अपडेटेड 23 April 2025 at 14:23 IST
हिंदू है? कंफर्म करने के लिए पुरुषों के उतरवाए पैंट, प्राइवेट पार्ट किया चेक फिर मार दी गोली; पहलगाम आतंकी हमले में खुलासा
आतंकियों ने गोली मारने से पहले पुरुषों की पैंट उतरवाई, प्राइवेट पार्ट चेक किया ताकि इस बात की तसल्ली से पुष्टि कर सकें कि वो जिसे मार रहे हैं वो हिंदू हैं।
- भारत
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Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने जो तांडव मचाया उसकी गूंज पूरे देश में गूज रही है। 28 पर्यटकों की मौत से हर तरफ सन्नाटा है। इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। आतंकियों ने गोली मारने से पहले पुरुषों की पैंट उतरवाई, उनका प्राइवेट पार्ट चेक किया ताकि इस बात की तसल्ली से पुष्टि कर सकें कि वो जिसे मार रहे हैं वो हिंदू ही है। नाम पूछने और हाथ में कलावा देखने के बाद भी आतंकियों ने ऐसा किया। टूरिस्टों को शुरू में पता ही नहीं चला कि क्या हो रहा है, क्योंकि हमलावर सेना की वर्दी पहने हुए थे और मास्क लगाए हुए थे। आतंकियों ने लोगों से कलमा भी पढ़वाया।
आपको बता दें कि इस हमले में 2 विदेशी नागरिकों की भी मौत हुई है। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने हमले की जिम्मेदारी ली है। इस हमले के कई वीडियो भी सामने आए हैं, जहां बैसरन के खास वाले इलाके में जगह-जगह पर घायल और रोते बिलखते हुए दिख रहे हैं। एक वीडियो में एक पीड़ित महिला रोते हुए बयां कर रही है, "हम भेलपूरी खा रहे थे, तभी साइड से दो लोग आए और उनमें से एक ने कहा कि ये मुस्लमान नहीं लगता है, इसे गोली मार दो और उन्होंने मेरी पति को गोली मार दी।"
क्या है द रेजिस्टेंस फ्रंट
'द रेजिस्टेंस फ्रंट' पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा है। पाकिस्तान में बैठा शेख सज्जाद गुल इसका प्रमुख है। उसी के इशारे पर टीआरएफ का लोकल माड्यूल जम्मू-कश्मीर में लगातार हमलों को अंजाम दे रहा है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद टीआरएफ एक ऑनलाइन यूनिट के रूप में शुरू हुआ था। माना जाता है कि टीआरएफ को बनाने का मकसद लश्कर जैसे आतंकी संगठनों को कवर देना है। इसकी मदद पाकिस्तानी फौज और आईएसआई भी करती है।
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हमास जैसे पैटर्न पर पहलगाम में टारगेट किलिंग
पहलगाम में हुए आतंकी हमले स हमला इजरायल में 7 अक्टूबर 2023 को हुए आतंकी हमले की तरह ही है। ठीक ऐसा ही पैटर्न इजरायल में हमास के आतंकवादियों ने अपनाया था जब उन्होंने 1,200 लोगों को मार डाला था। इसमें 250 वो इजरायली भी थे जो रेइम के पास नोवा म्यूजिक फेस्टिवल में शिरकत कर रहे थे। इसके अलावा हमास आतंकियों ने 250 इजरायलियों को बंधक भी बना लिया था। ये दोनों ही मामले ऐसे थे जब नफरत में आकंठ में डूबे कुछ आतंकियों ने उन निहत्थे और निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया, जो खुशी के पल बिता रहे थे।
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TRF के आतंकियों ने सैलानियों से उनका धर्म पूछा, अजान सुनाने को कहा और गोली मार दी। 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में हुए हमले में हमास के आतंकियों ने भी यहूदी नागरिकों को चुन-चुनकर मारा, खासकर उन समुदायों को जो गाजा सीमा के पास के थे। दोनों हमलों में आतंकियों की मजहब के आधार पर चुनने की नीति स्पष्ट दिखी।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 23 April 2025 at 11:34 IST