अपडेटेड 23 June 2024 at 09:35 IST

मायावती ने नहीं की कांग्रेस वाली भूल! आकाश आनंद की राजनीति में री-एंट्री, उपचुनाव में दी जिम्मेदारी

बसपा ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट में आकाश आनंद को शामिल किया है। आकाश का नाम दूसरे नंबर पर है। समझ सकते हैं कि पार्टी के भीतर उनकी पोजीशन नंबर-2 वाली है।

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BSP Chief Mayawati and Party Leader Akash Anand
बसपा सुप्रीमो मायावती और भतीजा आकाश आनंद | Image: PTI

BSP Chief Mayawati: लोकसभा के चुनावों में मायावती का खाता नहीं खुला है। उत्तर प्रदेश, जहां मायावती ने कभी डंके की चोट पर सरकार चलाई, अपना वजूद बनाया, उसी राज्य में बहुजन समाज पार्टी और मुखिया मायावती की राजनीति सिमट गई। जाति विशेष की राजनीति में मायावती को गिना जाता है, क्योंकि उनका सबसे बड़ा और मजबूत वोटबैंक दलित रहे हैं। बावजूद पूरे राज्य में मायावती को एक सीट नसीब नहीं हुई। खैर, लोकसभा चुनावों से सबक लेकर मायावती अब विधानसभा उपचुनावों की तैयारियों में लग गई हैं। हालांकि यहां मायावती का एक कदम सबको चौंका रहा है और वो ये कि लोकसभा चुनावों में आकाश आनंद को मायावती ने अपरिपक्व कहकर ओहदा छीन लिया था, अभी विधानसभा उपचुनावों में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।

आकाश आनंद की राजनीति में री-एंट्री को मायावती की खास रणनीति की हिस्सा मान सकते हैं। वो इसलिए कि शायद कांग्रेस जैसी गलती मायावती नहीं करना चाहती थीं। कांग्रेस ने 10 साल में भीतर कई बार राहुल गांधी को राजनीति में लॉन्च किया, जिस तरह से बीजेपी कहती है। हालांकि राहुल गांधी हर बार असफल नेता के रूप में उभरे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान सौंपे जाने पर भी राहुल गांधी कांग्रेस को जीत नहीं दिला पाए थे। उसके बार कभी भारत जोड़ो यात्रा तो कभी न्याय यात्रा के जरिए राहुल गांधी ने देश की राजनीति को समझने की कोशिश की। राहुल गांधी कांग्रेस घोषित जननायक की भूमिका में भी आए, लेकिन पार्टी का जनाधार इतना टूट चुका है कि तीसरी बार में भी कांग्रेस शतक तक नहीं लगा पाई। यही भूल मायावती ने कतई नहीं की।

असफल लॉन्चिंग नहीं चाहती थी मायावती?

आकाश आनंद को जिस तरह ने मायावती ने अपना उत्तराधिकारी बना दिया था और पार्टी की लगभग कमान हाथों में सौंप दी थी, शायद चुनावी रुख को भांपते हुए मायावती ने वक्त से पहले ही आकाश आनंद को पीछे कर दिया। खैर, उस वक्त भले बयानों पर विवाद का हिस्सा उस फैसले को माना गया। हालांकि इसके पीछे की वजह शायद यही रही हो कि मायावती नहीं चाहती होंगी कि प्रतिकूल परिस्थितिओं में हार का ठीकरा आकाश आनंद के सिर फूट जाए। कहीं राजनीतिक करियर में बुलंदी के लिए आकाश आनंद की शुरुआत खराब ना हो जाए।

आसान शब्दों में समझें तो मायावती की रणनीति शायद रही होगी कि कांग्रेस ने जिस तरह बार बार राहुल गांधी लॉन्च किया और हर बार लॉन्चिंग असफल रही तो ठीक उसी तरह आकाश आनंद की लॉन्चिंग असफल ना हो जाए। इसमें कोई दो राय नहीं है कि मायावती के उत्तराधिकारी के रूप में लोकसभा चुनावों में आकाश आनंद आगे रहे होते तो हार के बाद दोष जरूर मढ़ दिया गया होगा। खैर, अभी मायावती ने उन्हें विधानसभा उपचुनावों में पार्टी के भीतर दूसरे नंबर की हैसियत पर खड़ा करने की कोशिश की है।

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अब आकाश को पार्टी में नंबर-2 ओहदा

बहुजन समाज पार्टी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट पर नजर डाल लीजिए तो मायावती के बाद आकाश आनंद का नाम दूसरे नंबर पर स्पष्ट दिखाई दे जाएगा। विधानसभा उपचुनाव आने वाले महीनों में उत्तराखंड और पंजाब में होने हैं। उसके लिए बहुजन समाज पार्टी ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट में आकाश को शामिल किया है। आकाश का नाम दूसरे नंबर पर है, मतलब समझ सकते हैं कि पार्टी के भीतर भी उनकी पोजीशन नंबर-2 वाली है। अभी ये भी कह सकते हैं कि इन उपचुनावों में मायावती के पास आकाश आनंद को राजनीति की ट्रेनिंग देने का सही मौका भी होगा और संगठनात्मक तौर पर उनकी मजबूती भी बढ़ जाएगी।

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 23 June 2024 at 09:35 IST