अपडेटेड 14 March 2024 at 19:13 IST

ओवैसी कर रहे विरोध तो UP के सूफी मोहम्मद हसन ने किया CAA का समर्थन,कहा-'भारतीय मुसलमानों से इसका...'

सूफी खानकाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद हसन मजीदी ने नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन करते हुए कहा कि भारत के मुसलमानों का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

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Sufi Mohammad Hasan supports CAA
Sufi Mohammad Hasan supports CAA | Image: Republic

देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू हो चुका है। नए कानून के तहत गुजरात के मोरबी में पाकिस्तान से भारत आए 13 शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जा चुकी है। विपक्ष कानून पर हंगामा कर रहा है। वहीं गृह मंत्री अमित शाह ये साफ कर चुके हैं सीएए देश का कानून है जो कभी वापस नहीं होगा।

सीएए को लेकर सूफी खानकाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद हसन मजीदी ने नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन करते हुए कहा, "इस सीएए का भारतीय नागरिकों से कोई लेना-देना नहीं है, इसी तरह, इसका भारतीय मुसलमानों से भी कोई लेना-देना नहीं है।"

'CAA का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं'

उन्होंने कहा कि CAA का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। यह हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी लोगों के लिए है। जिन्होंने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों में धर्म के आधार पर अत्याचार का सामना किया। जो लोग 31 दिसंबर 2014 को भारत आए और शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

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कुछ लोग भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे- मोहम्मद हसन मजीदी

मोहम्मद हसन मजीदी ने कहा कि कुछ लोग मुसलमानों की नागरिकता को लेकर अनावश्यक भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, कि मुसलमान अपनी नागरिकता खो देंगे। उन्हें सचेत हो जाना चाहिए क्योंकि मुस्लिम नेतृत्व के नाम पर वे विभाजन के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।

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देश में लागू हुआ CAA

देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है। नोटिफिकेशन जारी होते ही CAA पूरे देश में लागू हो गया है। इसका लाभ गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को मिलेगा। केंद्र की ओर से सीएए को लागू करने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के भारत में शरण लेने आए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का रास्ता भी खुल गया है। अब इन तीन देशों से भारत में आए लोगों को नागरिकता मिल सकेगी।

क्या है CAA?

CAA को नागरिकता संशोधन कानून भी कहते हैं। इसमें विदेशियों के नागरिकता का प्रावधान है। तीन देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए लोगों पर ये लागू होगा। इन देशों के अल्पसंख्यकों हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसियों को नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता उन्हें मिलेगी जो 2014 से पहले आए होंगे और धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत में आए हैं, जो कम-से-कम 6 साल से भारत में रह रहे होंगे।

किस-किस को मिलेगी भारत की नागरिकता

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तरह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रहने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को अब भारत की नागरिकता मिल सकेगी। इनमें हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई और पारसी समुदाय के लोग शामिल हैं। इस कानून के तहत उन शरणार्थियों को भारती की नागरिकता दी जाएगी जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 से पहले नागरिकता के लिए अप्लाई किया था।

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Published By : Deepak Gupta

पब्लिश्ड 14 March 2024 at 18:59 IST