अपडेटेड 26 May 2025 at 22:33 IST
खुद्दारी हो तो ऐसी... कभी लाखों थी सैलरी, फिर अचानक Zomato बॉय बनकर घर-घर क्यों कर रहे फूड डिलीवरी?
Zomato Boy: सोशल मीडिया पर हर पल कुछ ना कुछ नया आता ही रहता है। लेकिन कुछ बातें ऐसी होती हैं जो आपको दिल को छू जाती हैं। ऐसी ही दिल छू लेने वाली कहानी श्रीपाल गांधी ने अपने Linkedin अकाउंट पर शेयर की है, जिसमें एक Zomato बॉय की खुद्दारी और काम के प्रति उनकी लगन एक-एक शब्द में झलक रही है।
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Zomato Boy: सोशल मीडिया पर हर पल कुछ ना कुछ नया आता ही रहता है। लेकिन कुछ बातें ऐसी होती हैं जो आपको दिल को छू जाती हैं। ऐसी ही दिल छू लेने वाली कहानी श्रीपाल गांधी ने अपने Linkedin अकाउंट पर शेयर की है, जिसमें एक Zomato बॉय की खुद्दारी और काम के प्रति उनकी लगन एक-एक शब्द में झलक रही है।
श्रीपाल गांधी लिखते हैं, "उसने सिर्फ मेरा लंच नहीं पहुंचाया, बल्कि जिंदगी का एक सबक भी दे गया। कल मैंने सबवे से एक नॉर्मल लंच ऑर्डर किया जिसमें पनीर टिक्का सैंडविच, बिंगो चिप्स और ओट-रेजिन कुकीज। जब ऑर्डर आया, तो पैकेट देखकर ही समझ गया सिर्फ सैंडविच आया है। मैंने डिलीवरी राइडर से कहा, “चिप्स और कुकीज नहीं आए हैं।”
ये मेरी जिम्मेदारी है, मुझे ग्राहक को खुश देखना है- Zomato बॉय
वो हिचकिचाया, कुछ कह नहीं पाया, लेकिन विनम्रता से बोला, “सर, कृपया रेस्टोरेंट या जोमैटो को कॉल कीजिए।” मैंने सबवे को कॉल किया। उन्होंने माफी मांगी और गलती स्वीकार की। उन्होंने पूछा, “क्या आप राइडर को वापस भेज सकते हैं? हम उसे ₹20 देंगे।” लेकिन बात ये है कि तकनीकी रूप से, राइडर को तभी वापस जाना होता है जब जोमैटो कहे क्योंकि उसे पैसे रेस्टोरेंट नहीं, जोमैटो देता है। लेकिन ये इंसान जो वाकई में एक हीरा था, उसने कहा, “सर, ये मेरी जिम्मेदारी है। मुझे ग्राहक को खुश देखना है।”
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श्रीपाल गांधी लिखते हैं, उसने मुझे ग्राहक की तरह नहीं देखा। उसने देखा कि सही काम करना ज्यादा जरूरी है। वो वापस गया, बाकी आइटम्स लेकर आया, मुस्कराया, और ₹20 लेने से इनकार कर दिया। उसने कहा, “भगवान ने मुझे बहुत कुछ दिया है। जो गलती मेरी नहीं, उसके लिए मैं पैसे क्यों लूं?”
Zomato बॉय कहानी सुनकर रह गए दंग
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फिर उसने अपनी कहानी सुनाई और मेरे रोंगटे खड़े हो गए। उसने बताया कि वो कभी एक कंस्ट्रक्शन सुपरवाइजर था और ₹1.25 लाख प्रति माह कमाता था। लेकिन एक कार एक्सीडेंट ने सब कुछ बदल दिया। उसका बायां हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया और नौकरी चली गई। कुछ वक़्त के लिए तो चलना-फिरना मुश्किल हो गया था। लेकिन जोमैटो ने उसकी जिंदगी बदल दी। उसे नौकरी मिली, एक मौका मिला, एक उद्देश्य मिला।
उसने कहा, “सर, जोमैटो ने मेरे परिवार को जिंदा रखा। मैं दिव्यांग हूं, लेकिन मुझे एक अवसर मिला है। मैं कभी जोमैटो का नाम नीचा नहीं होने दूंगा।”
'भगवान मेरे साथ हैं, मुझे चिंता क्यों करनी चाहिए'
आज उसकी बेटी डेंटिस्ट्री पढ़ रही है। वो सिर्फ आमदनी के लिए नहीं, उसकी सपनों के लिए राइड करता है। उसने कभी जिंदगी को दोष नहीं दिया। कोई शिकायत नहीं की। कोई बहाना नहीं बनाया। वो बस मुस्कराया, ईश्वर में विश्वास रखा और बोला: “भगवान मेरे साथ हैं। मुझे चिंता क्यों करनी चाहिए?”
कल मुझे एक सैंडविच मिला। लेकिन जो मेरे साथ रह गया वो था कृतज्ञता, हौसला और उम्मीद। ऐसी कहानियां दिखनी और सराही जानी चाहिए।
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 26 May 2025 at 22:33 IST