अपडेटेड 29 September 2023 at 18:25 IST
ठाकुर VS ब्राह्मण : तेजप्रताप यादव की नजर में कौन असली क्षत्रिय, RJD की जातीय पहेली के पीछे क्या है?
सोशल मीडिया पर लोग तेज प्रताप यादव के इस ट्वीट पर तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
- भारत
- 2 min read

आरजेडी सांसद मनोज झा ने हाल ही में संसद के विशेष सत्र में ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता 'ठाकुर का कुंआ' पढ़ा था जिस पर कुछ दिनों बाद उन्हीं की पार्टी के नेता ने तीखी आपत्ति जताई। आरजेडी के नेता आनंद मोहन और उनके बेटे ने जातिगत हमला बताते हुए तगड़ा विरोध किया।
स्टोरी में आगे पढ़ें:
- अचानक RJD का कैसा जागा ब्राह्मण प्रेम
- तेज प्रताप यादव ने छेड़ दी नई चर्चा
तेज प्रताप ने दी नई बहस को हवा
हालांकि आनंद मोहन को नसीहत देते हुए पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने मनोज झा का समर्थन किया और कविता को जाति विरोधी नहीं माना। इस बीच लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने ब्राह्मणों की ऐतिहासिक सुरक्षा के बहाने नकली और असली क्षत्रिय की बहस खड़ा करने की कोशिश की है।
तेज प्रताप ने एक ट्वीट में लिखा- "क्षत्रिय, ब्राह्मण के रक्षा हेतु अपने प्राण तक न्योछावर कर देते हैं इसका उदाहरण वेद, पुराण और हमारा इतिहास गवाह है कि जब भी ब्राह्मण पर कोई संकट आई है क्षत्रिय सदैव सबसे पहले आगे रहे हैं और आजकल के क्षत्रिय बस जाति के नाम पर दिखावा करते हैं।"
Advertisement
इस पोस्ट के साथ तेज प्रताप ने महाभारत का एक वीडियो भी शेयर किया है।
आनंद मोहन को नकली करार देते इशारों में अटैक
तेजप्रताप ने ट्वीट में कुछ साफ-साफ तो नहीं कहा, मगर जैसे उनके पिता और अब उन्होंने पहेली बूझने की कोशिश की है उससे तो यह साफ पता चलता है कि आरजेडी ब्राह्मणों को ललचाते दिख रही है। यह भी माना जा रहा कि सांकेतिक भाषा में तेजप्रताप ने यादवों को 'असली क्षत्रिय' बताने की कोशिश की है। एक तरह से तेजप्रताप ने आजकल के क्षत्रियों यानी आनंद मोहन को नकली करार देते हुए इशारों में अटैक किया है।
Advertisement
कुछेक सीटों को छोड़ दें तो बिहार में ब्राह्मण और क्षत्रिय आरजेडी का कोरवोट नहीं हैं। राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि आरजेडी ने जानबूझकर अपनी ही पार्टी के दो नेताओं के जरिए विवाद खड़ाकर एक वर्ग को ललचाने की कोशिश की है और पार्टी का मकसद आगामी चुनाव में इसे भुनाना है। लोग सवाल कर रहे हैं कि आरजेडी के मन में अचानक ब्राह्मणों के लिए इतना प्यार क्यों उमड़ रहा है।
अभी कुछ ही हफ्ते पहले उन्हीं की पार्टी के मंत्री ने रामचरित मानस के बहाने तुलसीदास और एक जाति विशेष को लेकर किस तरह अनर्गल बयान दिए। कुछ लोग इसे रामचरित मानस विवाद में भरपाई के तौर पर भी ले रहे हैं।
टाइमिंग पर सवाल
वहीं लोग टाइमिंग पर सवाल उठा रहे। राजनीतिक कोशिश करार देते हुए सवाल भी हो रहे कि मनोज झा ने जब संसद में भाषण दिया ठीक उसके बाद आरजेडी के दूसरे नेता ने क्यों नहीं सवाल उठाए। सवाल उठाने में घंटों देरी क्यों की गई? क्या यह सोची समझी पॉलिटिकल ट्रिक है?
खैर पूरे विवाद में बताते चलें कि ठाकुर एक उपाधि है जो जमींदारों की दी जाती थी। अलग अलग जातियों के जमींदार ठाकुर ही कहलाते थे। और बिहार के जमींदारों में क्षत्रियों, भूमिहार ब्राह्मणों के अलावा भी कई ताकतवर जातियां शामिल थीं।
Published By : Arpit Mishra
पब्लिश्ड 29 September 2023 at 18:16 IST