर आई, लेकिन विपक्ष का एक बड़ा हथियार पार्टी ने अपने हाथ ले लिया है। ऐसे में विपक्ष के दल क्रेडिट लेने की होड़ में आपस में गुथ रहे हैं।
कांग्रेस राहुल गांधी को जननायक घोषित कर चुकी है और बीजेपी सरकार के फैसले के पीछे पार्टी सांसद का दबाव बता रही है। आसान शब्दों में कहें तो कांग्रेस ने बीजेपी सरकार से क्रेडिट छीनकर राहुल गांधी को जातीय जनगणना पर लिए गए फैसले का श्रेय दिया है। इसको सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कांग्रेस खूब बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रही है। नेताओं की पूरी फौज को उतार दिया है, जो अपने नेता राहुल गांधी को हीरो बताने में जुटे हैं। कांग्रेस ने यहां तक वकालत कर डाली है कि केंद्र में जातीय गणना को तेलंगाना मॉडल पर कराया जाए।
इधर बीआरएस कांग्रेस के तेलंगाना मॉडल के विरोध में उतर चुकी है। बीआरएस नेता के कविता ने राज्य में जाति जनगणना ठीक से नहीं करने के लिए तेलंगाना सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि राज्य में जाति जनगणना 'त्रुटिपूर्ण' तरीके से की गई थी और केंद्र से राज्य सरकार के मॉडल का पालन न करने का आग्रह किया।
इसको भी समझना होगा कि राहुल गांधी को क्रेडिट देकर कांग्रेस ने तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव जैसे नेताओं को नकार दिया है, जो खुद भी INDI अलायंस का हिस्सा हैं। इस स्थिति में अखिलेश यादव और तेजस्वी अपने दलों को जातीय गणना का क्रेडिट देने लगे हैं। अखिलेश यादव का अपना दावा है कि पीडीए की एकजुटता से सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया है। पीडीए अखिलेश यादव का एक फॉर्मूला है, जिसे वो चुनाव-चुनाव लेकर घूम रहे हैं।
इधर लालू यादव पूरा क्रेडिट लेने की कोशिश में कहते हैं कि बिहार ही देश को राजनीतिक दिशा देता है। कहा था ना कि कान पकड़- दंड बैठक करा इन संघियों से जातिगत जनगणना करवाएंगे। इसी बीच लालू यादव ने भविष्यवाणी की कि अब पिछड़ों और अतिपिछड़ों के लिए सीटें आरक्षित होंगी।
इस बीच तेजस्वी यादव ने 2021 का एक लेटर दिखाया है, देश के 33 प्रमुख नेताओं को पत्र लिखकर जातिगत जनगणना का समर्थन करने का आग्रह किया गया था। तेजस्वी यादव ने कहा कि जातिगत जनगणना, समानता और बंधुत्व के लिए बहुत कुर्बानियां दी है हमने और हमारे समाजवादी नेताओं ने। बहुत अपमान, चरित्र हनन और जातिगत टिप्पणियां झेली हैं।
संविधान के अनुच्छेद 246 की केंद्रीय सूची की क्रम संख्या 69 के अनुसार जनगणना केंद्र सरकार का विषय है। बावजूद इसके कांग्रेस ने राज्य में जातीय सर्वेक्षण के कराया, जो ठीक वैसे ही था, जैसे पिछली बार केंद्र में रहते हुए कांग्रेस ने जाति जनगणना की जगह सर्वेक्षण (SECC) कराया। बीजेपी कांग्रेस को ये बात याद दिला रही है।
जातिवार गणना पर केंद्र की बीजेपी सरकार के प्रेस नोट के मुताबिक, 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा। इसके बाद एक मंत्रिमंडल समूह का गठन हुआ। इसमें अधिकतर राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की सिफारिश की थी। बावजूद इसके मनमोहन सरकार ने जाति जनगणना की जगह एक सर्वेक्षण (SECC) कराया।
बीजेपी नेता अमित मालवीय कहते हैं- ‘कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने जाति जनगणना के विषय को सिर्फ अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया।’
पब्लिश्ड May 2nd 2025, 10:24 IST