अपडेटेड 18 January 2025 at 19:36 IST
संजय रॉय की दोषसिद्धि को किसी अदालत में चुनौती देने की योजना नहीं: अपराधी की बहन
आरजी कर में ड्यूटी पर तैनात महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले में संजय रॉय को दोषी ठहराए जाने पर उसकी बड़ी बहन ने कहा कि आदेश को चुनौती देने की कोई योजना नहीं है।
- भारत
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पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात महिला प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में संजय रॉय को दोषी ठहराए जाने के चंद मिनटों बाद, उसकी बड़ी बहन ने शनिवार को कहा कि इस आदेश को किसी भी अदालत में चुनौती देने की उसके परिवार की कोई योजना नहीं है।
दुपट्टा से चेहरा ढकी इस अधेड़ महिला ने भवानीपुर इलाके में एक झुग्गी में संवाददाताओं से कहा कि वह सियालदह अदालत नहीं गई थी, जहां उसके भाई को पेश किया गया था और अदालत ने उसे दोषी करार दिया था।
जब संवाददाताओं ने उससे पूछा कि क्या उसे लगता है कि उसका भाई वास्तव में दोषी है, तो उसने कहा, ‘‘कृपया मुझे अकेला छोड़ दें। हम टूट चुके हैं।’’
रॉय की बहन ने कहा, ‘‘अगर उसने (रॉय ने) कोई अपराध किया है, तो उसे उचित सजा मिलनी चाहिए। हमारे पास आदेश को चुनौती देने की कोई योजना नहीं है। मैं अपने ससुराल में रह रही हूं। वर्ष 2007 में अपनी शादी के बाद से मेरा अपने परिवार से कोई संपर्क नहीं है, जबकि मेरी मां की तबीयत ठीक नहीं है।’’
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महिला ने अपनी पहचान या नाम उजागर न करते हुए कहा कि उसका भाई बचपन में किसी भी सामान्य लड़के की तरह ही व्यवहार करता था।
उसने कहा, ‘‘जैसे-जैसे वह बड़ा हुआ, उसने शराब पीना शुरू कर दिया, लेकिन इसके अलावा मैंने खुद कभी भी संजय द्वारा किसी महिला के साथ दुर्व्यवहार किए जाने का कोई मामला नहीं सुना। बेशक, पिछले कुछ सालों में हमारा उससे नियमित संपर्क नहीं था और वह एक अलग इलाके में रहता था, इसलिए मुझे उसके संबंधों के बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही वह यह जानती है कि मेरा भाई किसी आपराधिक मामले में शामिल था या नहीं।’’
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शंभुनाथ पंडित अस्पताल के सामने उसी इलाके में रहने वाली रॉय की मां ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया।
उसने कहा, ‘‘मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है। कृपया मुझे अकेला छोड़ दें।’’
रॉय के रिश्तेदारों के घर तक रिपोर्टर को ले जाने वाले पड़ोस के लोग उस घर के पास जमा हो गए।
पड़ोसी उमेश महतो ने कहा, ‘‘अगर वह जघन्य अपराध का दोषी पाया जाता है तो उसे सजा मिलनी चाहिए। लेकिन अगर मामले में अन्य लोग शामिल हैं, तो उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए।’’
Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 18 January 2025 at 19:36 IST