अपडेटेड 29 January 2024 at 12:22 IST

नीतीश 1985 में पहली बार बने MLA, 2004 में आखिरी बार MP; 19 साल से नहीं लड़ा चुनाव, अब 9वीं बार CM

नीतीश कुमार अभी बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं। 19 साल से उन्होंने जनता के बीच आकर खुद चुनाव नहीं लड़ा है। आखिरी बार 2004 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा था।

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Bihar CM Nitish Kumar
बिहार सीएम नीतीश कुमार | Image: ANI

Nitish Kumar political journey: 'बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है', ये राज्य में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइडेट का एक समय का चुनावी नारा हुआ करता था। अभी अगर इस नारे को 'बदले दल बार-बार हैं, CM फिर भी नीतीशे कुमार हैं' के रूप में कहा जाए तो कतई गलत नहीं होगा। बिहार में सियासत का तख्तापलट करते हुए नीतीश कुमार 9वीं बार मुख्यमंत्री बन गए हैं।

लोकसभा चुनाव से पहले 28 जनवरी 2024 को बिहार की सियासत का नया अध्याय शुरू हुआ। 28 जनवरी को नीतीश कुमार ने राज्य के 38वें मुख्यमंत्री के रूप में पदभार छोड़ दिया और ठीक उसी दिन 39वें सीएम के तौर पर शपथ ग्रहण कर ली। नीतीश कुमार ने इस बार 9वें टाइम मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

अभी विधान परिषद के सदस्य हैं नीतीश

मौजूदा वक्त में नीतीश कुमार बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं। अहम बात ये है कि 19 साल से उन्होंने जनता के बीच आकर खुद चुनाव नहीं लड़ा है।

नीतीश कुमार पढ़ाई के समय ही छात्र राजनीति में आए और यहीं से उन्हें जेपी आंदोलन से जुड़ने का मौका मिला। 1974 और 1977 के बीच नीतीश जेपी आंदोलन से जुड़े रहे। शुरुआती वर्षों में वो राम मनोहर लोहिया, एसएन सिन्हा, कर्पूरी ठाकुर और वीपी सिंह से नेताओं से परिचित हो गए थे।

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1977 में पहली बार चुनाव लड़ा, हार मिली

1970 के दशक में नीतीश ने बिहार की राजनीति में कदम रखा था। पहली बार 1977 में नीतीश ने हरनौत सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा, उस समय वो जनता पार्टी में हुआ करते थे। हालांकि चुनाव में नीतीश को पहली बार में ही हार मिली। 1980 में दूसरी बार के चुनावों में भी नीतीश उसी सीट से हार गए।

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पहली बार 1985 में MLA, 1989 में MP बने

हालांकि 1985 के विधानसभा चुनावों में नीतीश को पहली बार जीत मिली। उसके बाद से नीतीश का राजनीतिक जीवन ऊंचाई छूता चला गया। 1989 में नीतीश कुमार को लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला, जिसमें उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की। 9वीं लोकसभा के लिए नीतीश बाढ़ सीट से सांसद चुने गए थे और इसी के साथ वो पहली बार संसद पहुंचे।

फिर नीतीश ने केंद्र की राजनीति से निकलकर राज्य की तरफ रुख नहीं किया। वो 1991, 1996, 1998 और 1999 के लोकसभा चुनावों में जीतते चले गए। अटल सरकार में नीतीश को कृषि मंत्री बनाया गया था और 1999 में कुछ समय के लिए रेल मंत्री भी बने।

1994 में बनाई अपनी पार्टी

1994 में जनता दल से अलग होकर नीतीश ने जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर अपनी अलग समता पार्टी बना ली।

जब मंडल लहर अपने चरम पर थी और प्रसाद इसका लाभ उठा रहे थे, नीतीश ने जॉर्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर समता पार्टी बनाई, जो बाद में 2003 में जनता दल (यूनाइटेड) में तब्दील हो गई।

साल 2000 में 7 दिन के CM बने

साल 2000 में नीतीश कुमार को पहली बार बिहार का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। हालांकि वो बहुत ही कम समय के लिए। अहम 7 दिन नीतीश कुमार उस समय बिहार के सीएम पद पर रहे। बहुमत सिद्ध ना कर पाने की वजह से उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।

हालांकि 2004 में जब लोकसभा चुनावों में एनडीए की हार हुई तो नीतीश ने रुख राज्य की राजनीति की ओर कर लिया। हालांकि नीतीश को 2004 में नालंदा सीट से जीत मिली थी।

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2004 में आखिरी बार लड़ा चुनाव

2004 में आखिरी बार जब नीतीश कुमार ने सांसदी का चुनाव लड़ा तो उन्हें एक लाख से अधिक वोटों से जीत मिली थी। नीतीश जदयू के उम्मीदवार थे, जिन्हें साढ़े 4 लाख से अधिक वोट मिले थे। लोक जनशक्ति पार्टी के पुष्पंजय कुमार करीब साढ़े तीन लाख वोटों के साथ दूसरे नंबर पर आए थे।

अक्टूबर 2005 में जब बिहार विधानसभा के चुनाव हुए तो नीतीश के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी। 2006 में नीतीश कुमार बिहार विधान परिषद के सदस्य चुने गए और अपना कार्यकाल जारी रखा। उसके बाद से नीतीश कुमार ने कभी जनता के बीच आकर खुद चुनाव नहीं लड़ा है।

बिहार में राजनीति में अभी नीतीश की अलग छवि

अभी बिहार की राजनीति में नीतीश ने खुद को एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित कर लिया है, जो सबसे लंबे समय से राज्य में शासन कर रहे हैं और वो भी तब जब उनकी पार्टी अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाती। इस उपलब्धि के पीछे छिपा हुआ तथ्य और उनका राजनीतिक कौशल ये है कि नीतीश कभी भी अपने सहयोगियों के साथ सहज नहीं रह सके, जिसके कारण उन्हें कई बार साझेदार बदलने पड़े।

नीतीश ने कब कब सहयोगी बदले

नीतीश ने 2005 से 2013 तक एनडीए के साथ सरकार चलाई। फिर 2015 में राजद के साथ गठबंधन कर सीएम की कुर्सी पर कब्जा जमाए रखा।

2017 में नीतीश फिर से राजद को छोड़कर एनडीए में आ गए। 2020 में विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ लड़ा, लेकिन 2022 में फिर एनडीए को छोड़ दिया और महागठबंधन में चले गए। अभी नीतीश कुमार फिर से एनडीए में आ गए हैं।

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 29 January 2024 at 09:55 IST