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Published 22:46 IST, October 9th 2024

हरियाणा में हार के बाद आम आदमी पार्टी ने लिया बड़ा फैसला, दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेने का किया ऐलान

हरियाणा में कांग्रेस को मिली हार के बाद आम आदमी पार्टी ने कहा कि वह फरवरी में प्रस्तावित दिल्ली विधानसभा चुनाव बिना किसी गठबंधन के अकेले लड़ेगी।

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Delhi CM Arvind Kejriwal
Delhi CM Arvind Kejriwal | Image: Facebook

हरियाणा में कांग्रेस को मिली हार के एक दिन बाद बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि वह फरवरी में प्रस्तावित दिल्ली विधानसभा चुनाव बिना किसी गठबंधन के अकेले लड़ेगी जबकि कांग्रेस ने भी पार्टी (आप) के साथ किसी तरह के समझौते से इनकार किया है।

‘आप’ ने कांग्रेस की इस बात के लिए भी आलोचना की कि उसने अपने ‘‘अति आत्मविश्वास’’ के कारण हरियाणा में गठबंधन के लिए किए जा रहे आह्वान पर ध्यान नहीं दिया।

अति आत्मविश्वासी कांग्रेस और अहंकारी भाजपा से अकेले मुकाबला करने में सक्षम- AAP

‘आप’ की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘दिल्ली में ‘आप’ अकेले लड़ेगी। हम अति आत्मविश्वासी कांग्रेस और अहंकारी भाजपा से अकेले मुकाबला करने में सक्षम हैं।’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हरियाणा में गठबंधन सहयोगियों को हल्के में लिया और अपने अति आत्मविश्वास के कारण उसे हार का सामना करना पड़ा।

इस बीच कांग्रेस की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने एक बयान में कहा कि पार्टी ‘आप’ के साथ किसी भी तरह के गठबंधन के बिना अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मजबूत स्थिति में है।

उन्होंने कहा कि आबकारी ‘घोटाला’ मामले में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया समेत पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं के गिरफ्तार होने और जेल जाने के बाद पार्टी की कोई विश्वसनीयता नहीं बची है।

हमने गठबंधन धर्म का पालन किया - संजय सिंह

‘आप’ के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ‘आप’ ने हरियाणा में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की कोशिश की लेकिन उसने सभी प्रयासों को विफल कर दिया।

सिंह ने कहा, ‘‘हमने गठबंधन धर्म का पालन किया और हरियाणा में भाजपा के 10 साल के कुशासन को खत्म करने के लिए उनके साथ गठबंधन करने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने गठबंधन नहीं किया और अकेले चुनाव लड़ा और कहा कि राज्य में आम आदमी पार्टी कोई ‘फैक्टर’ नहीं है।’’

कांग्रेस और ‘आप’ के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन की बातचीत सीट बंटवारे को लेकर मतभेद के कारण खत्म हो गई। ‘आप’ हरियाणा में कांग्रेस के साथ गठबंधन करके 8-9 सीट पर चुनाव लड़ना चाहती थी जबकि कांग्रेस उसे 3-4 सीट से अधिक देने को तैयार नहीं थी।

सिंह ने गठबंधन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस वर्ष हरियाणा में जब आप-कांग्रेस ने मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था तो ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) गठबंधन का मत प्रतिशत 47 प्रतिशत था।

हरियाणा में कांग्रेस की हार उसके अति आत्मविश्वास के कारण हुई- कक्कड़

कक्कड़ ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की हार उसके अति आत्मविश्वास के कारण हुई। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस अति आत्मविश्वास में है और उसे लगता है कि वह अकेले ही भाजपा को हरा सकती है।’’

उन्होंने कहा कि भले ही कांग्रेस के पास दिल्ली में कोई विधानसभा सीट नहीं है, लेकिन ‘आप’ ने इस साल की शुरुआत में उसे तीन लोकसभा सीट लड़ने के लिए दी थीं।

हरियाणा की 90 विधानसभा सीट में से 89 पर चुनाव लड़ने वाली ‘आप’ को भी करारी हार का सामना करना पड़ा और एक को छोड़कर उसके सभी उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा सके।

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Updated 22:46 IST, October 9th 2024