अपडेटेड 13 April 2023 at 08:38 IST
Operation Meghdoot और Jallianwala Bagh Massacre, इन वजहों से इतिहास में दर्ज है आज का दिन
Baisakhi के त्योहार पर, 13 अप्रैल 1699 को, दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा दल की स्थापना की। खालसा दल की स्थापना सिख धर्म के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी।
- भारत
- 2 min read

13 April History: देश की आजादी के इतिहास में 13 अप्रैल एक दुखद घटना के कारण दर्ज हो गया है। 13 अप्रैल 1919 वह दिन था जब अंग्रेजों ने अमृतसर के येथिल जलियांवाला बाग (Yethil Jallianwala Bagh) में शांतिपूर्ण सभा के लिए एकत्र हुए हजारों भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं।
बैसाखी (Baisakhi) के पर्व के दिन घटी इस घटना ने भारत के इतिहास को बदल कर रख दिया। साथ ही इसी दिन यानी 13 अप्रैल 1699 को सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ (Khalsa Panth) की स्थापना की थी।
1699: Guru Gobind Singh ने Khalsa Dal की स्थापना की।
Baisakhi के त्योहार पर, 13 अप्रैल 1699 को, दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा दल की स्थापना की। खालसा दल की स्थापना सिख धर्म के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर के बाद 11 नवंबर 1675 को श्री गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें गुरु के रूप में सिंहासन पर बैठे।
श्री गुरु गोबिंद सिंह (Shri Guru Gobind Singh) प्रतिदिन गुरुवाणी का पाठ करते थे। अपने भक्तों और अनुयायियों को इसका विस्तृत अर्थ समझाते थे। गुरु गोबिंद सिंह ने धर्म और समाज की रक्षा के लिए 1699 में खालसा दल की स्थापना की। खालसा पंथ के माध्यम से उन्होंने जातिगत भेदों को नष्ट कर समानता की स्थापना की। श्री गुरु गोबिंद सिंह ने सिखों में स्वाभिमान की भावना जगाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने 42 वर्षों तक शत्रु से युद्ध किया। 1708 में उन्होंने नांदेड़ के सचखंड क्षेत्र में अपना शरीर रखा। सचखंड गुरुद्वारा इसी क्षेत्र में स्थित है।
Advertisement
1919 : जलियांवाला बाग नरसंहार (Jallianwala Bagh Massacre)
13 अप्रैल भारत की आजादी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन, 13 अप्रैल, 1919 को, ब्रिटिश अधिकारी जनरल डायर ने अमृतसर में जलियांवाला बाग नरसंहार में शांतिपूर्वक विरोध करने के लिए एकत्र हुए भारतीयों पर गोलियां चलाईं। इस फायरिंग में सैकड़ों भारतीयों की जान चली गई थी।
साल 1919 में ब्रिटिश सरकार रोलेट एक्ट लाने की तैयारी कर रही थी। इस अधिनियम ने अंग्रेजों को बिना किसी मुकदमे के किसी भी भारतीय को केवल संदेह के आधार पर कैद करने का अधिकार दिया होगा। भारतीयों ने इस अधिनियम का कड़ा विरोध किया। लेकिन उसके बावजूद यह कानून 8 मार्च से लागू कर दिया गया। इसके विरोध में जगह-जगह आंदोलन और प्रदर्शन शुरू हो गए।
Advertisement
Mahatma Gandhi ने 6 अप्रैल को रोलेट एक्ट के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा की। उस समय अमृतसर के लोकप्रिय नेता डॉ. सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। लोगों ने उसकी गिरफ्तारी का विरोध करना शुरू कर दिया। उसके खिलाफ अंग्रेजों ने पंजाब में मार्शल लॉ लगा दिया और कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी ब्रिगेडियर जनरल डायर को सौंप दी।
13 अप्रैल को, अमृतसर में हजारों लोग रोलेट एक्ट को वापस लेने और नेताओं को रिहा करने के लिए अमृतसर के जलियांवाला बाग में एकत्रित हुए। तभी जनरल डायर ने इस भीड़ पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। इस फायरिंग में एक हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई, कई लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए कुएं में छलांग लगा दी। बाद में इस घटना की जांच के लिए हंटर कमीशन नियुक्त किया गया। लेकिन हंटर आयोग ने कहा कि गोलीबारी में केवल 379 लोग मारे गए।
1984: सियाचिन में भारत का ऑपरेशन मेघदूत (Operation Meghdoot)
भारतीय खुफिया संगठन (RAW) को खुफिया जानकारी मिली थी कि पाकिस्तानी सेना सियाचिन ग्लेशियर पर आक्रमण करने वाली है। युद्ध के लिहाज से सियाचिन एक रणनीतिक स्थान है और अगर पाकिस्तान ने इस पर नियंत्रण कर लिया तो यह भारत के लिए खतरा होगा। इसलिए 13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने सियाचिन में 'ऑपरेशन मेघदूत' चलाया। हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में भारतीय सेना ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र पर कब्जा कर लिया। सियाचिन में युद्ध लड़ाना भारत के लिहाज से बहुत मुश्किल था। पाकिस्तान को सियाचिन की परिस्थितियों का फायदा मिल रहा था। जिससे ऑपरेशन मेघदूत बहुत कठिन हो गया है। ऐसे में भी भारतीय जवानों ने पाकिस्तानी सेना पर जीत हासिल की।
इसलिए दुनिया भर में सफल लड़ाइयों में 'ऑपरेशन मेघदूत' भी शामिल है। यह एक अलग तरह का युद्ध था, जिसमें भारतीय सेना ने माइनस 60 से माइनस 70 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में सबसे अधिक ऊंचाई पर लड़ाई जीती थी। इसलिए यह पाकिस्तान के लिए शर्मनाक हार थी।
1997: टाइगर वुड्स ने 21 साल की उम्र में यूएस मास्टर्स चैंपियनशिप जीती। इसके साथ ही वह सबसे कम उम्र में टूर्नामेंट जीतने वाले पहले खिलाड़ी बन गए।
Published By : Priya Gandhi
पब्लिश्ड 13 April 2023 at 08:38 IST