अपडेटेड 14 June 2025 at 10:45 IST

16 जून से इस राज्‍य में नहीं चलेंगी Ola, Uber और Rapido की बाइक टैक्‍सी! हाईकोर्ट ने दिया ये बड़ा फैसला

रैपिडो ने कोर्ट में बताया कि इस निर्णय से राज्य भर में 6 लाख से अधिक ड्राइवर-पार्टनर्स की रोज़ी-रोटी पर असर पड़ेगा।

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ola uber rapido bike taxi likely to stop operating from June 16 in karanataka
16 जून से इस राज्‍य में नहीं चलेंगी Ola, Uber और Rapido की बाइक टैक्‍सी! | Image: Instagram

कर्नाटक में बाइक टैक्सी सेवाओं को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। एएनआई टेक्नोलॉजीज (ओला) और उबर इंडिया ने राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें कहा गया था कि रैपिडो और उबर जैसी दोपहिया टैक्सी सेवाएं तब तक संचालित नहीं हो सकतीं, जब तक राज्य सरकार मोटर वाहन अधिनियम के तहत स्पष्ट नीति नहीं बनाती।

ओला और उबर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ध्यान चिन्नप्पा ने अदालत में दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि दोपहिया वाहनों को सार्वजनिक परिवहन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य के पास अपनी नीति नहीं है, तो केंद्र के मौजूदा नियमों के तहत सेवाएं जारी रखी जा सकती हैं।

जब तक राज्य नीति न बनाए, सेवाएं अवैध

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने कोर्ट में जोर दिया कि बिना राज्य सरकार की ओर से फ्रेम किए गए नियमों के, इन सेवाओं की इजाजत नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा, “सार्वजनिक परिवहन के लिए राज्य की स्पष्ट नीति होना अनिवार्य है। सिर्फ केंद्रीय नियमों के भरोसे कोई सेवा नहीं चलाई जा सकती।”

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इस मामले में न्यायमूर्ति बी. श्याम प्रसाद ने 2 अप्रैल को आदेश दिया था कि कर्नाटक में चल रही सभी बाइक टैक्सी सेवाएं छह सप्ताह के भीतर बंद की जाएं। बाद में इस समयसीमा को बढ़ाकर 15 जून कर दिया गया। इसका मतलब है कि अगर सरकार नीति नहीं लाती और कोर्ट राहत नहीं देता, तो 16 जून से पूरे कर्नाटक में बाइक टैक्सी सेवाएं पूरी तरह बंद हो जाएंगी।

लाखों की आजीविका खतरे में- रैपिडो

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रैपिडो ने कोर्ट में बताया कि इस निर्णय से राज्य भर में 6 लाख से अधिक ड्राइवर-पार्टनर्स की रोज़ी-रोटी पर असर पड़ेगा। कंपनी ने दावा किया कि उसके 75% राइडर्स की पूरी कमाई इसी प्लेटफॉर्म से होती है और वे औसतन ₹35,000 प्रति माह कमाते हैं। अब तक रैपिडो ने अपने राइडर्स को ₹700 करोड़ से ज्यादा का भुगतान किया है और अकेले बेंगलुरु में ही ₹100 करोड़ का GST जमा किया है।

कंपनियों ने की थी अपील

ओला, उबर और रैपिडो की पैरेंट कंपनियों– एनआई टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, उबर इंडिया सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और रोपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड  ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर कर राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की थी कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत पीले नंबर प्लेट वाली बाइक टैक्सियों को परिवहन वाहनों की तरह मान्यता दी जाए।

एकल पीठ द्वारा दिए गए निलंबन आदेश को चुनौती देते हुए इन कंपनियों ने खंडपीठ के समक्ष अपील की थी, लेकिन उन्हें कोई अंतरिम राहत नहीं मिली। अब यह मामला 24 जून को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, जब यह तय होगा कि कर्नाटक में बाइक टैक्सी सेवाओं को कानूनी रूप से अनुमति दी जाएगी या नहीं। 

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 14 June 2025 at 10:45 IST