अपडेटेड 10 May 2024 at 15:26 IST
रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म स्लोगन का क्या है मतलब? PM मोदी ने विस्तार से समझाया
पीएम नरेंद्र मोदी ने रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन चीफ अर्नब गोस्वामी से खास बातचीत में 'रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म' के सिद्धांत को समझाया।
- भारत
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PM Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म' (सुधार, निष्पादन और परिवर्तन) के सिद्धांत पर जोर रहा है। पीएम मोदी और बीजेपी देश में कई बड़े बदलावों का उदाहरण देते हैं, जिसमें वो 'रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म' के सिद्धांत का भी हवाला देते हैं। हालांकि 'रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म' का सिद्धांत किस तरह से सफल हुआ है ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विस्तार से समझाया है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन चीफ अर्नब गोस्वामी से खास बातचीत में 'रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म' के सिद्धांत को समझाया। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म का मतलब है- पॉलिटिकल लीडरशिप, गर्वमेंट सिस्टस और जनता जर्नादन। ये त्रिवेणी जब मिलती है, तब परिणाम आता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब मैं रिफॉर्म कहता हूं तो ये पॉलिटिकल लीडरशिप की जिम्मेदारी है कि वो रिफॉर्म की तैयारी के लिए बड़े फैसले ले, जो डेमोक्रेसी में सबसे कठिन माना जाता है, राजनेता भी बचकर चलते हैं। रिफॉर्म इनकी जिम्मेदारी है। परफॉर्म ये ब्यूरोक्रेसी की जिम्मेदारी है। परफॉर्म करना होता है ब्यूरोक्रेसी और देश ट्रांसफॉर्म होता है। पीएम मोदी ने कहा कि ये बहुत ही सिस्टमैटिक सोची हुई चीज पर बोला हूं, लेकिन मैंने कम शब्दों में बोल दिया, इसलिए इसकी कीमत नहीं हैं।
रिफॉर्म: ये इलेक्टेड बॉडी की जिम्मेदारी है।
परफॉर्म: पूरे ब्यूरोक्रेटिक सिस्टम और गवर्नेंस की जिम्मेदारी है।
ट्रांसफॉर्म: जनता जर्नादन के कोऑपरेशन से होता है। जनता अगर जुड़ती नहीं है तो कितना भी रिफॉर्म करो, तो वो ट्रांसफॉर्म नहीं होता है।
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PM मोदी ने दिए कई उदाहरण
प्रधानमंत्री मोदी ने उदाहरण गिनाते हुए कहा कि हमारे देश में जो सरकारी कंपनियां हैं, 60 सालों तक कांग्रेस ने उनके संसाधनों का इस्तेमाल होटल और विमान किराए पर करने में किया। इन्हीं चीजों में खर्च कर दिया, पूरी बर्बादी कर दी।
2009 की CAG की रिपोर्ट है, जिसमें उसने कंपनियों से कहा था कि मिस-मैनेजमेंट की वजह से 68 कंपनियां बर्बाद हो गई थीं। मैंने आकर देखा तो मैंने सरकारी कंपनियों और सरकारी बैंक को लेकर पहला फैसला लिया, कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं चलेगा। आइडिया, विचार, नयापन, वो जरूर कहना चाहिए। इन परिस्थितियों से भागना नहीं चाहिए। राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
इंटरव्यू में पीएम मोदी ने आगे बताया कि 'पहले पॉलिटिकल सिस्ट क्या कहते थे- मंत्री उन्हें पहले खुद एक मोबाइल फोन मिलता था। उनके PSO जिसके विभाग में होते थे, उन तीनों के मोबाइल लेना। सरकारी गाड़ी होगी, अपने बच्चों के लिए हर PSO से एक गाड़ी रखेगा। ये सारे खेल बंद होने चाहिए।' मैंने कहा कि देखिए आप शेयर होल्डर के साथ कमिटेड हैं। आप शेयर होल्डर का हित देखना है। आपकी कंपनी आगे बढ़ेगी तो शेयर होल्डर का हित बढ़ेगा। पहले और अब के आंकड़ों को देखकर हैरान रह जाएंगे।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में सरकारी कंपनियों का ग्रॉस रेवेन्यू करीब 20 लाख करोड़ था। 2024 में सरकारी कंपनियों का ग्रॉस रेवेन्यू 38 लाख करोड़ है। उसी तरह से सरकारी कंपनियों का नेट वर्थ 2014 में लगभग 9 लाख करोड़ था, जबकि 2024 में नेट वर्थ 18 लाख करोड़ है। सभी सरकारी कंपनियों का टोटल मार्केट कैप 225 प्रतिशत बढ़ा है। वो भी तब जब दुनिया की अर्थव्यस्था नीचे जा रही हो। आज सरकारी कंपनियों के स्टॉक बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
बैंकिंग सिस्टम के उदाहरण देते हुए पीएम मोदी ने आगे कहा कि फोन बैंकिंग घोटाले की वजह से बैंकों की हालत बेहद खराब हो गई, खासकर 2008 में। जब आपका बैंकिंग सिस्टम चरमरा जाए ना तो दुनिया का विश्वास उठ जाता है। 21 में से 11 बैंक RBI की निगरानी की सूची में थीं। उन्हें डे-टू डे मॉनिटर करना पड़ता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने भ्रष्टाचार और फोन बैंकिंग का जो खेल था, सारा बंद करवा दिया। एक लाख करोड़ से ज्यादा आज बैंकों का प्रॉफिट है। इन बैंकों का जन्म हुआ तब से लेकर आज ये उनका सबसे उच्च प्रॉफिट है और ये लगातार बढ़ रहा है। ये रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के उत्तम उदाहरण हैं।
Published By : Amit Bajpayee
पब्लिश्ड 10 May 2024 at 10:32 IST