अपडेटेड 5 July 2025 at 14:54 IST
Mahrashtra News: महाराष्ट्र की राजनीति के लिए आज (5 जुलाई) का दिन ऐतिहासिक साथ हुआ। एक साथ, एक मंच पर दो चचेरे भाई उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे नजर आए। राज्य में हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच मुंबई के वर्ली सभागार में 'मराठी एकता' पर एक रैली आयोजित की गई, जिसमें उद्धव और राज ने मंच साझा किया। इस दौरान राज ठाकरे ने कहा कि हमें साथ लाने का जो काम बालासाहेब ठाकरे नहीं कर पाए, वो फडणवीस ने कर दिखाया।
करीब 20 साल के बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने एक साथ एक मंच पर साझा किया। इस दौरान दोनों गले भी मिले। महाराष्ट्र की राजनीति में इसे बड़े बदलाव के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
रैली में शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बड़ा बयान देते हुए कहा, "हम साथ रहने के लिए साथ आए हैं।" उन्होंने कहा, "जब से हमने इस कार्यक्रम की घोषणा की थी, तब से सभी को आज हमारे भाषण का बेसब्री से इंतजार था... लेकिन मेरे विचार से हम दोनों का एक साथ आना और यह मंच हमारे भाषणों से ज्यादा महत्वपूर्ण था। राज ठाकरे पहले ही बहुत शानदार भाषण दे चुके हैं और मुझे लगता है कि अब मुझे बोलने की कोई जरूरत नहीं है।"
केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को घेरते हुए उद्धव ने कहा कि केंद्र ने मुंबई के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को गुजरात में धकेल दिया है। व्यवसायों को गुजरात में स्थानांतरित किया जा रहा है। बड़े कार्यालय गुजरात जा रहे हैं। हीरा व्यवसाय पहले ही गुजरात में स्थानांतरित हो चुका है, इसलिए आपने महाराष्ट्र की रीढ़ तोड़ने के सभी प्रयास किए हैं और ऐसा करना जारी रखा है, और आप हमसे सवाल पूछ रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1992 में मुंबई में जब हिंसा फैली तो यहां के मराठी लोगों ने ही हिंदुओं की जान बचाई। मुख्यमंत्री फडणवीस कहते हैं कि वह गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं करेंगे। तो मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि अगर वह अपनी भाषा (मराठी) को लेकर गुंडागर्दी करेंगे तो फिर हम भी गुंडे हैं।
रैली को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा, "मैंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है। आज 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं। जो काम बालासाहेब नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने किया... हम दोनों को साथ लाने का काम।"
उन्होंने कहा कि उन्हें हिंदी से कोई समस्या या शिकायत नहीं है। राज ठाकरे ने कहा कि कोई भी भाषा बुरी नहीं होती। भाषा बनाने में बहुत मेहनत लगती है। मराठा साम्राज्य के दौरान हम मराठी लोगों ने कई राज्यों पर राज किया, लेकिन हमने उन हिस्सों पर मराठी कभी नहीं थोपी। उन्होंने हम पर हिंदी थोपने का प्रयोग शुरू किया और यह परखने की कोशिश की कि अगर हम इसका विरोध नहीं करेंगे तो वे मुंबई को महाराष्ट्र से अलग कर देंगे।
राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र से मुंबई को अलग करने की कोशिश कभी कामयाब नहीं होगी। किसी ने मुंबई पर हाथ डालने की हिम्मत की, तो वो मराठी मानुष का असली बल देखेगा।
राज ठाकरे ने यह भी कहा, “चाहे गुजराती हो या कोई और... उसे मराठी आनी चाहिए, लेकिन अगर कोई मराठी नहीं बोलेगा, तो उसे पीटने की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर कोई बेकार का ड्रामा करता है तो आपको उसके कान के नीचे मारना चाहिए। मैं आपको एक और बात बताता हूं: अगर आप किसी को पीटते हैं, तो घटना का वीडियो न बनाएं। पीटे गए व्यक्ति को बताएं कि उसे पीटा गया है, आपको हर किसी को यह बताने की जरूरत नहीं है कि आपने किसी को पीटा है।”
बता दें कि हाल ही में महाराष्ट्र में 1 से 5वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए थर्ड लैंग्वेज के तौर पर हिंदी भाषा को अनिवार्य किया गया। फैसला राज्य के सभी मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों पर भी लागू हुआ था। सरकार ने यह फैसला नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के नए करिकुलम को ध्यान में रखकर लिया था। हालांकि इस पर जब विवाद बढ़ा तो सरकार बैकफुट पर आ गई।
पब्लिश्ड 5 July 2025 at 14:54 IST