अपडेटेड 21 December 2024 at 17:25 IST
वही राष्ट्र सुख और शांति से जी सकते हैं जिनके नागरिक धर्म से युक्त हो, धर्म मतलब कर्म- अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यहां पर एक धुव वाक्य लिखा है, 'सुखस्य मूलं धर्मः धर्मस्य मूलं अर्थः' यह महान चाणक्य का उद्घोषित सिद्धांत है।
- भारत
- 2 min read

त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में उत्तर पूर्व बैंकर्स कॉन्क्लेव 2.0 में को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यहां पर एक धुव वाक्य लिखा है, 'सुखस्य मूलं धर्मः धर्मस्य मूलं अर्थः' यह महान चाणक्य का उद्घोषित सिद्धांत है। इसका मतलब व्यक्ति से जोड़कर नहीं बल्कि राष्ट्र से जोड़कर है। कौन से राष्ट्र और राज्य सुख और शांति से जी सकते हैं, वही राज्य और राष्ट्र सुख और शांति से जी सकते हैं जिनके नागरिक धर्म से युक्त हो। धर्म का मतलब यहां पर है कर्तव्य से है। जिस राष्ट्र के नागरिक कर्तव्यपथ पर चलते हो वही नागरिक सुख और शांति से रह सकता है। वही नागरिक कतर्व्यपथ पर चल सकते हैं जो सुख और अर्थ से मतलब धन से संपन्न उन पर आर्थिक कोई अपत्ति न हो। इसका मतलब राज्य का हर नागरिक अर्थ से संपन्न हो तभी राज्य सुख और शांति से आगे बढ़ सकता है।
गृहमंत्री शाह ने कि ये चाणक्य का सूत्र चाणक्य के अर्थशास्त्र के बेसिक सिद्धांतों में से एक है। आज यहां पर हम सब उत्तर प्रदेश से बड़े भूभाग नॉर्थ-ईस्ट जिसकी संभावनाओं में हम एक्सप्लोर करने में बहुत लेट हो गए हैं, वो नॉर्थ-ईस्ट के आर्थिक रूप से संपन्न बनने की चिंता के लिए।
नॉर्थ-ईस्ट का विकास देश का विकास- अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि पीएम मोदी के कार्यकाल में हमारी अर्थव्यवस्था 11वें नंबर से 5वें नंबर पर पहुंच गई और 2027 तक दुनिया की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। लेकिन क्या ये पर्याप्त है? किसी भी राज्य के लिए, देश के लिए पर्याप्त है क्या? ये पर्याप्त नहीं है। छोटे-छोटे जो 3 करोड़, 5 करोड़ की आबादी वाले देश हैं, उनके लिए पर्याप्त हो सकता है,क्योंकि वहां जीडीपी बढ़ना, अर्थव्यवस्था बढ़ना सीधा सम विकास की ओर जाता है क्योंकि आबादी छोटी है। लेकिन 140 करोड़ जनसंख्या और इतनी विषम भौगोलिक स्थिति वाले देश के लिए अर्थतंत्र के बढ़ावे के साथ-साथ नॉर्थ-ईस्ट का हर एक राज्य, हर गांव और हर व्यक्ति, उसका आर्थिक विकास ही देश के आर्थिक विकास का प्रतीक है।
Advertisement
Advertisement
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 21 December 2024 at 17:25 IST