अपडेटेड 6 December 2024 at 21:11 IST
'तुम्हारे फेंके हुए टुकड़े पर नहीं रहेंगे, खुदा की कसम...', बाबरी पर ओवैसी ने फिर किया खतरनाक पोस्ट
आज के ही दिन 32 साल पहले बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने ध्वस्त किया था। इस मौके पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने एक पुरानी वीडियो पोस्ट की है।
- भारत
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श्रीराम की नगरी अयोध्या में 32 साल पहले आज के ही दिन 6 दिसंबर 1992 को राम जन्मभूमि पर बने बबारी मस्जिद को कार सेवकों ने ध्वस्त किया गया था। भारत के इतिहास में आज का दिन सनातनियों के लिए अहम था। हालांकि, मस्जिद के गिराए जाने के बाद देशभर में काफी समय तक तनावपूर्ण का माहौल था। देशभर में अशांति के बीच जानमाल का भी काफी नुकसान हुआ था। आज के दिन पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की एक पुरानी वीडियो उनके सोशल मीडिया पर शेयर की गई है।
वीडियो में AIMIM प्रमुख कहते हुए नजर आ रहे हैं, "हमारी लड़ाई जमीन की नहीं थी। हमारी तौहीन की जा रही है, जमीन देकर। हमारी लड़ाई मस्जिद की थी, कानूनी अधिकार की थी। हमको भीख में नहीं चाहिए कोई चीज। हमको हमारा जो हक है वो दो। हमको भिखारी मत समझो। हम हिंदुस्तान के बाइज्जत शहरी हैं। हम कोई किराएदार नहीं हैं। हम कोई फकीर नहीं हैं, भिखारी नहीं है कि तुम्हारे फेके हुए टुकड़ों पर जिंदा रहेंगे हम। लड़ाई कानूनी अधिकार की है। अगर हिंदुस्तान का सबसे गरीब इलाका है,सीमांचल के पास से। अगर मैं सीमांचल चला जाऊं, और किशनगंज से अररिया तक मैं सीमांचल की आवाम से भीख मांगू कि मेरी झोली पैसों से भर दो मुझे यूपी में 5 एकड़ जमीन खरीदकर अल्लाह की मस्जिद बनाना है, तो खुदा की कसम 48 घंटे में पैसे जमा हो जाएंगे।"
6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने ढहा दिया विवादित ढांचा
पूरे देश से कारसेवकों का जत्था अयोध्या के लिए रवाना हो गया। यह एक ऐसी क्रांति थी, जिसकी कोई परिकल्पना भी नहीं कर सकता था। शासन प्रशासन ने इन कारसेवकों को रोकने की कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। कर्फ्यू लगवाया, सड़कें बंद करवाईं, अयोध्या जाने वाले वाहनों को रोका बैरिकेडिंग की, लेकिन कारसेवक खेतों से, पगडंडियों से, गांवों से होते हुए अयोध्या पहुंचे। 6 दिसंबर 1992 को वो दिन भी आ गया जब कारसेवकों की रैली में डेढ़ लाख से ज्यादा की भीड़ शामिल हो गई। इसके बाद ये भीड़ विवादित ढांचे के पास पहुंचते ही एकदम से बेकाबू हो गई और देखते ही देखते इस भीड़ ने विवादित बाबरी ढांचे को ध्वस्त कर दिया।
ऐसे बनी विवादित ढांचे को ढहाने की पृष्ठभूमि
80 के दशक का अंत और 90 के दशक की शुरुआत में ही राम जन्मभूमि की अलख देश में जाग चुकी थी। यही वो समय था जब देश भर से कारसेवक और साधु-संत राम मंदिर बनवाने के लिए अयोध्या कूच कर रहे थे। सूबे में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी और 30 अक्टूबर, 1990 का दिन था। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की वजह से अयोध्या में कर्फ्यू लगाया गया था, जिसकी वजह से कारसेवकों और श्रद्धालुओं को अयोध्या में प्रवेश से रोका जा रहा था।
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पुलिस ने विवादित ढांचे के एक किलोमीटर के दायरे से भी अधिक परिधि में सुरक्षा का घेरा बना रखा था। इसी दौरान कुछ कारसेवक जो कि विवादित ढांचे की ओर बढ़ रहे थे उन पर पुलिस ने गोलियां चलाईं और 2 कारसेवकों की वहीं मौत हो गई।
कारसेवकों पर चलवाईं थी गोलियां
30 अक्टूबर को अयोध्या में 5 कारसेवकों की मौत के बाद पूरे देश से हजारों कारसेवक अयोध्या पहुंचना शुरू हो गए। इस दौरान पूरे देश का माहौल बहुत ही गरम था। अयोध्या में हजारों कारसेवक हनुमानगढ़ी तक पहुंच गए थे। अशोक सिंघल, उमा भारती, स्वामी वामदेवी जैसे बड़े हिन्दुत्व के नेता अलग-अलग दिशाओं से हजारों कारसेवकों के साथ हनुमानगढ़ी की ओर बढ़ रहे थे।
हनुमानगढ़ी विवादित ढांचे से कुछ ही दूरी पर स्थित था। 2 नवंबर की सुबह हनुमान गढ़ी से जैसे ही कारसेवकों ने आगे की ओर कूच किया पुलिस ने कारसेवकों पर गोलियां चला दीं। इसमें सरकारी आंकड़े के मुताबिक 18 कारसेवकों की मौत हो गई थी जिसमें कोलकाता के कोठारी बंधु भी शामिल थे।
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Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 6 December 2024 at 21:11 IST